दलाल का व्यापार मंच

2023 में किस ब्रोकर को चुनना है?

2023 में किस ब्रोकर को चुनना है?
Q11. 2020 के ओलंपिक में युवा दर्शकों को लुभाने के लिए, टोक्यो खेलों के आयोजकों ने जापान के मोबाइल फ़ोनों के प्रसिद्ध पात्र _________ को अपना ब्रांड एम्बेसडर चुना है.

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Q3. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने विभिन्न बाजार बिचौलियों से लिए जाने वाले विभिन्न शुल्कों में कटौती के एक भाग के रूप में, प्रति एक करोड़ रु पर ब्रोकर शुल्क 25 प्रतिशत कम करते हुए प्रति लेन-देन पर ________ कम कर दिया है.

Q4. तंजानिया की एथलीट अलफोंस फेलिक्स सिम्बु (24) और केन्या की धावक बोर्नेस किटुर चेपकिरुई (31) ने ____ स्टैण्डर्ड चार्टर्ड मुंबई मैराथन (SCMM) में क्रमशः पुरुष और महिला वर्ग में शीर्ष स्थान प्राप्त किया.

Q7. विश्व प्रसिद्ध 11-दिवसीय गाला फेस्टिवल बारगढ़ धनुआ जात्रा 02 जनवरी 2017 को किस राज्य में शुरु हुआ ?

Q9. वरिष्ठ नागरिकों को उनके 7.5 लाख जमा के लिए कितने प्रतिशत ब्याज की गारंटी दी गई है जो अगले 10 वर्षों तक समान बनी रहेगी ?

Q10. भारत ने ओडिशा तट के अब्दुल कलाम व्हीलर द्वीप से सफलतापूर्वक स्वदेश निर्मित लम्बी दूरी की अंतरमहाद्विपीय ______________ परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-IV का परिक्षण किया.

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History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

आमतौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द बन चुका है. लेकिन Stock Exchange को लेकर अब भी कई लोगों के मन में कई सवाल हैं, जैसे कि इसके काम करने का तरीका क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आदि. आज हम यहां, बाज़ार से जुड़े इस शब्द, Stock Exchange का पूरा विशलेषण करेंगे. जिससे निवेशकों को उनके हर सवाल का सटीक उत्तर मिल पाए.

ऐसे शुरू हुआ भारत में Stock Exchange

भारत को आज़ादी मिलने से 107 वर्ष पहले ही देश में शेयर बाज़ार की नींव पड़ चुकी थी. मुंबई स्थित टाउनहॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयरों का सौदा किया जाता था. इस स्थान पर लगभग 22-25 लोग इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद और बिक्री में जुटते थे. साल दर साल निवेशकों की संख्या में आई वृद्धि के बाद, वर्ष 1875 में Stock Exchange के ऑफिस का निर्माण हुआ, जो आज दलाल स्ट्रीट के नाम से मशहूर है. वहीं सरकार द्वारा 1980 में Security and Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना से इस सिस्टम में पारदर्शिता लाई गई.

Stock Exchange को आसान शब्दों में समझें, तो यह वो जगह है जहां स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स, कमोडिटी की खरीद और बिक्री की जाती है. Stock Exchange एक ज़रिया है, जो निवेशकों और कंपनी के बीच काम करता है. जैसे किसी कंपनी को अगर फंड जुटाना हो, तो वह Stock Exchange में खुद को सूचीबद्ध करवाती है. इस प्रक्रिया पर आखिरी फैसला SEBI लेती है, जिसके बाद निवेशकों के कंपनी में निवेश के द्वार खुल जाते हैं. आपको बता दें, कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने की इस प्रक्रिया को Initial Public Offering (IPO) कहते हैं.

भारत में कितने हैं Stock Exchange?

वैसे तो ज़्यादातर लोग सिर्फ National Stock Exchange (NSE) और 2023 में किस ब्रोकर को चुनना है? Bombay Stock Exchange (BSE) ही जानते होंगे. मगर भारत में इन दोनों के अलावा भी 21 अन्य Stock Exchange भी थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सीमा पर काम करते थे. वहीं 8 Stock Exchange और भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. इनमें से 20 क्षेत्रीय एक्सचेंज, अब SEBI के नए नियमों के आने के बाद बंद हो गए. बंद हुए एक्सचेंज की सूची में Ahmedabad Stock Exchange, Chennai Stock Exchange, Pune Stock Exchange, U.P Stock Exchange आदि का नाम शामिल हैं.

भारत में BSE और NSE दो काफी महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों के शेयर, निवेशक या ब्रोकर सीधे तौर पर खरीदते और बेचते हैं. बात BSE की करें, तो यह वर्ष 1875 से मुंबई स्थित दलाल स्ट्रीट में है और विश्व के 10वें सबसे बड़े Stock Exchange का सूचकांक है, Sensex. इसकी स्थापना करने वाले Premchand Raichand को 'बिग बुल' के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर NSE की बात करें, तो यह भारत का पहला पूर्णतः कंप्यूटराइज्ड Stock Exchange है. वर्ष 1992 में स्थापित NSE की खासियत ये है कि, इसके सूचकांक को देखकर भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक देखी जा सकती है. आपको 2023 में किस ब्रोकर को चुनना है? बता दें, कि NSE का सूचकांक Nifty 50 है.

कैसे करें स्टाॅक्स में निवेश?

आम भाषा में समझें, तो शेयर मतलब हिस्सा और बाज़ार वो जगह जहां ग्राहक खरीददारी करता है. अब शेयर बाज़ार में निवेश को ऐसे समझें, कि कोई निवेशक NSE में सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदता है, जो कंपनी ने जारी किए हैं, तो उस निवेशक का कंपनी के खरीदे हुए शेयर के आधार पर उतना मालिकाना हक हुआ. शेयर की खरीद और बिक्री निवेशक की बुद्धि पर निर्भर करती है. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर की भी मदद लेते हैं. शेयर बाज़ार में मौज़ूद स्टाॅक्स में निवेश के लिए, निवेशकों को सबसे पहले एक डीमैट खाता खुलवाना होता है. जो आपके बैंक खाते से लिंक होकर, चाहे ब्रोकर के माध्यम से या खुद स्टाॅक्स की खरीद और बिक्री के माध्यम से मदद करेगा. वहीं वित्तीय समझ की बात करें, तो आज भी Stock Exchange से प्रभावित निवेशकों की सुबह, बाज़ार के उतार-चढा़व देखकर ही होती है.

ऐसा देखा गया है, कि कई बार शेयर बाज़ार में मौज़ूद कंपनियों के स्टाॅक्स या शेयर में ज़बरदस्त उछाल या गिरावट दिखती है. तो आपको बता दें, कि इस अचानक से आए हुए बदलाव की वजह कंपनी, अर्थव्यवस्था या वैश्विक स्तर की हलचल होती है. जैसे किसी कंपनी को अचानक मिला या छिना कोई आर्डर, कंपनी का मूल्यांकन, बाज़ार से जुड़ी शर्तों की अवहेलना, आदि. वहीं शेयर बाज़ार के पास, कंपनियों के दुर्व्यवहार करने पर गैर सूचीबद्ध करने का भी अधिकार होता है.

हाई लिक्विडिटी

शेयर बाजार में निवेश के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक इसकी हाई लिक्विडिटी है. शयरों को कभी भी बेचा जा सकता है और पैसा आपके खाते में क्रेडिट हो जाता है. भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) – प्रतिदिन काफी ज्यादा वॉल्यूम में कारोबार करते हैं इससे शेयर बाजार में हाई लिक्विडिटी बनी रहती है. नतीजतन, नए नए दौर के निवेशक यह जानते हुए स्टॉक खरीद और बेच सकते हैं कि वे जब चाहें उन्हें भुना सकते हैं, केवल एक बटन के क्लिक पर.

शेयर मार्केट में निवेशकों एसआईपी के जरिये भी निवेश की सुविधा मिलती है. यह उन लोगों के लिए खास तौर पर मददगार है, जो पूंजी बाजार में अपनी निवेश यात्रा शुरू कर रहे हैं. अधिकतर लोग शुरुआती रिस्क फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए छोटे निवेश की तलाश करते हैं. यह वह जगह है जहां शेयर बाजार लचीलापन प्रदान करते हैं। यदि आप निवेश करना चाह रहे हैं, तो आपका स्टॉक ब्रोकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी एडवांस तकनीक का उपयोग करके आपके बजट और पसंद के अनुसार शेयर चुनने में आपकी मदद कर सकता है. इसके अलावा 2023 में किस ब्रोकर को चुनना है? शेयर बाजार में निवेश करना समयबद्ध प्रतिबद्धता नहीं है. आप इसे अपनी गति और सुविधा से कर सकते हैं, गिरावट पर खरीदारी कर सकते हैं और बढ़ने पर बेच सकते हैं.

अर्थव्यवस्था में रफ्तार से होता है फायदा

शेयर बाजार में निवेश कर आप तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के फायदों को सीधे हासिल कर सकते है, क्योंकि कंपनियों का रेवेन्यू समय के साथ कई गुना बढ़ जाता है. एक निवेशक के तौर पर आपको इसका लाभ मिलता है. नतीजतन, शेयर बाजार में आपके निवेश की भी वैल्यू बढ़ती जाती है.

शेयर बाजार में निवेश लंबी अवधि के रिटर्न देता है. यह सुरक्षित और पारदर्शी है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब टारगेटेड निवेश योजना की बात आत है तो महंगाई को मात करने में इसका इस्तेमाल मददगार साबित होता है. उभरते हुए टेक-इनेबल्ड प्लेटफार्मों ने निवेश के अवसरों की खोज, ट्रेड और निवेश, और पूंजी बाजार के ट्रेंड्स पर नजर रखना आसान बना दिया है, यहां तक कि शुरुआत करने वाले लोगों के लिए भी यह काफी आसान है. निवेश की शुरुआत में कभी देर नहीं मानी जाती. इस साल शेयर बाजार 4 नवंबर को शाम सवा छह बजे से सवा सात बजे के बीच मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए खुलेगा. इसलिए, तैयार हो जाइए और इस फेस्टिव सीजन में अपनी निवेश यात्रा शुरू करने के लिए .

IRCTC का IPO: मोटा मुनाफा कमाने का मौका | INVESTMENT OPPORTUNITY

भारतीय रेल के लिए रेल टिकट बुकिंग सहित तमाम सारी सेवाएं देने वाली कंपनी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंट टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) में अब आप भी अपना पैसा निवेश कर बिना काम किए मुनाफा कमा सकते हैं। IRCTC लगातार फायदे में चल रहा है। इसका रिकॉर्ड दमदार है अत: यह माना जा सकता है कि इसमें नुक्सान होने की संभावनाएं बहुत ही कम हैं।

2019 के अगस्त तक IRCTC अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लॉन्च कर सकती है। IRCTC के IPO के जरिए भारतीय रेलवे की 400 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। इसके लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है। इस आईपीओ में निवेश कर आप भी पैसा बना सकते हैं। आईआरसीटीसी रेलवे का खानपान और पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों की जिम्मेदारी संभालती है।

अब तक रेलवे की तीन कंपनियां लिस्ट

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने अप्रैल 2017 में रेलवे की 5 कंपनियों को लिस्ट कराने को मंजूरी दी थी। इनमें इरकॉन इंटरनेशनल, राइट्स, रेल विकास निगम (RVNL), आईआरएफसी और आईआरसीटीसी शामिल हैं। इनमें से इरकॉन इंटरनेशनल, राइट्स और RVNL को 2018-19 में लिस्ट कर लिया गया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के विनिवेश से 90,000 करोड़ रुपए का बजट लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में विनिवेश से 85,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया था।

जब कोई कंपनी पहली बार आम लोगों के सामने कंपनी का कुछ हिस्सा बेचने का प्रस्ताव रखती है तो इस प्रक्रिया को इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) कहा जाता है। इसके लिए कंपनियां खुद को शेयर बाजार में लिस्ट कराकर अपने शेयर निवेशकों को बेचने का प्रस्ताव लाती हैं। लिस्टेड होने के बाद कंपनी के शेयर्स की खरीद और बिक्री शेयर बाजार में संभव होती है।

IPO में कैसे निवेश करें

IPO में आप अपने स्तर पर सीधे निवेश कर सकते हैं, जिसके लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। इसमें ब्रोकर के जरिए निवेश किया जा सकता है। हर ब्रोकरेज हाउस आईपीओ में निवेश के लिए अपनी वेबसाइट पर एक अलग सेक्शन रखता है। जहां जाकर आप कुछ सूचनाएं भरने के बाद आईपीओ के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन सूचनाओं में प्रमुख है कि आप कितने स्टॉक के लिए किस कीमत पर अप्लाई करना चाहते हैं। आपके आवेदन के हिसाब से उतनी रकम आईपीओ बंद होने से लिस्टिंग तक ब्लॉक कर दी जाती है।

अच्छा आईपीओ चुनने के लिए सबसे पहले तो उस कंपनी की साख देखें जो अपना आईपीओ ले आ रही है। कई रेटिंग एजेंसियां उस आईपीओ को अपना रेटिंग भी देती हैं, जिसपर नजर रखना जरूरी है। अगर 2 या 2 से अधिक एजेंसियों की रेटिंग आईपीओ पर पॉजिटिव है तो उसमें निवेश किया जा सकता है। कंपनी के अच्छे बिजनेस के साथ साथ आईपीओ की कीमत भी देखें। ब्रोकर्स की रिपोर्ट को भी देखना चाहिए। बाजार प्रमोटर्स के अलावा दूसरे निवेशकों के बारे में भी जानकारी जुटाएं।

Rules of MFT

MFT के लिए दिए गए ETF पर कम से कम 7.5% haircut के रुप में रखा जायेगा। जो ETF आप मार्जिन फंडिंग के लिए देंगे, उस ETF को और जो शेयर या ETF आप इस फंडिंग अमाउंट से खरीदेंगे उन दोनों को अलग रखा जाएगा। अगर आपके द्वारा दिए गए ETF की कीमत बढ़ती है, तो आपको उतनी अतिरिक्त फंडिंग अमाउंट मिल जाएगी। किन्तु आपके द्वारा फंडिंग अमाउंट से खरीदे हुए शेयर या ETF की कीमत बढ़ने पर आपको अतिरिक्त फंडिंग नहीं मिलेगी।

उदाहरण के लिए आपने 1 लाख रूपये का ETF ब्रोकर के पास जमा करवाया। हेअरकट के बाद उसकी कीमत 92.5 हजार रूपये होगी। आपने 92.5 हजार रूपये का ETF और खरीद लिया। मान लीजिए की इस ETF की कीमत 20% की बढ़ोतरी हो जाती है, यानि 1.2 लाख रूपये हो गई। आपको अतिरिक्त 20 हजार रूपये में से 1500 रूपये हेअरकट कम करके 18500 रूपये की अतिरिक्त फंडिंग मिल जाएगी। आपके द्वारा खरीदे गए MFT वाले 92.5 हजार रूपये के ETF की कीमत भी बढ़ गई है किन्तु आपको MFT में खरीदे गए ETF पर अतिरिक्त फंडिंग नहीं मिलेगी।

Be Careful While Using MFT

Margin Trading with ETF, करते समय ध्यान दें कि आपके द्वारा MFT के लिए दिए गए ETF या स्टॉक की कीमत अगर कम हो जाती है तो आपको उतना अतिरिक्त अमाउंट ब्रोकर के पास जमा करवाना पड़ेगा।

उदाहरण के लिए आपने जो 1 लाख रूपये का ETF ब्रोकर के पास जमा करवाया। हेअरकट के बाद उसकी कीमत 92.5 हजार रूपये है। आपने 92.5 हजार रूपये का ETF और खरीद लिया। मान लीजिए की इस ETF की कीमत 20% कम हो जाती है यानि 80 हजार रूपये रह गई। आपको अतिरिक्त 20 हजार रूपये जमा करवाने होंगे।

List of ETFs for MFT

यह जानना भी जरूरी है कि कौन से ETF हैं, जो ‘Group I security’ की परिभाषा में आते हैं। दुर्भाग्यवश सिर्फ एक ETF है, जिस पर की Margin Trading with ETF संभव है। उस ETF का नाम है, Nippon India ETF Nifty 50 BeES (NIFTYBEES). इसके अतिरिक्त, कोई भी ETF इस श्रेणी में शामिल नहीं है। भविष्य में, हो सकता है कि कुछ और ETF इस श्रेणी में शामिल हों, जिन पर आप Margin Trading कर पाएं।

Margin trading with ETF से संबंधित अगर कोई अन्य जानकारी चाहिए तो कमेंट करके हमें बताएं।

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