समर्थन क्या है

The increase in MSP for Rabi Marketing Season 2022-23 for wheat, barley, gram, lentil (masur), rapeseed & mustard are giving more than 50 per cent return over cost of production.#MSPhaiAurRahega@nstomar @narendramodi @ShobhaBJP @KailashBaytu @SecyAgriGoI @mygovindia @PMOIndia — Agriculture INDIA (@AgriGoI) September 8, 2021
क्या और कैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)?
प्रत्येक फसल के मौसम के दौरान, केंद्र सरकार 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। सीधे शब्दों में कहें तो किसी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP: minimum support prices) वह मूल्य होता है जिस पर सरकार को उस फसल को किसानों से खरीदना होता है यदि बाजार मूल्य इससे नीचे आता है।
- वस्तुतः MSP बाजार कीमतों के लिए एक आधार प्रदान करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि किसानों को एक निश्चित “न्यूनतम” पारिश्रमिक प्राप्त हो ताकि उनकी खेती की लागत (और कुछ लाभ) की वसूली की जा सके।
- MSP एक और नीतिगत उद्देश्य की पूर्ति करता है। इसका उपयोग करते हुए, सरकार कुछ फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है, इस प्रकार यह सुनिश्चित करती है कि भारत में मुख्य खाद्यान्न की कमी नहीं हो।
- आम तौर पर, MSP न केवल उन जिंसों में, जिनके लिए उनकी घोषणा की गई है, बल्कि उन फसलों के भी जो विकल्प हैं, कृषि कीमतों के लिए बेंचमार्क बनाते हैं।
MSP द्वारा कवर की जाने वाली फसलों में शामिल हैं:
- 7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ),
- 5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तूर, उड़द, मूंग और मसूर),
- 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, नाइजरसीड),
- 4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)
कौन तय करता है MSP?
न्यूनतम समर्थन फसल (MSP) की घोषणा केंद्र सरकार करती है और इसलिए यह सरकार का फैसला होता है। लेकिन सरकार “कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP)” की सिफारिशों पर अपने फैसले को आधार बनाती है।
MS की सिफारिश करते समय, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखता है:
Minimum Support Price 2021-22 MSP - न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीफ व रबी फसल 2021-22 PDF
जब किसान खरीफ या रबी कोई भी फसल उगाती है। जब फसल का उत्पादन होता है तो उसके पास एक समस्या आती है कि इस अनाज को कहां बेचे ? इसका उसे उचित मूल्य मूल्य मिल पाएगा भी कि नहीं?
इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार खरीफ या रबी सीजन से पहले यानिकी फसल उगाने से ठीक पहले कुछ निर्धारित फसलों का मूल्य निर्धारित कर देती है कि इस फसल को हम इतने रुपए में खरीदेंगे ।
अगर कभी किसी फसल का उत्पादन बहुत अधिक या बंपर हो जाती है तो सामान्यत: देखा जाता है कि उस फसल का मूल्य कम हो जाता है । क्योंकि आप सभी जानते ही हैं कि जब किसी वस्तु की Supply आपूर्ति अधिक होती है तो उसका मूल्य (Price) गिरने लगती है । किसानों को ऐसी ही नुकसान से बचाने के लिए ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है । न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण खरीफ और रबी सीजन से पहले सरकार कर देती है ताकि किसानों को नुकसान ना हो ।
परिभाषा । Definition of MSP :-
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य है जिसके आधार पर भारतीय सरकार किसानों से फसल खरीदती है चाहे वह समर्थन क्या है फसल किसी भी मूल्य के आधार पर उगाया गया हो ।
MSP की सिफारिश कौन करता है ?
Who Recommend MSP :-
रबी या खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश CACP यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Cost and Prices) करती है । यह CACP अपनी सिफारिश CCEA (Cabinet Committee on Economic Affairs) को देता है । यह CACP की बात मान भी सकती हैं और नहीं भी ।
CACP का नाम पहले Agricultural Price Commission (APC) था, जिसकी स्थापना 1 जनवरी 1965 को हुई। जिसे 1985 में बदलकर CACP (Commission for Agricultural Cost and Prices) कर दिया गया ।
MSP तय कैसे होता है ?
कृषि सुधारों के लिए सन 2004 में स्वामीनाथन आयोग बना था । इस आयोग ने न्यूनतम समर्थन समर्थन क्या है मूल्य (MSP) तय करने के लिए कई फार्मूले सुझाए थे । डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य , औसत उत्पादन से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में NDA सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश समर्थन क्या है को लागू किया और 2018 - 19 के बजट में उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) करने की घोषणा की मतलब मान लो कि किसी फसल को उगाने में किसान को ₹100 की लागत आती है तो सरकार उसे ₹150 में खरीदेगी ।
कितनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय की गई है?
How many crops are there in MSP? :-
न्यूनतम समर्थन मूल्य रबी व खरीफ की कुछ अनाज वाली फसलों के लिए तय किया जाता है । फिलहाल 23 फसलों के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है जिसका विवरण नीचे दी गई है ।
समर्थन क्या है
डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 8 सितंबर, 2021,
केंद्र सरकार ने बुधवार को चालू फसल वर्ष के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (समर्थन क्या है MSP) 40 रुपए बढ़ाकर 2,015 रुपए प्रति क्विंटल और सरसों के लिए 400 रुपए से बढ़ाकर 5,050 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस बारे में फैसला लिया गया।
किसान भाइयों और बहनों के हित में सरकार ने आज एक और बड़ा निर्णय लेते हुए सभी रबी फसलों की MSP में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। इससे जहां अन्नदाताओं के लिए अधिकतम लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होंगे, वहीं कई प्रकार की फसलों की बुआई के लिए भी उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।https://t.co/xsjC99rvQg
— Narendra Modi (@narendramodi) September 8, 2021
एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है। वर्तमान में, सरकार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है। खरीफ (गर्मी) फसलों की कटाई के तुरंत बाद अक्टूबर से रबी (सर्दियों) फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। गेहूं और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी की अध्यक्षता में आज आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति (#CCEA) ने रबी विपणन सत्र 2022-23 के लिए सभी अधिदेशित रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को दी मंजूरी…#Cabinet #AatmaNirbharKrishi pic.twitter.com/WZxJsDznlF
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) September 8, 2021
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, सीसीईए ने 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) और 2022-23 मार्केटिंग सत्रों के लिए 6 रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है। इस फसल वर्ष के लिए गेहूं का एमएसपी 40 रुपए बढ़ाकर 2,015 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2020-21 फसल वर्ष में 1,975 रुपये प्रति क्विंटल था।
The increase in MSP for Rabi Marketing Season 2022-23 for wheat, barley, gram, lentil (masur), rapeseed & mustard are giving more than 50 per cent return over cost of production.#MSPhaiAurRahega@nstomar @narendramodi @ShobhaBJP @KailashBaytu @SecyAgriGoI @mygovindia @PMOIndia
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) September 8, 2021
विज्ञप्ति में कहा गया है कि गेहूं की उत्पादन लागत 1,008 रुपए प्रति क्विंटल अनुमानित है। अधिकारी के अनुसार, सरकार ने 2021-22 रबी मार्केटिंग सत्र के दौरान 43 मिलियन टन से अधिक का रिकॉर्ड गेहूं खरीदा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी विपणन मौसम (आरएमएस) 2022-23 के लिए सभी अधिदेशित रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी#CabinetDecisions #MSPhaiAurRahega pic.twitter.com/isCg8EHEuN
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) September 8, 2021
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भारत तेजी से आगे बढ रहा है। खेती-किसानी से लेकर तमाम क्षेत्रों में तकनीक के इस्तेमाल और औद्योगिकीकरण से संपन्नता बढ रही है। लेकिन हम यहां बात कर रहे हैं एक ऐसे क्षेत्र की जिसका जिसका संबंध हर एक घर से है हर एक शख्स से है। जी हां हम बात कर रहे हैं डेयरी उद्योग की। डेयरी को आमतौर पर महज दूध उत्पादन और उसकी बिक्री तक ही पहचाना जाता है। लेकिन ये इस क्षेत्र का सिर्फ एक पहलू है। दूध, घी, मक्खन, छाछ, दही, पनीर जैसी चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं और जैसे-जैसे देश के लोगों की क्रय शक्ति बढ़ती जा रही है देश में प्रति व्यक्ति डेयरी उत्तपादों की खपत बढती जा रही है। डेयरी उद्योग से जुडे आंकडों के मुताबिक भारत में समर्थन क्या है डेयरी उद्योग करीब 6 लाख करोड़ का है और सबसे बडी बात ये ही कि इसमें सिर्फ 20 फीसदी उद्योग संगठित है और बाकी 80 फीसदी असंगठित।
ये MSP-MSP क्या है? समझिए वो फंडा जिस पर हो रहा है इतना हंगामा
Farmers Protest: कड़ाके की ठंड और भूख-प्यास की परवाह किए बिना देश का अन्नदाता कहा जाने वाला किसान पिछले 2 महीने से भी ज्यादा दिनों से सड़कों पर (Kisan Andolan) है. अपने घर की सुख-सुविधाएं छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर हजारों किसान दिल्ली के बॉडर्र की सड़कों पर डेरा जमाए हुए बैठे हैं. इस दौरान किसान आंदोलन हिंसक रूप भी ले चुका है.
किसानों के आंदोलन (farmers agitation) में एक चीज बार-बार निकल कर सामने आ रही है और वह है फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price) यानी एमएसपी.
किसानों का कहना है कि सरकार ने हाल ही में जो तीन नए कृषि कानून (New Farm Laws) बनाए हैं उनके पीछे सरकार की मंशा न्यूनतम समर्थन मूल्य सिस्टम को खत्म करने की है. हालांकि, सरकार बार-बार यही दुहाई दे रही है कि नए कानूनों से वर्तमान व्यवस्था पर कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा, उल्टा किसानों को फायदा ही होगा. एमएसपी सिस्टम पहले की तरह ही चलता रहेगा.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) टॉप ट्रेंड बना हुआ है. हम में से बहुत से लोग वाकिफ नहीं होंगे कि ये एमएसपी क्या होता है. या फिर ये कैसे तय किया जाता है, इससे किसानों को क्या फायदा है. यहां हम आपको तफ्सील के साथ बता रहे हैं कि ये एमएसपी क्या है और इसे तय करने का फार्मूला क्या है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (What is Minimum support price)
MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम सर्मथन मूल्य होता है. MSP सरकार की तरफ से किसानों की अनाज वाली कुछ फसलों के दाम की गारंटी होती है. राशन सिस्टम के तहत जरूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए इस एमएसपी पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है.
पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन से MSP के फायदे और नुकसान
बाजार में उस फसल के रेट भले ही कितने ही कम क्यों न हो, सरकार उसे तय एमएसपी पर ही खरीदेगी. इससे यह फायदा होता है कि किसानों को अपनी फसल की एक तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं. हालांकि मंडी समर्थन क्या है में उसी फसल के दाम ऊपर या नीचे हो सकते हैं. यह किसान की इच्छा पर निर्भर है कि वह फसल को सरकार को बेचे एमएसपी पर बेचे या फिर व्यापारी को आपसी सहमति से तय कीमत पर.
कौन तय करता है MSP
फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य CACP यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग तय करता है. CACP तकरीबन सभी फसलों के लिए दाम तय करता है. हालांकि, गन्ने का समर्थन मूल्य गन्ना आयोग तय करता है. आयोग समय के साथ खेती की लागत के आधार पर फसलों की कम से कम कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है. सरकार इन सुझाव पर स्टडी करने के बाद एमएसपी की घोषणा करती है.
किन फसलों का तय होता है एमएसपी (MSP for Crops)
रबी और खरीफ की कुछ अनाज वाली फसलों के लिए एमएसपी तय किया जाता है. एमएसपी का गणना हर साल सीजन की फसल आने से पहले तय की जाती है.
फिलहाल 23 फसलों के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है. इनमें अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है. धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, समर्थन क्या है जूट आदि की फसलों के दाम सरकार तय करती है.
एमएसपी का फायदा (Benefits of MSP)
एमएसपी तय करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर बाजार में फसल का दाम गिरता है, तब भी यह तसल्ली रहती है कि सरकार को वह फसल बेचने पर एक तय कीमत तो जरूर मिलेगी.
एमएसपी तय करने का फार्मूला (MSP formula)
केंद्र में जब मोदी सरकार आई थी तब उसने फसल की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करने के नए फार्मूले अपनाने की पहल की थी. कृषि सुधारों के लिए 2004 में स्वामीनाथन आयोग बना था. आयोग ने एमएसपी समर्थन क्या है तय करने के कई फार्मूले सुझाए थे. डा. एमएस स्वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि एमएसपी औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया औ 2018-19 के बजट में उत्पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना एमएसपी करने की घोषणा की.
कैसे होती है किसानों से खरीद (Crop Procurement)
हर साल बुआई से पहले फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो जाता है. हर खरीफ और रबी सीजन के लिए एमएसपी तय होता है. बहुत से किसान तो एमएसपी देखकर ही फसल बुआई करते हैं.
एमएसपी पर सरकार विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से किसानों से अनाज खरीदती है. MSP पर खरीदकर सरकार अनाजों का बफर स्टॉक बनाती है. सरकारी खरीद के बाद FCI और नैफेड के पास यह अनाज जमा होता है. इस अनाज का इस्तेमाल सार्वजनिक वितरण समर्थन क्या है प्रणाली (PDS) के लिए होता है.
अगर बाजार में किसी अनाज में तेजी आती है तो सरकार अपने बफर स्टॉक में से अनाज खुले बाजार में निकालकर कीमतों को काबू करती है.
MSP सिस्टम की दिक्कत
किसानों की फसलों की लागत तय कर पाना मुश्किल होता है. छोटे किसान अपनी फसल को MSP पर नहीं बेच पाते हैं. बिचौलिये, किसान से खरीदकर फसल खरीदकर MSP का फायदा उठाते हैं. अभी कई फसलें MSP के दायरे से बाहर हैं.
केरल में सब्जियों का भी एमएसपी (Vegetables MSP)
केरल सरकार ने सब्जियों (Vegetables) के लिए आधार मूल्य (Base Price) तय कर दिया है. केरल सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. यह व्यवस्था 1 नवंबर से लागू हो गई है. सब्जियों का यह न्यूनतम या आधार मूल्य (Base Price) उत्पादन लागत (Production Cost) से 20 फीसदी अधिक होगा. एमएसपी के दायरे में फिलहाल 16 तरह की सब्जियों को लाया गया है.
हरियाणा भी केरल की राह पर
केरल की तर्ज पर ही हरियाणा सरकार ने भी सब्जियों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाने की पहल की है. इसके लिए सुझाव मांगे जा रहे हैं. मंडियों का सर्वे किया जा रहा है.