ट्रेडर्स की पसंद

Amazon और Flipkart दोनों 29 सितंबर से फेस्टिवल सेल शुरू करने जा रही हैं. कुछ दिनों पहले इन कंपनियों ने बयान दिया था कि वे सेेेेेलर्स को अपने प्लेटफॉर्म पर कीमतें तय करने और अपनी पसंद की पेशकश करने का अधिकार देती हैं. इसके अनुसार उनके पोर्टल पर रजिस्टर्ड व्यापारी अपने ग्राहकों को अपने अनुसार कीमतों में छूट प्रदान करते हैं, जिसमें अमेजन या फ्लिपकार्ट की कोई भूमिका नहीं होती.
मां कालका ट्रेडर्स से खरीदा था नाग 455 किटनाशक,150 बीघा धान की फसल मर गई- narwar News
नरवर। शिवपुरी की नरवर तहसील अंतर्गत मगरौनी क्षेत्र के ग्राम ढिगवास ट्रेडर्स की पसंद में किसानों की खेत मे खड़ी हुई धान की खेती नकली दवाई डालने से खराब हो गई। किसानों का आरोप है कि अब तक न ही खेतों का मुआयना करने कोई प्रशासनिक अमला पहुंचा। ना ही दवाई देने वाले दुकानदार पर कोई कार्रवाई हुई।
मगरौनी क्षेत्र के ग्राम ढिगवास के रहने वाले किसान इंद्रजीत ने बताया कि उसने और गांव के अन्य 8 से 10 किसानों ने धान की फसल लगभग 150 बीघा में बोई थी। फसल अच्छी खासी खेत मे लहराना शुरू हो गई थी। इसी बीच धान की फसल में कीटनाशक दवा का छिड़काव करना था।
इसके लिए सभी ग्रामीणों ने मगरौनी के मां कालका ट्रेडर्स खाद बीज भंडार से धान की फसल में दवाई डालने ट्रेडर्स की पसंद नाग 455 नाम की कीटनाशक दवा खरीदी थी। जिसे डालने की प्रक्रिया भी समझी थी। जिसके बाद सभी किसानों ने कीटनाशक दवा को अपनी अपनी धान की फसलों में डाल लिया था।
उद्योग की तरह बने व्यापार नीतिः चैंबर ऑफ ट्रेडर्स फेडरेशन
नई दिल्लीः हर साल की तरह इस बार भी केंद्रीय बजट पर देश के करोड़ों लोगों की नजर लगी हुई। विशेषकर व्यापारी वर्ग की बात करे तो वह वित्त मंत्री सीता रमण से इस बार विशेष आस लगायें बैठे है। व्यापारी वर्ग का कहना है कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में जिस तरह उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पहल कर रहा है, उसी की तर्ज पर व्यापार पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएं। छोटे कारोबारियों को लाभ देने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री जम्मू के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने जोर दिया कि केंद्रीय बजट में जम्मू-कश्मीर में उद्योगों के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
चालू और नए उद्योगों पर आयकर पर आगामी पांच साल की छूट दी जाए। औद्योगिक प्रोत्साहन जो हैं, उन्हें प्लांट और मशीनरी की इन्वेस्टमेंट के साथ लिंक किया गया है, जबकि उन्हें लिंक न करके और पांच साल का प्रोत्साहन दिया जाए। इसमें पहले से लिमिट निर्धारित की गई है। केंद्र सरकार पहले खुद जम्मू-कश्मीर में मदर इंडस्ट्री को स्थापित करने की पहल करे। मसलन यहां रेल कोच मरम्मत फैक्टरी खोली जाए, जिसमें स्थानीय इकाइयां उत्पादन करके उन्हें माल दे। जीएसटी नियमों को सरल बनाया जाए और पुरानी ब्याज व जुर्माना माफ किया जाए। ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाउस नेहरू मार्केट के महासचिव दीपक गुप्ता ने कहा कि उद्योग नीति की तरह प्रधानमंत्री व्यापार नीति बनाएं। व्यापार से जुड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े बाजारों और ऑनलाइन बाजार की लिमिट को तय किया जाए, इससे स्थानीय बाजार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। नई ट्रेड पॉलिसी के तहत कम से कम 25000 रुपये बिल लिमिट तय की जाए।
Amazon-Flipkart की फेस्टिव सेल पर संकट के बादल! ट्रेडर्स ने क्यों कहा प्रतिबंध लगाए सरकार
व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ई-कॉमर्स कंपनियों Amazon और Flipkart की फेस्टिवल सेल और उसमें दिए जा रही भारी छूट को सरकार की FDI नीति 2018 का उल्लंघन करार दिया है. साथ ही सरकार से फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. CAIT ने दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से अपनी फेस्टिवल सेल का बचाव करने वाले बयान पर कड़ी आपत्ति भी जताई है.
क्या कहती है FDI पॉलिसी
खंडेलवाल ने कहा कि ये कंपनियां सरकार की FDI पॉलिसी का घोर उल्लंघन कर रही हैं. पॉलिसी में ई-कॉमर्स कंपनियों की भूमिका को अच्छी तरह से परिभाषित किया है और इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है. FDI नीति के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार, ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस मॉडल में 100% FDI की अनुमति है और जिसके तहत ई-कॉमर्स कंपनियां तकनीकी प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य कर सकती हैं. इसमें आगे कहा गया है कि इस तरह की ई-कॉमर्स कंपनियां केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) सेगमेंट में रहेंगी और बिजनेस टू कंज्यूमर्स (बी2सी) की गतिविधियों के लिए अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं कर सकेंगी. इसके अलावा, पॉलिसी स्पष्ट रूप से कहती है कि ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कीमतों को प्रभावित नहीं करेंगी और बाजार में प्रतिस्पर्धा के स्तर को बनाए रखेंगी.
खंडेलवाल ने अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों के बयान का दृढ़ता से खंडन करते हुए कहा कि जब उन्हें केवल बी2बी व्यापार के लिए अनुमति दी गई है तो फेस्टिवल सेल के आयोजन की आवश्यकता क्या है? उपभोक्ताओं को आकर्षित करने वाले बड़े विज्ञापन देना क्यों जरूरी है? बी2बी बिक्री का मतलब है कि उनके प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड विक्रेता अपना माल केवल व्यापारिक संस्थाओं को बेचेंगे और किसी भी उपभोक्ता को नहीं, जबकि उनके प्लेटफॉर्म पर पूरी बिक्री केवल उपभोक्ताओं को ही होती है, जो कि नीति का उल्लंघन है.
केवल वैल्युएशन बढ़ाना है मकसद
खंडेलवाल ने कहा कि अगर ये कंपनियां इतनी पारदर्शी और कानून का पालन करने वाली हैं तो फ्लिपकार्ट पर रजिस्टर्ड 1,00,000 विक्रेताओं और अमेजन पर रजिस्टर्ड 5,00,000 विक्रेताओं में से गत 5 वर्षों में वे पहले कौन से 10 विक्रेता हैं जिन्होंने सबसे अधिक सामान बेचा है, इसकी सूची जारी करनी चाहिए. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इसमें यह पाया जाएगा कि हर वर्ष समान रूप से 10 कंपनियों का एक ही समूह लगभग 80% माल बेच रहा है और वह भी केवल सीधे उपभोक्ताओं को, जो नियमानुसार गलत है. बाकी विक्रेता इनके प्लेटफॉर्म पर केवल मूकदर्शक होते हैं और इन प्लेटफॉर्म्स पर व्यापार करने का कोई अवसर नहीं पाते हैं, जिससे पता चलता है कि इन कंपनियों का आपूर्ति, कीमतों और पर सीधा नियंत्रण है जो कि नीति का एक खुला उल्लंघन है.
ये ई-कॉमर्स कंपनियां वास्तव में व्यापार नहीं करतीं बल्कि अपनी कंपनी की वैल्युएशन बढ़ाती हैं और उसी के लिए अपने पोर्टल पर अधिकतम डिस्काउंट देती हैं. इससे इन कंपनियों के पोर्टल पर आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो और कंपनियों का मूल्यांकन बढ़े. डिस्काउंट देने से हुए नुकसान की भरपाई इन कंपनियों के इन्वेस्टर करते हैं क्योंकि वैल्युएशन बढ़ने में उनका बहुत फायदा होता है. इसलिए अंततः यह ई-कॉमर्स में वैल्युएशन गेम है न कि सामान बेचने के लिए प्लेटफॉर्म.
ई-कॉमर्स का नहीं करते विरोध
खंडेलवाल ने आगे कहा कि देश ट्रेडर्स की पसंद के व्यापारी किसी भी प्रतिस्पर्धा से डरते नहीं हैं और ई-कॉमर्स का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन इसके लिए समान स्तर की प्रतिस्पर्धा का होना जरूरी है. ई-कॉमर्स कंपनियां बड़े डिस्काउंट देती हैं, जिससे बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा रहती है.
CAIT ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री से इन ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा सरकार की FDI नीति के घोर उल्लंघन पर तुरंत गौर करने और घोषित फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. CAIT ने सरकार से इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल की जांच करने का भी आग्रह किया है. CAIT को उम्मीद है कि सरकार तुरंत इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.
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बेतिया स्थित राय ट्रेडर्स के मैनेजर पर बेटे के साथ मिल कर 7.66 लाख उड़ाने एफआईआर
बेतिया, 09 अप्रैल। बेतिया शहर के सुप्रिया रोड स्थित राय ट्रेडर्स के प्रोपराइटर व सीमेंट-छड़ के होलसेलर अभय कुमार राय ने अपने प्रतिष्ठान के ट्रेडर्स की पसंद आलमीरा में रखे 7.66 लाख गायब गायब करने की एफआईआर दर्ज कराई है। नगर पुलिस के कालीबाग ओपी में सौंपे आवेदन में व्यवसायी द्वारा बताया गया है कि टेलीफोन पर अन्य स्टॉफ द्वारा दुकान में बिक्री के रखे रुपये गायब होने के घटना की जानकारी मिलते ही पहुंचने पर ट्रेडर्स की पसंद पाया कि कैशियर सह मैनेजर के पास चाभी रहने वाले मेन आलमीरा के अंदर का लॉकर खुला है। जबकि बाहर या गेट का कोई भी ताला टूटा नहीं है। वहीं मैनेजर सह कैशियर ज्ञान प्रकाश खूद गायब है। बुलाने पर बीमार होने की बात कहकर आने से इनकार कर दिया। उपरोक्त जानकारी के साथ घटना को पुलिस को सौपें आवेदन में अभय कुमार राय ने लिखित शिकायत की है। जिसके आधार पर आरोपित कैशियर ज्ञान प्रकाश (52) व उसके पुत्र सचिन कुमार (28) पर क्रमशः 7,66,900 तथा इससे पहले 76 हजार रुपये दुकान से पिता पुत्र द्वारा चोरी से उड़ाने की प्राथमिकी नगर थाना क्षेत्र के कालीबाग ओपी में दर्ज कराई गई है। अपने आवेदन में अभय कुमार राय ने बताया है कि शनिवार 4 अप्रैल 2022 को उक्त रुपया हमारे ऑफिस के मुख्य आलमीरा में रखकर रोज की तरह चाभी लेकर नगर के टैगोर कॉलोनी निवासी कैशियर ज्ञान प्रकाश चला गया.रविवार को सुबह 8.49 पर पुनः ज्ञान प्रकाश द्वारा खोला गया। जबकि रविवार को व्यवसायी और अन्य स्टॉफ नहीं आये। सोमवार को सुबह करीब 8.30 पर दुकान से कुल 7.66 लाख का गबन कर लिया गया है।फोन पर सूचना पाकर पहुंचने पर ज्ञान प्रकाश बीमार होने की आड़ में अस्पताल में भर्ती हो गए है। अपने आवेदन में व्यवसायी श्री राय द्वारा इस 7 लाख 66 हजार 900 का गबन ज्ञान प्रकाश पर लगाया गया है। वही पूर्व में इसी दुकान से उनके 76,000 सचिन कुमार द्वारा चोरी कर लेने का खुलासा किया है।एफआईआर दर्ज होने के साथ ही पुलिस आरोपी पिता पुत्र की खोज पड़ गयी है।
चीन को इस राखी सीजन में 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा: सीएआईटी
Written by: India TV Paisa Desk
Updated on: July 22, 2020 20:08 IST
Photo:PTI
China will lose Rs 4 thousand crore in this rakhi season: CAIT
नई दिल्ली। कारोबारियों के संगठन, कंफेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(सीएआईटी) को अनुमान है कि इस राखी सीजन में चीन को 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, क्योंकि लोग आगामी तीन अगस्त के रक्षा बंधन के लिए स्थानीय राखी को पसंद कर रहे हैं। सीएआईटी ने यह अनुमान भारत में चीनी उत्पादों के बहिष्कार के अभियान की वजह से लगाया है।