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प्रवृत्ति की रणनीति

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स्वस्थ भोजन: बाजार विकास के लिए एक रणनीति

स्वस्थ भोजन में प्रवृत्ति अब पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। खुदरा विक्रेताओं, निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं का सामना करने में जैविक उत्पादों और मूल, कार्यात्मक और विशेष भोजन के खेत, इसलिए स्वास्थ्य खाद्य बाजार के लिए बढ़ती उपभोक्ता मांग अंत उपयोगकर्ताओं की बढ़ती मांग के अनुसार अपना काम पुनर्निर्माण, और उत्पादों के इन समूहों के संबंध में कानून में बदल जाता है।

इस बाजार खंड का गठन अभी हो रहा है, इस खंड के उपभोक्ता की अपनी विशेषताएं हैं जो खरीद के निर्णय को प्रभावित करती हैं। इसी समय, यह महत्वपूर्ण है कि बाजार स्पष्ट रूप से सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों पर केंद्रित है जो कानूनी नियमों और विज्ञान की नवीनतम उपलब्धियों का अनुपालन करते हैं। इस तरह के पुनर्गठन से निर्माता को महत्वपूर्ण समस्याओं को हल करने की आवश्यकता होती है - उत्पादन, विपणन, विपणन और यहां तक ​​कि कानूनी। दूसरी ओर, सुपरमार्केट को स्पष्ट रूप से उत्पाद की खपत के रुझान, एक स्वस्थ आहार के लिए उत्पादों के भंडारण की विशेषताओं और उनकी बिक्री की शर्तों को समझने की आवश्यकता है।

कैसे खाते में इन सभी कारकों लेने के लिए और एक स्वस्थ आहार के लिए उत्पादों की बाजार पर सफल होने और प्रतिभागियों और सम्मेलन के मेहमानों ने चर्चा की कानूनी कार्य करते हैं, खाद्य सामग्री निर्माता, FIZ खाद्य और जैव प्रौद्योगिकी के संघ द्वारा आयोजित खंडन करने के लिए नहीं, प्रदर्शनी कंपनी ITE के समर्थन के साथ करने के लिए।

घटना के कार्यक्रम में चर्चा के सवालों के कई ब्लॉक शामिल थे। "स्वस्थ भोजन" श्रेणी में चयन के लिए चर्चा उपभोक्ता मापदंड मिखाइल बोगोमोलोव (एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, गैर सरकारी संगठन "रूसी डायबिटीज एसोसिएशन" के राष्ट्रपति), जिसमें उन्होंने "स्वस्थ उत्पाद" की स्पष्ट परिभाषा की जटिलता परिलक्षित द्वारा एक भाषण के साथ शुरू हुआ, "वैज्ञानिक", "उत्पादन के बीच मतभेद इस समूह के उत्पादों के लिए "और" उपभोक्ता "मानदंड, नेटवर्क और खुदरा दोनों, श्रेणी प्रबंधन के दृष्टिकोण से" स्वस्थ उत्पादों "के मूल्यांकन के लिए। यह भी माना जाता है कि स्वस्थ खाद्य उत्पादों की खपत की संस्कृति के विकास में बाधाएं हैं। Rafal Zbikowski (DSM पोषण उत्पाद यूरोप लिमिटेड के विशेषज्ञ) ने स्वस्थ भोजन के क्षेत्र में उपभोक्ता प्राथमिकताओं के यूरोपीय सर्वेक्षण के आधार पर उत्पाद पोर्टफोलियो बनाने के लिए कार्यात्मक अवयवों का उपयोग करने के व्यावहारिक पहलुओं को प्रस्तुत किया।

रिपोर्टों के बड़े ब्लॉक एक नई श्रेणी के गठन के संदर्भ में ब्रांडिंग और स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया गया था - "। उपभोक्ता प्रवृत्ति" रूस में खाद्य उत्पादों और विकास की संभावनाओं की श्रेणी में ब्रांडिंग के निर्माण के लिए प्रयास और विदेशों में प्रकाश डाला आर्टयोम मस्लोव (प्रबंध ब्रांडिंग एजेंसी «चालाक ब्रांडिंग» के साथी) और अनास्तासिया ट्रेटयाकोवा (ब्रांडिंग एजेंसी डिपो WPF के रचनात्मक निर्देशक)। बनाने "स्वास्थ्य खाद्य" उत्पादों के लिए एल्गोरिथ्म - विचार से शेल्फ को 7 चरणों, ओल्‍गा रोयेंको ( "Vatel विपणन" विपणन एजेंसी परियोजनाओं के प्रमुख) की शुरुआत की।

प्रवृत्तियों और कन्फेक्शनरी उत्पादों और उनके भाषणों में बेकरी उत्पादों के बाजार के संदर्भ में स्वस्थ पोषण के रुझान पर ओल्गा Belyaeva (वैज्ञानिक के प्रमुख और "मंगल" की तकनीकी नियमन समूह) और एलेक्सी Sveshnikov ( "triremes" के विपणन निदेशक) को प्रस्तुत किया। एक स्वस्थ जीवन शैली की इच्छा और अवांछित पोषण कारकों के बहिष्कार के आधार पर उपभोक्ताओं की वरीयताओं पर विशेष ध्यान दिया गया था। इसलिए नील्सन सर्वे द्वारा दायर, 41% उपभोक्ता कम हिस्से का उपभोग करने की कोशिश करते हैं और 50% वजन कम करने की प्रवृत्ति रखते हैं; 65% वसा प्रवृत्ति की रणनीति का सेवन कम करते हैं और 49% का मानना ​​है कि वे अधिक वजन वाले हैं; 43% प्राकृतिक अवयवों का चयन करते हैं और यह उपभोक्ता खाद्य टोकरी के निर्माण का एक महत्वपूर्ण कारक बन रहा है। दुनिया भर में उपभोक्ता उत्तरदाताओं का सर्वेक्षण से सांख्यिकीय आंकड़ों से इसकी पुष्टि के रूप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपभोक्ता वरीयताओं को और उत्पाद 'स्वस्थ भोजन »की विशेषताओं का गठन किया है: 45% प्राकृतिक सामग्री, 44% कृत्रिम रंगों से मुक्त, 43% गैर GMO, 42% कृत्रिम खुशबू की मुक्त। विभिन्न प्रवृत्ति की रणनीति कारणों से, रूसी खरीदार समझदार यूरोपीय खरीदारों की तुलना में भोजन में अवांछनीय सामग्री की उपस्थिति पर अधिक ध्यान देना शुरू कर रहे हैं। आज, हम स्वस्थ आहार के पक्ष में अपने आहार के उपभोक्ताओं द्वारा एक आश्वासन देख रहे हैं, और यहां तक ​​कि तपस्या की शर्तों में, वे सावधानीपूर्वक भोजन और पेय का चयन कर रहे हैं। और, ज़ाहिर है, खाद्य निर्माता बहुत स्पष्ट रूप से इस गतिशील उपभोक्ता प्रवृत्तियों का जवाब दे रहे हैं।

व्यापार नेटवर्क के मामले में स्वस्थ भोजन पर एक नजर प्रस्तुत यूलिया Chavykina (गुणवत्ता प्रबंधन H5 Ritail समूह विभाग के खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के प्रमुख) और मुख्य इनपुट आवश्यकताओं, चयन मानदंड पर प्रकाश डाला और शेल्फ पर इस श्रेणी में खुदरा के गठन के लिए दृष्टिकोण।

अल्ला Pogozheva (प्रोफेसर। FGBUN "FIZ खाद्य और जैव प्रौद्योगिकी") प्रश्न में विनियामक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मापदंड और परिभाषाओं पर प्रकाश डाला "क्या एक स्वस्थ आहार है।" तातियाना नेकरसोवा (DSM पोषण उत्पाद यूरोप लिमिटेड) प्रस्तुत संदेश में भोजन के बुनियादी मूल्य और स्वास्थ्य लाभ और बुनियादी नियामक साधनों के बारे में एक बयान के रूप में स्वस्थ खाद्य पदार्थों के मानकीकरण में यूरोपीय अनुभव के बारे में। स्वस्थ भोजन उत्पादन के क्षेत्र में रूस में कानूनी विनियमन के पहलुओं पर अल्ला Kochetkova (प्रोफेसर। खाद्य जैव प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के प्रमुख और विशेष उत्पादों FGBUN "FIZ खाद्य और जैव प्रौद्योगिकी") प्रस्तुत किया।

सामग्री पर सवाल के ब्लॉक, स्वस्थ भोजन के निर्माण के लिए एक उपकरण के रूप, अपने भाषण तातियाना सावेन्कोव खोला (प्रोफेसर।, SPPI के उपाध्यक्ष, निदेशक FGBNU "कन्फेक्शनरी उद्योग के संस्थान"), मुख्य विशेषताएं और बाजार के रुझान पर प्रकाश डाला कार्यात्मक सामग्री के बाजार के साथ संयोजन में स्वस्थ पोषण, बाजार की नवीन प्रौद्योगिकियों, सामाजिक और आर्थिक कारकों का विकास। अभिनव तेल और वसा सामग्री के निर्माण और "स्वस्थ भोजन" के उत्पादन में उनके उपयोग के तकनीकी और वैज्ञानिक पहलुओं जलाया इल्या बिगुल (पीएच.डी., विकास केंद्र के निदेशक और नागरिक संहिता "NMGK" की शुरूआत) और तात्याना Ostroverkhova (अनुसूचित जाति EFKO बिक्री के तकनीकी समर्थन के प्रबंधक )।

इस घटना ने पेशेवर समुदाय के बीच उच्च रुचि पैदा की। सम्मेलन निर्माताओं और स्वास्थ्य उत्पादों, विशेष भोजन और खाद्य सामग्री, कृषि उद्यमों और खेतों, खुदरा श्रृंखलाओं और विशेषता भंडार, स्वास्थ्य खाद्य बाजार विशेषज्ञों, वैज्ञानिक और सामाजिक संगठनों, ट्रेड यूनियनों और संघों के विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों के वितरकों से अधिक 120 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

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पुरोला विधानसभा में अपनी ही 'रणनीति' पर घिरी BJP, 2022 में राह नहीं आसान!

विधानसभा चुनाव से पहले पुरोला विधानसभा सीट पर बीजेपी में घमासान मचना तय है. यहां बीजेपी अपनी ही रणनीति पर घिरती नजर आ रही है. टिकट के दावेदारों की फेहरिस्त पर नजर डाली जाए तो कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में पुरोला विधानसभा में पार्टी की राह आसान नहीं होने वाली है.

देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर हर सीट पर राजनीतिक दल अपनी जीत के समीकरणों को तैयार कर रहे हैं, मगर इस बार भाजपा पुरोला विधानसभा सीट (Purola assembly) में अपनी ही रणनीति के कारण घिरती हुई दिखाई दे रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह इस सीट पर भाजपा के नेताओं की संभावित बगावत को माना जा रहा है. यही नहीं इस सीट पर लोगों की विधायक को बदलने की प्रवृत्ति भी भाजपा के खिलाफ जाती हुई दिखाई दे रही है.

उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में से एक पुरोला विधानसभा (Purola assembly) राजनीतिक रूप से बड़े दंगल का मैदान बनी हुई है. इस सीट पर हाल ही में राजनीतिक दलबदल की राजनीति हावी रही. इसके बाद बदले हुए समीकरण भाजपा में बगावत की स्थिति को पैदा कर गए हैं. बता दें साल 2017 में कांग्रेस के राजकुमार (Rajkumar) ने जबरदस्त मोदी लहर के बावजूद इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2022 के चुनाव आते-आते राजकुमार ने पाला बदल दिया. जिसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए.

राजकुमार (Rajkumar) इससे पहले सहसपुर से भाजपा के विधायक थे. बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा था. अब फिर से भाजपा में राजकुमार की वापसी हो गई. इसके बाद समीकरण काफी बदल गए हैं. भाजपा से इस सीट पर विधायक का चुनाव मालचंद लड़ते आये हैं. कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेश जुवांठा भी पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे. इस तरह पुरोला सीट पर फिलहाल टिकट के दावेदार के रूप में भाजपा में 3 बड़े चेहरे हो गए हैं. पहला कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राजकुमार, दूसरा पूर्व विधायक मालचंद और तीसरा राजेश जुवांठा.

राजकुमार के भाजपा में आने से बढ़ी तकरार: उत्तरकाशी जिले की पुरोला विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर भाजपा में अब तकरार की स्थिति बन गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी में कांग्रेस विधायक राजकुमार के भाजपा में शामिल होने के बाद यह तय है कि भाजपा राजकुमार को ही आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने जा रही है.

उधर भाजपा में पूर्व विधायक मालचंद पहले से ही इस सीट पर दावेदार थे, जबकि कांग्रेस से भाजपा में आने वाले राजेश जुवांठा भी बड़े दावेदार हैं. यह तीनों ही इस विधानसभा सीट पर विधायक रह चुके हैं. मालचंद तो इस सीट पर दो बार विधायक रहे हैं. ऐसे में राजकुमार के भाजपा में आने से राजनीतिक समीकरणों का बिगड़ना तय है.

वहीं, इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के नेता कहते हैं कि प्रदेश में टिकट किसे दिया जाएगा, यह भाजपा का पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करता है. अभी किसी का भी टिकट फाइनल नहीं हुआ है. लिहाजा चुनाव को लेकर स्थितियां कैसी रहेंगी, इसका फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व करेगा.
पुरोला में अब तक रहे राजनीतिक समीकरण

  • पुरोला विधानसभा में राजनीतिक समीकरण काफी दिलचस्प रहे हैं. इस सीट पर जिस पार्टी की सरकार रही है, उसका राज्य स्थापना के बाद से अब तक कोई भी विधायक नहीं रहा है. यानी प्रदेश में सरकार बनाने के साथ यह विधानसभा नहीं दिखी है.
  • पहले 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के माल चंद ने 41% वोट पाकर कांग्रेस की शांति जुवांठा को चुनाव हराया. शांति को 32% वोट मिल थे.
  • साल 2007 में शांति जुवांठा के बेटे राजेश जुवांठा ने कांग्रेस से ताल ठोकी और निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने वाले मालचंद को चुनाव हराया. राजेश को 37% तो मालचंद को 36% वोट पड़े.
  • 2012 में मालचंद भाजपा में शामिल हो गए. उन्होंने 40% वोट पाकर निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार को चुनाव हरा दिया. राजकुमार को 31% वोट पड़े थे.
  • उसके बाद 2017 में राजकुमार ने कांग्रेस ज्वाइन की. उन्होंने 35.93% वोट पाकर भाजपा के मालचंद को चुनाव हराया. मालचंद को 33.89% वोट पड़े थे.

कांग्रेस ने इस सीट पर खेला नया दांव: उत्तराखंड कांग्रेस ने इस सीट पर एक बड़ा दांव खेला है. दरअसल 2017 में निर्दलीय रूप से इस सीट पर चुनाव लड़ने वाले दुर्गेश्वर लाल को पार्टी में शामिल कराया. दुर्गेश्वर लाल को 2017 में 27.27% वोट मिले थे. उन्होंने तब बीजेपी-कांग्रेस को बड़ी टक्कर दी थी.

इस मामले में कांग्रेस के नेता कहते हैं कि भाजपा ने जिस तरह दलबदल करवाया है, वह भाजपा के लिए ही नुकसान साबित होगा. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पृथ्वी पाल कहते हैं कि भाजपा ने किस रणनीति के तहत कांग्रेस के राजकुमार को भाजपा में लिया वह समझ से परे है. उन्हें लगता है कि अब भाजपा में बगावत होना तय है. इससे कांग्रेस की जीत भी निश्चित हो गई है.

विस्तारवाद है चीन की प्रकृति और कम्युनिज़्म की प्रवृत्ति

विस्तारवाद है चीन की प्रकृति और कम्युनिज़्म की प्रवृत्ति

चीन इन दिनों कई गलत कारणों से चर्चा में है। पहले तो उसने कोरोना वायरस के माध्यम से पूरी तरहं बरबादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया और अब इन दिनों भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर वह पुन: चर्चा में है। चीन की प्रवृत्ति और उसकी सोच को अगर ठीक से समझना हो तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक गुरूजी के विचारों को जानना ज़रूरी है। उन्होंने 1950 के दशक के आरंभ से ही चीन से होने वाले खतरों के बारे में चेतावनी देनी आरंभ कर दी थी। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनकी एक नहीं सुनी। परिणाम हम सबके सामने है। 1962 में भारत को चीन के साथ युद्ध में भारी नुकसान उठाना पड़ा। नेहरू की नीतियों और उनके द्वारा उठाए गए कदमों की खासी आलोचना भी हुई। 1962 के युद्ध में नीतिगत व नेतृत्वके स्तर पर जो कमजोरी दिखाई गई उसकी पड़ताल हेंडरसन ब्रुक्स रिपोर्ट में भी की गई है। हालांकि अधिकृत तौर पर यह रिपोर्ट आज भी सार्वजनिक नहीं की गई है। पर इसके काफी सारे हिस्से इंटरनेट पर उपलब्ध हैंं।इनको पढ़ने से तत्कालीन सरकार की आपराधिक लापरवाही के बारे में पता चलता है।

भारत तथा दुनिया के अन्य देशों को लेकर चीन की विस्तारवादी नीति के बारे में समझना हो तो रामलीला मैदान में 23 दिसंबर 1962 को गुरूजी के एक सार्वजनिक भाषण को पढ़ना चाहिए जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा था, ''आजकल चारों ओर एक और प्रचार चला है कि ' चीन तो बहुत पहले से ही आक्रमणकारी है, विस्तारवादी है। कुछ मात्रा में यह सच भी है। उसके पुराने इतिहास में ऐसा देखने को मिलता है कि चंगेजखान आदि अकारण ही अपने पड़ोसियों पर आक्रमण कर, उनका विनाश करते आए हैं। उनकी केवल इतनी प्रकृति ही आज के आक्रमण का कारण नहीं है। चीन ने 12—13 वर्षों से जिस कम्युनिस्ट प्रणाली को अपनाया है, वह भी इस आक्रमणकारी नीति के लिए जिम्मेदार है।। सबको पता है कि चीन गत 12—13 वर्षों से अपने को ''कम्युनिस्ट'' कहता है।। इतना ही नहीं, जिस रूस में कम्युनिस्टों का राज्य सर्वप्रथम प्रारंभ हुआ, उससे भी इनका कम्युनिज्म अधिक शुद्ध है, ऐसा इनका दावा है। चीन सोचता है कि सारे जगत् में कम्युनिस्ट विचार-प्रणाली का राज्य स्थापित करना उसका लक्ष्य है। इसके लिए वह विस्तारवाद के पीछे लगा है। अर्थात् पहले से ही प्रकृति में साम्राज्यवाद की पिपासा और उस पर जगत भर में कम्युनिस्ट विचारधारा का राज्य स्थापित करने का मानस, इन दोनों का ही आज चीन में संयोग हो गया है अर्थात् एक तो करेला कड़वा, दूजे नीम चढ़ा ।''

गुरूजी ने एक खास बात ये भी कही जो वर्तमान में चीनी विस्तारवाद के मूल को स्पष्ट करती है, ''यह कहना कि आक्रमण तो चीन की प्रकृति है कम्युनिस्ट विचारधारा इसके लिए कोई कारण नहीं यह तो स्वयं को भ्रम में डालना है। जिस प्रकार हम लोगों ने अपने को इस भ्रम में डाल लिया था कि चीन तो अपना भाई है। आज अपने भ्रम का निराकरण कर होकर उसका प्रत्यक्ष आक्रमणकारी स्वरूप हमारे अनुभव में आ रहा है। इस प्रकार— ''कम्युनिज्म तो अच्छा है पर चीन का कम्युनिज़्म विकृत हो गया है इसलिए वह बहुत खराब है, कम्युनिज्म पर उसके विस्तारवाद का पाप नहीं आता।''— इस प्रकार का एक नया भ्रम आज फिर से हम लोगों ने अपने हृदय में उत्पन्न करने का यत्न किया है और इस नए भ्रम का प्रचार करने पर हम तुले हुए हैं। इसमें भी आगे चलकर निराश होने की पूर्ण संभावना दिखाई देती है। विस्तारवाद चीन की प्रकृति भले ही हो परंतु यही विस्तारवाद कम्युनिज्म का भी एक गुण है। इन दोनों का संयोग होने के कारण ही चीन का आज का संकट खड़ा है।

इससे पूर्व 2 फरवरी, 1960 को मुंबई में चीनी आक्रमण के संबंध में महाराष्ट्र के पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने एक प्रश्न का बड़ा दिलचस्प उत्तर दिया जिससे पता चलता है कि किस प्रकार हमारा तत्कालीन नेतृत्व चीन की उस रणनीति को नहीं भांप पा रहा था जिसके बारे में गुरूजी लगातार चेतावनी दे रहे थे। गुरूजी का उत्तर था, ''.. मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि आप लोगों को चीन द्वारा किए गए आक्रमण का समाचार

इतनी देर से क्यों मिला? जबकि मुझे तो इसका समाचार 4-5 वर्ष पूर्व ही प्राप्त हो गया था। उस समय मैंने सार्वजनिक भाषणों में उसका उल्लेख भी किया था। तब कोलकाता के एक दैनिक पत्र के संपादक ने लिखा था कि ' यह गैर-जिम्मेदारी से ऐसी बातें करते हैं-यदि ऐसा होता तो क्या सरकार को यह पता नहीं लगता? ' अब

आक्रमण का समाचार आने पर उसने कहा कि आपका कहना ही ठीक था कि आज भी यह आक्रमण जारी है।

दुःख की बात यह पं.नेहरू ने कहा था कि ऐसी परिस्थिति में कोई भी वार्ता नहीं की जाएगी, परंतु वार्ता करने की उनके मन की तैयारी प्रकट हो रही है। पहले का निर्णय बदल चुका है और अब चाऊ-एन-लाई से वार्ता करने की बात लगभग पक्की हो चुकी है। ''

एक पत्रकार ने इसी वार्ता में एक और प्रश्न पूछा, ''चार-पाँच वर्ष पूर्व जब आपने इस बात का रहस्योद्घाटन किया था, उस समय क्या आपसे सरकार ने कुछ पूछा था या आपने स्वयं ही उसे कुछ बताया था?

"उत्तर: नहीं-। मेरे बताने की आवश्यकता ही क्या थी? उसी अवधि में गोरखपुर से निकलने वाले मासिक ' कल्याण ' में श्री मिरजकर ने एक लेख में लिखा था कि कैलाश व मानसरोवर की यात्रा करते

समय रास्ते में चीन की चौकियाँ पड़ती हैं और उन चौकियों पर यात्रियों के संपूर्ण सामान की तलाशी लेने के पश्चात् ही उन्हें आगे जाने दिया जाता है।''

रामलीला मैदान के ही अपने भाषण में उन्होंने जो कहा वह आज पहले से भी अधिक प्रासंगित लगता है। चीन की विश्वासघात करने की प्रवृत्ति के बारे में उन्होंने कहा चीन ने ''तो स्पष्ट रूप से लोगों को चेतावनी दे दी थी कि वह कोई शांतिप्रिय नहीं है- आक्रमण न करने करने की संधि को माननेवाला नहीं है। वह आक्रमण करने पर तुला है। उसके ऐसे सब कृत्यों को देखने के पश्चात् भी अगर किसी ने विश्वास रखा होगा कि चीन तो अपना भाई है, इसलिए वह हम पर आक्रमण नहीं करेगा, तो गलती तो विश्वास करनेवाले की है। चीन की ओर से विश्वासघात के रूप में कुछ हुआ नहीं, क्योंकि उसने तो कभी विश्वास दिलाया ही नहीं था। यह कहना ठीक नहीं कि चीन ने विश्वासघात किया।कहना यह चाहिए कि हम लोगों ने ही चीन की प्रकृति को समझा नहीं।''

अभय कुमार दुबे का कॉलम: कांग्रेस के भीतर अपने ही बदन पर घाव लगाने की प्रवृत्ति पक रही है

अभय कुमार दुबे, सीएसडीएस, दिल्ली में प्रोफेसर और भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक - Dainik Bhaskar

राजनीतिक समीक्षकों को यह देखकर अफसोस के साथ-साथ ताज्जुब हो रहा होगा कि जो कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर लंबे अरसे से एक अध्यक्ष नहीं बना सकी है, उसने पंजाब में एक अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं। पंजाब को अगर हांडी के एक चावल की तरह देखा जाए तो पता लग सकता है कि कांग्रेस के भीतर क्या पक रहा है।

कांग्रेस के भीतर अपने ही बदन पर घाव लगाने की प्रवृत्ति पक रही है। गनीमत है कि बेरोकटोक चल रही अंतरकलह के बावजूद इस समय कांग्रेस अकाली दल से बहुत आगे है, वरना पार्टी के आलाकमान ने अपनी ही सरकार और संगठन का कबाड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

पंजाब की यह अंतरकलह कहां से आई? इसकी मैन्यूफेक्चरिंग पंजाब में नहीं, बल्कि दिल्ली में हुई है। कौन नहीं जानता कि नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के सामने एक पल नहीं टिक सकते, अगर उनकी पीठ पर राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी का हाथ न हो। सिद्धू जब अमृतसर से भाजपा के सांसद थे, तो उनकी हैसियत क्या थी? क्या वे पंजाब भाजपा के कोई बड़े नेता थे? वे सिर्फ एक मुखर नेता थे जो अलंकारिक भाषा बोलने में माहिर थे।

इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी में जाने की कोशिश की। जब वहां उनकी पटरी नहीं खाई तो वे कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस का आलाकमान अमरिंदर सिंह की खुदमुख्तारी से अनमना रहता है। इसलिए उसने सिद्धू को शह देनी शुरू कर दी। यह देखकर अमरिंदर सिंह विरोधी खेमा भी सिद्धू के साथ जुड़ गया।

अब हालत यह है कि सिद्धू दिल्ली जाते हैं, गांधी परिवार से मिलने से पहले प्रेस से बात करते हैं, और मिलने के बाद फिर प्रेस से बात करते हैं। यह राजनीतिक सर्कस लगातार चल रहा है। कांग्रेस अपनी संभावनाएं कमज़ोर कर रही है। पंजाब के मतदाता हैरत में हैं कि यह हो क्या रहा है। अगर पंजाब के चुनाव में कांग्रेस जीतते-जीतते रह गई तो इसका ठीकरा अमरिंदर सिंह के दरवाज़े पर नहीं बल्कि आलाकमान के दर पर फूटेगा।

एक ऐसे समय में जब हर चुनावी प्रदेश में कांग्रेस की शक्तियों को पूरी तरह से एकताबद्ध होना चाहिए, पंजाब में उसका उल्टा हो रहा है। जिन हरीश रावत को इस समय उत्तराखंड में कांग्रेस की उज्ज्वल संभावनाओं को साकार करने में लगा होना चाहिए, वे पंजाब में जल रही आग पर पानी डालने में व्यस्त हैं।

कांग्रेस अगर अपने पत्ते ठीक से खेले, तो इन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करके अपना मनोबल बहुत बढ़ा सकती है। गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल और गोवा में वह दो मुख्य ताकतों में से एक है। इनमें से उसे चार चुनाव जीतने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। गुजरात में कड़ी चुनौती पेश करनी चाहिए। उत्तर प्रदेश में वह बहुत पीछे है, लेकिन चतुर रणनीति के ज़रिये वह भाजपा के ऊंची जातियों के आधार में सेंध लगाकर उसे नुकसान पहुंचा सकती है।

कांग्रेस करो या मरो के दौर में पहुंच चुकी है। राहुल गांधी ने कहा है कि जो लोग भाजपा में जाना चाहते हैं, वे चले जाएं। यह बात ठीक है। लेकिन जो लोग भाजपा में नहीं जाना चाहते, पार्टी में ही रहना चाहते हैं, उनके लिए संगठन के अघोषित मुखिया के रूप में राहुल गांधी के पास क्या है? इस सवाल का जवाब कौन देगा?

प्रवृत्ति की रणनीति

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D-एवं F- ब्लॉक तत्व

Sc के समस्त यौगिक रंगहीन होते .

Updated On: 27-06-2022

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Solution : सकेण्‍डियम (Sc) के सभी यौगिकों में +3 ऑक्सीकरण अवस्था होता है जिसमें कोई अयुग्‍मित इलेक्ट्रॉन `(3d^(@))` नहीं होता अतः ये सभी यौगिक रंगहीन होते हैं।

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Aap ko kya acha nahi laga

नमस्कार दोस्तों हमारा प्रश्न है कि दोस्त हैं प्रेस ने बोला गया कि एसएससी के समस्त योगिक रंग ही होते हैं कारण दीजिए तो दोस्तों में बताने की ऐसी की जो है यह चौबारा तक तो है इससे जो हमारे योगी का निर्माण होता है यह हमारे जो योगिक है यह रंगहीन प्रवृत्ति के होते हैं रंगहीन प्रवृत्ति के होते हैं इनमें कोई भी कलर नहीं हो पाया जाता लेकिन के बने हुए योगिक में तो मैं बताने की इसका कारण क्या है यहां पर रंगीन होने का कारण क्या है यह मैं सच में पूछा गया तो सबसे पहले दोस्तों यह जो महत्व है इस तत्व के बारे में हम जान लेते हैं तो यह जो मारा था तो दिया गया तो यह हमारे पास ऐसी ठीक है इसका तो पूरा नाम क्या होता है इस सब जानते हैं स्कैंडियम के तौर पर ठीक है इसे आते ही होता हमारा स्कैंडियम ठीक है तो यह जिसका परमाणु क्रमांक सकते हैं कि यहां पर इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं अब तो यहां पर सबसे पहले इस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास

पैसा पाई जाती है जिसके आधार पर दोस्तों में देखेंगे कि यह रंगीन प्रवृत्ति का है या फिर हमारा रंगीन प्रवृत्ति का है तो सबसे पहले इस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखते हैं तो दोस्तों ऐसी जो है इस कैंडिस में हमारे 21 लीटर अनुपस्थित है इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखा जाएगा वह हमारे इस तरीके से होते हैं सबसे नजदीक पर जो हमारी अक्रिय गैस कौन सी है आर्गन जाते हैं और सीडी में होते तो तुम्हारे 1 लीटर ऑक्सीकरण ऑक्सीकरण अवस्था देखें तो यहां पर जो हमारी स्थाई ऑक्सीकरण अवस्था होगी ठीक है यहां पर हम किस को देखेंगे स्थाई ऑक्सीकरण अवस्था को स्थाई कब होगा दोस्तों अब यह आखिरी केस की भांति और हर करेगा ठीक है तो दोस्तों अपनी केस की भांति वह हार करेगा तो यह हमारा ही होगी का निर्माण करेगा तो इस कंडीशन में हम कह सकते हैं कि हमारे पूरे से इसके दो इलेक्ट्रॉन क्या कर सकता है

साथ में डी अपने 1 लीटर उनको क्या कर सकते हैं हम कह सकते हैं कि अधिकतम जो यहां पर ऑक्सीकरण अवस्था में देखने को मिलेगी वह कितनी मिलेगी प्लस थ्री हमें यहां पर अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्था देखने को मिलेगी क्योंकि यह हमारा प्लस सी रॉक्सी करना बताकर देखने को मिलेगी तो यह हमारा आर्यन की भांति वह करेगा जो कि एक तरह से क्या है हमारा अक्रिय गैस की भांति यह तो हमारा क्या करेगा व्यवहार करेगा ठीक है फ्री गैस की भांति व्यवहार करेगा इसलिए दोस्तों हमारी किस को प्राप्त कर लेगा यह हमारे स्थायित्व योगी को हम कह सकते हैं कि स्थाई योगिक का निर्माण करेगा स्थायित्व को प्राप्त कर लेगा ठीक है तो इस कंडीशन में दोस्तों यहां से देख पारे की प्लस 3 ऑक्सीकरण अवस्था में होती है प्लस 3 ऑक्सीकरण अवस्था इसमें होती है तो इस कंडीशन में हमारे 3D ऑर्बिटल इसमें क्या हॉस्पिटल में दोस्तों इलेक्ट्रॉनिक निकल जाएंगे तो 3D भी प्रवृत्ति की रणनीति हमारा खाली हो जाएगा साथ में हमारे कॉलेज में क्या हो जाएंगे खाली हो जाएंगे तुम्हारी बारी को उसके जो लेटरॉन है और इसमें हमारे जीरो थ्री डी में हमारे जवान होते हैं ठीक है

तुम कह सकते हैं कि इनमें जो है हमारे आयोग में इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं होते ठीक है आयोग में इलेक्ट्रॉन आयोग में इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं होते उपस्थित नहीं होते इस कारण से दोस्तों यह हमारा ही होगी क्या करेगा यह हमारे जो ऐसी स्कैंडियम योगिक है यह एक तरह से हमारा रंग हैं समिति दिखाएगा ठीक है इसमें कोई भी रह नहीं पाए जाएगा ठीक है हमारा रणनीति दिखाएगा तो दोस्तों यहां पर मैं इसके कारण पूछा गया था तो हम कारण क्या सकते हैं दोस्तों कि यहां पर हमारे यह स्कैंडियम प्लस थ्री ऑक्सीकरण अवस्था दिखाते हैं इस कारण से यह एक ही व्यवहार करता है जिसमें दोस्तों हमारे अमित इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं होते इसलिए दोस्तों यह मारा रंग ही योगी की तरह कार्य करते हैं और यही दोस्तों में प्रश्न पूछा गया था जो कि मेरे प्रश्न का उत्तर

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