शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है?

ट्रेडिंग क्या होता है?
Trading Kya Hai : आज के समय में शेयर बाजार में पैसा लगाना काफी आम हो गया है लेकिन शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों में से अधिकतर लोग ट्रेडिंग के बारे में जानकारी नहीं रखते हैं। शेयर बाजार में कम समय के अंदर ज्यादा मुनाफा कमाने वाले लोग मुख्य तौर पर ट्रेडिंग करते हैं। ट्रेडिंग कई प्रकार की अलग-अलग चीजों पर किया जा सकता है।
Image: Trading Kya Hai
मुख्य रूप से शेयर पर ट्रेडिंग करना काफी लोकप्रिय हुआ है। हालांकि वर्तमान समय में स्टॉक पर भी ट्रेडिंग करके लोग रोजाना अच्छे पैसे भी कमा रहे हैं। ट्रेडिंग के मदद से आप कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
ट्रेडिंग ही एकमात्र ऐसा जरिया है, जो लोगों को ऑनलाइन बेहतरीन पैसे कमाने का और कम समय में अधिक पैसे कमाने का मौका देता है। आज के आर्टिकल में हम आपको ट्रेडिंग क्या होता है? ट्रेडिंग के कितने प्रकार हैं? इन सभी सवालों के जवाब देने का प्रयास करेंगे।
ट्रेडिंग क्या होता है?(Trading Kya Hai)
सामान्य शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? तौर पर हम किसी भी बिजनेस को करते समय ट्रेडिंग शब्द का प्रयोग अक्षर करते हैं। ट्रेडिंग का मतलब यह होता है कि कम प्राइस में किसी भी वस्तु को खरीदकर उसे अधिक प्राइस में मुनाफे के साथ बेचना ट्रेडिंग कहलाता है।
शेयर बाजार में भी ट्रेडिंग के माध्यम से खरीदने व बेचने का काम होता है। जिसमें किसी भी स्टॉक को कम प्राइस में खरीद लिया जाता है और थोड़े समय बाद जब स्टॉक की कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो उसे बेच दिया जाता है। इस प्रक्रिया को ट्रेडिंग का नाम दिया गया है।
ट्रेडिंग के माध्यम से किसी भी शहर को खरीदना और उसे कम समय में अधिक मुनाफे के साथ बेचना काफी आम हो गया है। लेकिन कई बार कम समय में लोगों को फायदा नहीं मिलता है। लाखों लोग रोजाना शेयर पर ट्रेडिंग करके ही अपना घर चलाते हैं और अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं। शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले लोग आज विश्व के अरबपतियों की सूची में भी शामिल है।
ट्रेडिंग को दूसरी भाषा में समझा जाएं तो किसी भी वस्तु को खरीदने के बाद जब उस वस्तु के भाव बढ़ जाए तो उसे बेच देना ट्रेडिंग कहलाता है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या होता है?
शेयर मार्केट के ट्रेडिंग की बात की जाएं तो शेयर मार्केट का ट्रेडिंग सुबह 9:15 पर शुरू होता है। कहने का मतलब यह है कि शेयर मार्केट 9:15 पर खुलता है। जो दोपहर 3:30 तक रहता है। 3:30 के बाद आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं क्योंकि शेयर मार्केट बंद हो जाता है।
इस बीच जितने भी शेयर को खरीदा और बेचा जाता है, उसके माध्यम से व्यक्ति अच्छा मुनाफा कमा सकता है। शेयर मार्केट के ट्रेडिंग में अलग-अलग प्रकार की तकनीक का प्रयोग करके लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं।
क्योंकि यहां ट्रेडिंग के दौरान जोखिम बहुत अधिक होता है और इसी जोखिम से बचने के लिए सभी लोग अपने-अपने अलग-अलग फॉर्मूला का प्रयोग करते हुए शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं। फिर अपनी सुविधा और जोखिम के आधार पर ही ट्रेडिंग करते हैं क्योंकि यहां किस समय आपको नुकसान हो जाएगा इसका पहले से अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल है।
ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है?
ट्रेडिंग के प्रकार के बारे में बात की जाएं तो ट्रेडिंग करने के अलग अलग प्रकार होते हैं। जिसकी मदद से व्यक्ति शेयर बाजार में पैसा लगाता है और हर रोज पैसा कमाता है। ट्रेडिंग को मुख्य तौर पर चार भागों में विभाजित किया गया है। ट्रेडिंग के प्रकार नीचे दिए गए हैं:
- Intraday Trading
- Scalping Trading
- Swing Trading
- Positional Trading
Intraday Trading क्या है?
यह एक तौर से सामान्य ट्रेडिंग है, जो सुबह शेयर बाजार खुलने से लेकर बंद होने के बीच की जाती है। इस ट्रेडिंग का समय सुबह 9:15 से लेकर शाम 3:30 तक रहता है।
शेयर बाजार में इस समय अवधि के दौरान आप किसी भी स्टाफ को खरीद वह बेच सकते हैं। स्प्रेडिंग में आपको 1 दिन का समय मिलता है। यानी कि आपको 1 दिन में शेयर को खरीदकर उन्हें बेचना भी होता है।
Scalping Trading क्या है?
इस प्रकार की ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर बाजार के खुलने से लेकर बंद होने तक पूरे दिन ट्रेडिंग करने की अनुमति नहीं दी गई है। यह ट्रेडिंग मात्र 50 मिनट के लिए खुलती है। सुबह 9:15 पर जब शेर बाजार खुलता है। तब से यह ट्रेडिंग शुरू होती है और सुबह में 10:05 पर यह ट्रेडिंग बंद हो जाती है।
इस बीच इस प्रकार की ट्रेडिंग के माध्यम से आप शेयर को खरीद सकते हैं और बेच सकते हैं और इस प्रकार की ट्रेडिंग के माध्यम से मात्र 50 मिनट में आप जो मुनाफा कमा सकते हैं, उतना कमा सकते हैं। इस ट्रेडिंग का टाइम मात्र 50 मिनट का होता है।
Swing Trading क्या है?
इस प्रकार की ट्रेडिंग अन्य दोनों ट्रेडिंग से पूरी तरह से अलग है। इस ट्रेडिंग के माध्यम से आप किसी एक दिन शेयर को खरीदकर उसे जब चाहे तब वापस बेच सकते हैं। यानी कि इसके लिए कोई निश्चित अवधि नहीं है। आपको इस प्रकार के ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर को खरीदकर उसे होल्ड रखने का मौका मिलता है और जब उस शेयर या स्टॉक की कीमत में इजाफा होता है।
तब आप उस शेयर को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। ज्यादातर लोग इसी बिल्डिंग का प्रयोग करके शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं क्योंकि कम समय में नुकसान अधिक होने का चांस रहता है। ऐसे में होल्ड करके पैसे रखना उनके लिए काफी ज्यादा सेफ माना जाता है।
Positional Trading क्या है?
यह ट्रेडिंग सबसे लंबे अवधि के ट्रेडिंग मानी जाती है। इस बिल्डिंग के माध्यम से बहुत ही कम इन्वेस्टमेंट से अच्छा पैसा कमाया जा सकता है या ऐसे भी कह सकते हैं कि यह ट्रेडिंग बहुत ही कम रिस्की भी होती है क्योंकि लंबे समय तक आप उस स्टॉक की कीमत को अच्छे से एनालाइज कर सकते हैं।
जब स्टॉक की कीमत में इजाफा होता है तब उसे बेचकर पैसे कमाए जा सकते हैं। शेयर बाजार में रोजाना अप डाउन का असर होता रहता है। ऐसे में लंबे समय तक किसी भी शेयर को एनालाइज करने के बाद अच्छा प्रॉफिट देखते ही उसे आराम से बेचा जा सकता है।
Trading कैसे की जाती है?
ट्रेडिंग करना बहुत ही आसान है। हर प्रकार के बिजनेस में ट्रेडिंग की प्रक्रिया ही अपनाई जाती है। किसी भी वस्तु को कम प्राइस में खरीदकर उसे मुनाफे के साथ अधिक प्राइस में बेचना ट्रेडिंग होता है। उदाहरण के तौर पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग की बात की जाएं तो सुबह 9:15 पर किसी भी एक शेर को ₹90 में खरीदकर उसे 1:00 बजे तक या फिर 3:30 से पहले ₹100 में बेचना ट्रेडिंग होता है।
जिसमें व्यक्ति ₹90 में खरीदकर उसे ₹100 में बेचता है यानी कि प्रति शेयर उसे ₹10 का ट्रेडिंग के माध्यम से मुनाफा होता है। यह पूरी प्रक्रिया करके लोग प्रतिदिन शेयर में ट्रेडिंग करते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
Trading करने के लिए जरूरी चीजें
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए व्यक्ति के पास एक डीमेट अकाउंट होना अनिवार्य है। डीमेट अकाउंट बनाने के लिए आपको कहीं पर जाने की जरूरत नहीं है। आप ऑनलाइन ही अपना डीमेट अकाउंट बना सकते हैं। इसके लिए आप के आधार कार्ड में आपका मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। उसके जरिए ही आप डीमेट अकाउंट ओपन कर पाएंगे।
आज के समय में डीमेट अकाउंट ओपन करने के लिए बहुत सारे प्लेटफॉर्म है। उदाहरण के तौर पर Up stock व Grow जैसे एप्लीकेशन मौजूद है। जिनके माध्यम से आप अपना डीमेट अकाउंट ओपन कर सकते हैं और उसके बाद शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर सकते हैं।
ट्रेडिंग को हिंदी में व्यापार कहा जाता है। जिसका मतलब यह है कि किसी भी वस्तु को कम कीमत शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? में खरीदकर उसे अधिक कीमत में यानी कि मुनाफे के साथ बेचना ट्रेडिंग कहलाता है।
शेयर बाजार के ट्रेडिंग की बात की जाएं तो शेयर बाजार में 4 तरीके से ट्रेडिंग की जाती है।
शेयर बाजार का टाइम सुबह 9:15 से लेकर दोपहर 3:30 तक होता है।
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना कितना सुरक्षित है? इसके बारे में पहले अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन आप उचित स्टॉक और शेयर को खरीदकर अच्छे पैसे कमा सकते हैं और यहां आपको नुकसान भी हो सकता है।
निष्कर्ष
वर्तमान समय में शेयर बाजार में पैसे लगाना काफी आम बात हो गया है। शेयर बाजार में पैसे लगाकर लोग अच्छे पैसे कमा रहे हैं। बाजार में किसी भी शेयर या स्टॉक को खरीदना बेचना ट्रेडिंग होता है और उस ट्रेडिंग के माध्यम से ही हर व्यक्ति को मुनाफा होता है। शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना जितना फायदेमंद माना जाता है, उतना ही रिस्की भी होता है क्योंकि यह नुकसान होने के चांस भी काफी अधिक है।
आज के आर्टिकल में हमने आपको ट्रेडिंग क्या होता है? (Trading Kya Hai)और ट्रेडिंग कितने प्रकार का होता है। इसके बारे में डिटेल में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी।
Finance Formula: शेयर मार्केट में Options से पैसा छापने की बड़ी रणनीति, ऐसे मुनाफा कमाने के बढ़ेंगे चांस
Share Market: नितिन मुरारका ने Option Trading Strategies के बारे में विस्तार से बताया है. नितिन मुरारका का कहना है कि ऑप्शन में ट्रेडिंग प्री-प्लान तरीके से करनी चाहिए. सोची-समझी रणनीति के तहत ही ऑप्शन से पैसा कमाया जा सकता है.
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Investment Tips: शेयर मार्केट में निवेशक बड़ा मुनाफा कमाने के इरादे से आते हैं. हालांकि शेयर मार्केट में निवेश के कई अलग-अलग तरीके शामिल हैं. इनमें Futures and Options भी शामिल है. निवेशक Futures and Options के जरिए भी शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? शेयर बाजार में Options के जरिए अगर पैसा कमाना है तो एक रणनीति के तहत ट्रेडिंग करना बेहतर साबित हो सकता है. इस रणनीति को फॉलो करके ही Options के जरिए अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
रणनीति अपनाएं
SMC Global Securities के Derivative Head नितिन मुरारका ने Option Trading Strategies के बारे में विस्तार से बताया है. नितिन मुरारका का कहना है कि ऑप्शन में ट्रेडिंग प्री-प्लान तरीके से करनी चाहिए. सोची-समझी रणनीति के तहत ही ऑप्शन से पैसा कमाया जा सकता है.
Call and Put
ऑप्शन की रणनीति के बारे में बात करते हुए नितिन मुरारका ने बताया कि Option में पैसा लगाने से पहले देखें की बाजार की दिशा क्या है. बाजार जिस तरफ जा रहा है उसी दिशा के हिसाब से हमें Option में Call और Put का चुनाव करना चाहिए.
एंट्री प्वांइट
नितिन मुरारका ने बताया कि बाजार की दिशा देखने को बाद हमें एंट्री प्वांइट का ध्यान रखना चाहिए. किसी भी लेवल पर एंट्री कर लेना समझदारी नहीं है. ऐसे में आपको Option में सोच-समझकर ही एंट्री प्वॉइंट का ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा एक्जिट प्वॉइंट भी काफी मायने रखता है.
Stop Loss
नितिन मुरारका ने बताया कि जिस तरह से Options में एंट्री प्वॉइंट मायने रखता है, वैसे ही एग्जिट प्वॉइंट भी मायने रखता है. ऐसे में हमें एग्जिट प्वॉइंट के बारे में भी क्लियर रहना चाहिए. साथ ही ऑप्शन में बिना स्टॉप लॉस के काम नहीं करना चाहिए. Options Trading में Stop Loss का काफी महत्व है. ऐसे में बिना स्टॉप लॉस के ऑप्शन में नहीं उतरना चाहिए.
इस वीडियो में समझें Option Trading Strategies:
(डिस्कलेमर : किसी भी तरह का निवेश करने से पहले एक्सपर्ट शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? से जानकारी कर लें. जी न्यूज किसी भी तरह के निवेश के लिए आपको सलाह नहीं देता.)
Finance Formula: शेयर मार्केट में Options से पैसा छापने की बड़ी रणनीति, ऐसे मुनाफा कमाने के बढ़ेंगे चांस
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रणनीति अपनाएं
SMC Global Securities के Derivative Head नितिन मुरारका ने Option Trading Strategies के बारे में विस्तार से बताया है. नितिन मुरारका का कहना है कि ऑप्शन में ट्रेडिंग प्री-प्लान तरीके से करनी चाहिए. सोची-समझी रणनीति के तहत ही ऑप्शन शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? से पैसा कमाया जा सकता है.
Call and Put
ऑप्शन की रणनीति के बारे में बात करते हुए नितिन मुरारका ने बताया कि Option में पैसा लगाने से पहले देखें की बाजार की दिशा क्या है. बाजार जिस तरफ जा रहा है उसी दिशा के हिसाब से हमें Option में Call और Put का चुनाव करना चाहिए.
एंट्री प्वांइट
नितिन मुरारका ने बताया कि बाजार की दिशा देखने को शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? बाद हमें एंट्री प्वांइट का ध्यान रखना चाहिए. किसी भी लेवल पर एंट्री कर लेना समझदारी नहीं है. ऐसे में आपको Option में सोच-समझकर ही एंट्री प्वॉइंट का ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा एक्जिट प्वॉइंट भी काफी मायने रखता है.
Stop Loss
नितिन मुरारका ने बताया कि जिस तरह से Options में एंट्री प्वॉइंट मायने रखता है, वैसे ही एग्जिट प्वॉइंट भी मायने रखता है. ऐसे में हमें एग्जिट प्वॉइंट के बारे में भी क्लियर रहना चाहिए. साथ ही ऑप्शन में बिना स्टॉप लॉस के काम नहीं करना चाहिए. Options Trading में Stop Loss का काफी महत्व है. ऐसे में बिना स्टॉप लॉस के ऑप्शन में नहीं उतरना चाहिए.
इस वीडियो में समझें Option Trading Strategies:
(डिस्कलेमर : किसी भी तरह का निवेश करने से पहले एक्सपर्ट से जानकारी कर लें. जी न्यूज किसी भी तरह के निवेश के लिए आपको सलाह नहीं देता.)
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? में शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
शेयर बाजार निवेशकों के लिए जरूरी खबर: क्लाइंट के फंड सेटलमेंट का बदला तरीका, शेयर ट्रेडिंग पड़ेगा महंगा!
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज यानी 7 अक्टूबर 2022 से स्टॉक ट्रेडिंग देखने वाले ब्रोकरेज हाउसेज़ और ब्रोकर्स के लिए नया नियम लागू हो रहा है।
Stock Market Trading: शेयर बाजार में ट्रेडिंग या शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज यानी 7 अक्टूबर 2022 से स्टॉक ट्रेडिंग देखने वाले ब्रोकरेज हाउसेज़ और ब्रोकर्स के लिए नया नियम लागू हो रहा है। दरअसल, SEBI ने क्लाइंट फंड के सेटलमेंट का तरीका बदल दिया है और इसको लेकर एक गाइडलाइंस भी जारी की शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? गई है। नए नियम के तहतब्रोकर्स को क्लाइंट के रनिंग अकाउंट में बचा हुआ जो भी फंड होगा वो क्लाइंट के बैंक अकाउंट में वापस भेजना होगा। ऐसे में Zerodha के फाउंडर नितिन कामत का मानना है कि नए सिस्टम लागू होने के बाद ब्रोकरेज चार्जेज में इजाफा हो सकता है।
नितिन कामत ने किया ट्वीट
नितिन कामत ने इस नए नियम को लेकर करीबन 8 ट्वीट के जरिए अपनी बातें शेयर मार्केट ट्रेडिंग क्या है? रखीं। वे लिखते हैं कि इस 7 अक्टूबर से महीने के प्रत्येक पहले शुक्रवार को सभी ब्रोकरेजों को नई खाता निपटान (AS) प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अनयूज्ड फंड को ग्राहक के बैंक खाते में वापस भेजना होगा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि ये राशि करीब 25,000 करोड़ रुपये के आसपास हो सकती है।
एक और ट्वीट में वे कहते हैं कि अगर आपके ज़ेरोधा अकाउंट की शेष राशि कम हो जाती है या आपको इस शनिवार को अपने बैंक में फंड मिलता है, तो आप जानते हैं समझ गए होंगे कि क्या वजह है? अब तक, AS एक चौथाई में फैला हुआ था। कामत कहते हैं कि मुझे ऐसा लग रहा है यह जांचने का एक और तरीका है कि ब्रोकरेज किसी भी तरह से ग्राहक पूंजी का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं।
भारत में पहली बार ऐसा रेग्युलेशन
नितिन कामत एक और ट्वीट में कहा कि ऐसा रेग्युलेशन भारत में पहली बार हो रहा है। ज्यादातर देशों में ब्रोकरेज, बैंकों की तरह ही अनयूज्ड फंड को हमेशा के लिए अपने पास रख सकते हैं और उनका उपयोग कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं के लिए भी कर सकते हैं। लेकिन भारत में केवल कस्टमर के ट्रेडिंग या रेग्युलेटरी चार्ज के लिए ही इन फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कामत के मुताबिक, सभी नियामक परिवर्तनों के कारण अगले कुछ सालों में ब्रोकरेज रेट्स में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि ये बदलाव ग्राहक सुरक्षा के लिहाज से अच्छे हैं, लेकिन इनसे ब्रोकिंग उद्योग के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरतें बढ़ेंगी।
समझें नया नियम
बता दें कि नए नियम के मुताबिक, अब क्लाइंट की पसंद के हिसाब से अकाउंट सेटलमेंट होगा और यह सेटलमेंट या तो हर महीने या फिर हर तिमाही के पहले शुक्रवार को करना होगा। इसका मतलब है कि ब्रोकर्स के पास क्लाइंट्स का जो भी फंड बच जाएगा, उसे क्लाइंट के अकाउंट में ट्रांसफर करना पड़ेगा।