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क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है?

क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है?

Stock Market News: अभी घाटे का सौदा हैं इन सेक्टरों के शेयर - सुनील सुब्रमण्यम

इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए सुंदरम म्यूचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सुनील सुब्रमण्यम से बातचीत कर रहे हैं निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा। इस वीडियो के जरिये आप भी जानिये उनके विचार।

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Investment : छोटी योजनाओं में निवेश करना कहीं घाटे का सौदा तो नहीं, शेयर मार्केट से मिलेगा अच्छा रिटर्न

भारतीय रिजर्व बैंक जहां इस महीने के अंत में चौथी बार ब्याज दरों को बढ़ाने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर सरकार इस महीने के अंत में छोटी योजनाओं की समीक्षा करेगी.

Investment : छोटी योजनाओं में निवेश करना कहीं घाटे का सौदा तो नहीं, शेयर मार्केट से मिलेगा अच्छा रिटर्न

TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel

Updated on: Nov 11, 2022 | 1:31 PM

Investment : अगर आप छोटी योजनाओं और सोने में निवेश करते हैं और आपको ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है. कहीं आपने छोटी योजनाओं और सोने में निवेश करके घाटे का तो सौदा नहीं कर लिया. यदि आपको ऐसा लगता है तो आपके लिए शेयर बाजार में निवेश करके फायदे का सौदा कर सकते हैं. आपको बता दें कि शेयर बाजार लंबे समय में निवेशकों को अच्छा रिटर्न देता आया है और इसका यह इतिहास भी रहा है. ऐसे में निवेशकों क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? को इस समय शेयर बाजार पर भरोसा करना चाहिए. थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव संभव है, फिर भी लंबे समय में इसमें दो अंकों से ज्यादा का फायदा मिल सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे सालभर में अभी तक निवेशकों को तकरीबन सभी साधनों से घाटा हुआ है. शेयर बाजार से लेकर सोने के निवेश या फिर सरकार की छोटी बचत योजनाएं हों, सभी ने महंगाई की तुलना में कम ही फायदा दिया है. लगातार सात फीसदी से ऊपर महंगाई दर बने रहने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तीन बार में ब्याज दरों में 1.40 फीसदी की वृद्धि करने के बाद भी छोटी क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? योजनाओं की ब्याज दरें अपरिवर्तित हैं.

बता दें कि अमेरिका के साथ ही बैंक ऑफ जापान, भारत और बैंक ऑफ इंग्लैंड भी अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाले हैं, जिसमें दरों के बढ़ने क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? की उम्मीद दिखाई दे रही है. जिससे सोने की कीमतों में भारी गिरावट आ रही है. सोने की कीमतें इस समय साल 2020 के स्तर पर चली गई हैं. पिछले हफ्ते इसकी कीमत 2.4 फीसदी गिरी थी. पांच हफ्तों में यह चौथा हफ्ता है, जब सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है.

सोने में भी ज्यादा मुनाफ नहीं

सोने की कीमतों में हाल के समय में जमकर गिरावट आई है. इस साल जनवरी में सोने की कीमत प्रति दस ग्राम 49,100 रुपये थी. इस समय भी यह इससे मामूली ज्यादा है. यानी किसी ने अगर सोने में निवेश किया होगा तो आठ क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? महीने में भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ है. फरवरी में जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो उस समय सुरक्षित माने जाने वाले इस साधन में लोगों ने जमकर निवेश किया. इससे इसकी कीमतें एक बार तो 53,000 रुपये को पार कर गईं, लेकिन इसी हफ्ते अमेरिकी फेडरल बैंक फिर से ब्याज दरों में ज्यादा इजाफा करने के पक्ष में है.

महंगाई की तुलना में कम हैं ब्याज दरें

सरकार लघु योजनाओं की ब्याज दरों में मामूली वृद्धि तो करेगी, लेकिन ब्याज दरों और महंगाई के स्तर की तुलना में वह काफी कम होता है, क्योंकि जून, 2020 से इन योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर हैं. शेयर बाजार की बात करें तो जनवरी में सेंसेक्स जरूर ऊपर था, लेकिन यह मार्च में 58,568 पर बंद हुआ था. शुक्रवार को भी यह 58,840 पर बंद हुआ. यानी इसमें भी निवेशकों को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला है. हालांकि, इस दौरान आरबीआई द्वारा रेपो रेट में आक्रामक वृद्धि के बाद बैंकों ने जमा में मामूली इजाफा तो किया, पर क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? महंगाई की तुलना में वह अभी भी बहुत कम है.

Investment : छोटी योजनाओं में निवेश करना कहीं घाटे का सौदा तो नहीं, शेयर मार्केट से मिलेगा अच्छा रिटर्न

भारतीय रिजर्व बैंक जहां इस महीने के अंत में चौथी बार ब्याज दरों को बढ़ाने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर सरकार इस महीने के अंत में छोटी योजनाओं की समीक्षा करेगी.

Investment : छोटी योजनाओं में निवेश करना कहीं घाटे का सौदा तो नहीं, शेयर मार्केट से मिलेगा अच्छा रिटर्न

TV9 Bharatvarsh | Edited By: Neeraj Patel

Updated on: Nov 11, 2022 | 1:31 PM

Investment : अगर आप छोटी योजनाओं और सोने में निवेश करते हैं और आपको ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है. कहीं आपने छोटी योजनाओं और सोने में निवेश करके घाटे का तो सौदा नहीं कर लिया. यदि आपको ऐसा लगता है तो आपके लिए शेयर बाजार में निवेश करके फायदे का सौदा कर सकते हैं. आपको बता दें कि शेयर बाजार लंबे समय में निवेशकों को अच्छा रिटर्न देता आया है और इसका यह इतिहास भी रहा है. ऐसे में निवेशकों को इस समय शेयर बाजार पर भरोसा करना चाहिए. थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव संभव है, फिर भी लंबे समय में इसमें दो अंकों से ज्यादा का फायदा मिल सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे सालभर में अभी तक निवेशकों को तकरीबन सभी साधनों से घाटा हुआ है. शेयर बाजार से लेकर सोने के निवेश या फिर सरकार की छोटी बचत योजनाएं हों, सभी ने महंगाई की तुलना में कम ही फायदा दिया है. लगातार सात फीसदी से ऊपर महंगाई दर बने रहने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तीन बार में ब्याज दरों में 1.40 फीसदी की वृद्धि करने के बाद भी छोटी योजनाओं की ब्याज दरें अपरिवर्तित हैं.

बता दें कि अमेरिका के साथ ही बैंक ऑफ जापान, भारत और बैंक ऑफ इंग्लैंड भी अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाले हैं, जिसमें दरों के बढ़ने की उम्मीद दिखाई दे रही है. जिससे सोने की कीमतों में भारी गिरावट आ रही है. सोने की कीमतें इस समय साल 2020 के स्तर पर चली गई हैं. पिछले हफ्ते इसकी कीमत 2.4 फीसदी गिरी थी. पांच हफ्तों में यह चौथा हफ्ता है, जब सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है.

सोने में भी ज्यादा मुनाफ नहीं

सोने की कीमतों में हाल के समय में जमकर गिरावट आई है. इस साल जनवरी में सोने की कीमत प्रति दस ग्राम 49,100 रुपये थी. इस समय भी यह इससे मामूली ज्यादा है. यानी किसी ने अगर सोने में निवेश किया होगा तो आठ महीने में भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ है. फरवरी में जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो उस समय सुरक्षित माने जाने वाले इस साधन में लोगों ने जमकर निवेश किया. इससे इसकी कीमतें एक बार तो 53,000 रुपये को पार कर गईं, लेकिन इसी हफ्ते अमेरिकी फेडरल बैंक फिर से ब्याज दरों में ज्यादा इजाफा करने के पक्ष में है.

महंगाई की तुलना में कम हैं ब्याज दरें

सरकार लघु योजनाओं की ब्याज दरों में मामूली वृद्धि तो करेगी, लेकिन ब्याज दरों और महंगाई के स्तर की तुलना में वह काफी कम होता है, क्योंकि जून, 2020 से इन योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर हैं. शेयर बाजार की बात करें तो जनवरी में सेंसेक्स जरूर ऊपर था, लेकिन यह मार्च में 58,568 पर बंद हुआ था. शुक्रवार को भी यह 58,840 पर बंद हुआ. यानी इसमें भी निवेशकों को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला है. हालांकि, इस दौरान आरबीआई द्वारा रेपो रेट में आक्रामक वृद्धि के बाद बैंकों ने जमा में मामूली इजाफा तो किया, पर महंगाई की तुलना में वह अभी भी बहुत कम है.

Share Market लहूलुहान. बिखर गए Maruti, Tata Steel, ITC जैसे स्टॉक्स

इससे पहले पिछले सप्ताह के आखिरी दिन 23 सितंबर को भी बाजार में बड़ी गिरावट आई थी. शुक्रवार को कारोबार समाप्त होने के बाद सेंसेक्स 1,020.80 अंक (1.73 फीसदी) गिरकर 58,098.92 अंक पर बंद हुआ था. निफ्टी 302.45 अंक (1.72 फीसदी) के नुकसान के साथ 17,327.35 अंक पर रहा था. बाजार पिछले सप्ताह बुधवार से हर सेशन में गिरावट का शिकार हो रहा है.

बाजार में बड़ी गिरावट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 26 सितंबर 2022, 4:02 PM IST)

Stock Market Today: कई दशकों की सबसे ज्यादा महंगाई को काबू करने के लिए दुनिया भर में बढ़ती ब्याज दरें और डॉलर की रिकॉर्ड तेजी के कारण शेयर बाजार प्रभावित हो रहे हैं. उभरते बाजारों से इन्वेस्टर्स की बिकवाली का असर बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) पर भी हो रहा है. शुक्रवार को बड़ी गिरावट का शिकार होने के बाद बाजार आज सोमवार को भी बाजार पूरी तरह से बिखर गया. मारुति सुजुकी, टाटा स्टील, आईटीसी समेत कई बड़ी कंपनियों के शेयर आज धड़ाम हो गए.

प्री-ओपन सेशन में ही भारी गिरावट

घरेलू बाजार आज प्री-ओपन सेशन (Pre-Open Session) में ही गिरा हुआ था. प्री-ओपन सेशन में सेंसेक्स करीब 700 अंक की गिरावट के साथ 57,400 अंक के पास कारोबार कर रहा था. एनएसई निफ्टी 300 अंक से ज्यादा कमजोर होकर 17,330 अंक से नीचे कारोबार कर रहा था. वहीं, सिंगापुर में एसजीएक्स निफ्टी (SGX Nifty) का फ्यूचर कांट्रैक्ट सुबह के नौ बजे 145 अंक की गिरावट के साथ 17,187 अंक पर कारोबार कर रहा था. इससे संकेत मिल रहा था कि घरेलू बाजार आज कारोबार की खराब शुरुआत कर सकता है. सुबह के 09:20 बजे सेंसेक्स करीब 750 अंक के नुकसान के साथ 57,350 अंक के पास कारोबार कर रहा था था. वहीं निफ्टी 250 अंक से ज्यादा गिरकर 17,080 अंक से नीचे गिर चुका था.

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लगातार दूसरे दिन धराशायी हुआ बाजार

पूरे दिन कारोबार के दौरान बाजार दबाव में ही रहा. सेंसेक्स तो एक समय 1000 अंक से ज्यादा के नुकसान के साथ 57,038.24 अंक तक गिर गया था. कारोबार समाप्त होने के बाद सेंसेक्स 953.70 अंक (1.64 फीसदी) की गिरावट के साथ 57,145.22 अंक पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी 311.05 अंक (1.80 फीसदी) गिरकर 17,016.30 अंक पर रहा. सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से महज 7 के शेयरों में आज तेजी आई, जबकि काबी 23 कंपनियों के शेयर गिरावट का शिकार हो गए. सबसे ज्यादा 5.49 फीसदी की गिरावट मारुति सुजुकी के शेयरों में आई. टाटा स्टील का स्टॉक 4.22 फीसदी और आईटीसी का शेयर 3.96 फीसदी के नुकसान में रहा. एक्सिस बैंक, एनटीपीसी और बजाज फाइनेंस के शेयरों में भी 3-3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली.

लगातार चौथे दिन गिरा बाजार

आज बाजार लगातार चौथे दिन गिरावट का शिकार हुआ. इससे पहले पिछले सप्ताह के आखिरी दिन 23 सितंबर क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? को भी बाजार में बड़ी गिरावट आई थी. शुक्रवार को कारोबार समाप्त होने के बाद सेंसेक्स 1,020.80 अंक (1.73 फीसदी) गिरकर 58,098.92 अंक पर बंद हुआ था. निफ्टी 302.45 अंक (1.72 फीसदी) के नुकसान के साथ 17,327.35 अंक पर रहा था. बाजार पिछले सप्ताह बुधवार से हर सेशन में गिरावट का शिकार हो रहा है. पिछले सप्ताह सेंसेक्स करीब 750 क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? अंक के नुकसान में रहा था.

ग्लोबल मार्केट में गिरावट हावी

अमेरिका में पिछले सप्ताह लगातार तीसरी बार ब्याज दर को 0.75 फीसदी बढ़ाए जाने के बाद वॉल स्ट्रीट में जमकर बिकवाली हो रही है. शुक्रवार को डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (Dow Jones Indutrial Average) 1.62 फीसदी कमजोर होकर 29,590.41 अंक पर बंद हुआ था. टेक फोकस्ड इंडेक्स नास्डैक कंपोजिट (Nasdaq Composite) 1.80 फीसदी गिरकर 10,867.93 अंक पर रहा था. एसएंडपी500 (S&P 500) सूचकांक में 1.72 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी. आज सोमवार को एशियाई बाजार भी गिरावट में हैं. जापान का निक्की (Nikkei) 1.97 फीसदी के भारी-भरकम नुकसान में है. वहीं हांगकांग के हैंगसेंग (Hangseng) में 0.06 फीसदी की और चीन के शंघाई कंपोजिट (Shanghai Composite) में 0.08 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है.

Investment: घाटे का सौदा साबित हो रहा है छोटी योजनाओं और सोने में निवेश, शेयर बाजार पर कर सकते हैं भरोसा

आरबीआई जहां इस महीने के अंत में चौथी बार ब्याज दरों में इजाफा करने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर सरकार इस महीने के अंत में छोटी योजनाओं की समीक्षा करेगी। इससे निवेशकों को उम्मीद है कि इस बार कुछ राहत मिल सकती है, बावजूद इसके उनको घाटा ही होगा। ऐसे में आगे भी महंगाई की तुलना में निवेशकों को घाटा होने का गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट।

निवेश (सांकेतिक तस्वीर)।

इस पूरे साल में अभी तक निवेशकों को करीबन सभी साधनों से घाटा हुआ है। शेयर बाजार से लेकर सोने के निवेश या फिर सरकार की छोटी बचत योजनाएं हों, सभी ने महंगाई की तुलना में कम ही फायदा दिया है। आश्चर्य यह है कि लगातार सात फीसदी से ऊपर महंगाई दर बने रहने, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तीन बार में ब्याज दरों में 1.40 फीसदी की वृद्धि करने के बाद भी छोटी योजनाओं की ब्याज दरें अपरिवर्तित हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि सरकार लघु योजनाओं की ब्याज दरों में मामूली वृद्धि तो करेगी, लेकिन ब्याज दरों और महंगाई के स्तर की तुलना में वह काफी कम होगा, क्योंकि जून, 2020 से इन योजनाओं की ब्याज दरें क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? स्थिर हैं। शेयर बाजार की बात करें तो जनवरी में सेंसेक्स जरूर ऊपर था, लेकिन यह मार्च में 58,568 पर बंद हुआ था। शुक्रवार को भी यह 58,840 पर बंद हुआ। यानी इसमें भी निवेशकों को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला है। हालांकि, इस दौरान आरबीआई द्वारा रेपो रेट में आक्रामक वृद्धि के बाद बैंकों ने जमा में मामूली इजाफा तो किया, पर महंगाई की तुलना में वह अभी भी काफी कम है।

सोने में भी घाटा
सोने की कीमतों में हाल के समय में जमकर गिरावट आई है। इस साल जनवरी में सोने की कीमत प्रति दस ग्राम 49,100 रुपये थी। इस समय भी यह इससे मामूली ज्यादा है। यानी किसी ने अगर सोने में निवेश किया होगा तो आठ महीने में भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ है। फरवरी में जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो उस समय सुरक्षित माने जाने वाले इस साधन में लोगों ने जमकर निवेश किया। इससे इसकी कीमतें एक बार तो 53,000 रुपये को पार कर गईं। लेकिन इसी हफ्ते अमेरिकी फेडरल बैंक फिर से ब्याज दरों में ज्यादा इजाफा करने के पक्ष में है।

अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और भारत में एक साथ दरें बढ़ने की आशंका
अमेरिका के साथ ही बैंक ऑफ जापान, भारत और बैंक ऑफ इंग्लैंड भी अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाले हैं, जिसमें दरों के बढ़ने की उम्मीद है। इससे सोने की कीमतों में भारी गिरावट आ रही है। सोने की कीमतें इस समय साल 2020 के स्तर पर चली गई हैं। पिछले हफ्ते इसकी कीमत 2.4 फीसदी गिरी थी। पांच हफ्तों में यह चौथा हफ्ता है, जब सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।

छोटी योजनाओं पर 7.40 फीसदी का ब्याज
छोटी योजनाओं में शामिल सुकन्या समृद्धि योजना, सावधि जमा, रिकरिंग जमा जैसे साधनों पर अधिकतम 7.40 फीसदी का ब्याज मिल रहा है। जबकि न्यूनतम यह 4 फीसदी पर है। सबसे ज्यादा सुकन्या योजना पर है जो 7.40 फीसदी है। 10 साल के बॉन्ड की ब्याज दर अप्रैल, 2022 से 7 फीसदी के ऊपर है। जून से अगस्त के दौरान इसका औसत 7.31 फीसदी रहा है। ऐसे में सरकार इसे देखते हुए ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला ले सकती है।

ऐसे तय होती है छोटी योजनाओं की ब्याज दरें
छोटी ब्याज दरों को तय करने का सरकार का एक अलग ही नियम है। 28 मार्च, 2016 को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, पीपीएफ पर सरकारी प्रतिभूतियों की औसत 3 महीने की ब्याज दर से 0.25 फीसदी ब्याज ज्यादा दिया जाना चाहिए। इस आधार पर 7.31 के साथ इस 0.25 फीसदी को जोड़ दिया जाए तो पीपीएफ पर इस बार 7.56 फीसदी ब्याज मिलना चाहिए। फिलहाल 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है।

सुकन्या समृद्धि पर 8.3 फीसदी ब्याज मिलना चाहिए
सुकन्या समृद्धि पर अभी ब्याज 7.6 फीसदी है जो 8.3 फीसदी होना चाहिए। सरकार के नियम के मुताबिक, इस पर औसत तीन महीने के बाद 0.75 फीसदी ज्यादा ब्याज देना चाहिए। इस तरह से 7.6 और 0.75 के बाद ब्याज 8.3 फीसदी होना चाहिए। हालांकि, सरकार इस नियम को तुरंत लागू नहीं क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? करती है।

शेयर बाजार पर करें भरोसा
शेयर बाजार लंबे समय में निवेशकों को अच्छा रिटर्न देता है और इसका यह इतिहास भी रहा है। ऐसे में निवेशकों को इस समय शेयर बाजार पर भरोसा करना चाहिए। थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव संभव है, फिर भी लंबे समय में इसमें दो अंकों से ज्यादा का फायदा मिल सकता है। - किशोर ओस्तवाल, सीएमडी, सीएनआई रिसर्च

विस्तार

इस पूरे साल में अभी तक निवेशकों को करीबन सभी साधनों से घाटा हुआ है। शेयर बाजार से लेकर सोने के निवेश या फिर सरकार की छोटी बचत योजनाएं हों, सभी ने महंगाई की तुलना में कम ही फायदा दिया है। आश्चर्य यह है कि लगातार सात फीसदी से ऊपर महंगाई दर बने रहने, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तीन बार में ब्याज दरों में 1.40 फीसदी की वृद्धि करने के बाद भी छोटी योजनाओं की ब्याज दरें अपरिवर्तित हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि सरकार लघु योजनाओं की ब्याज दरों में मामूली वृद्धि तो करेगी, लेकिन ब्याज दरों और महंगाई के स्तर की तुलना में वह काफी कम होगा, क्योंकि जून, 2020 से इन योजनाओं की ब्याज दरें स्थिर हैं। शेयर बाजार की बात करें तो जनवरी में सेंसेक्स जरूर ऊपर था, लेकिन यह मार्च में 58,568 पर बंद हुआ था। शुक्रवार को भी यह 58,840 पर बंद हुआ। यानी इसमें भी निवेशकों को कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला है। हालांकि, इस दौरान आरबीआई द्वारा रेपो रेट में आक्रामक वृद्धि के बाद बैंकों ने जमा में मामूली इजाफा क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? तो किया, पर महंगाई की तुलना में वह अभी भी काफी कम है।

सोने में भी घाटा
सोने की कीमतों में हाल के समय में जमकर गिरावट आई है। इस साल जनवरी में सोने की कीमत प्रति दस ग्राम 49,100 रुपये थी। इस समय भी यह इससे मामूली ज्यादा है। यानी किसी ने अगर सोने में निवेश किया होगा तो आठ महीने में भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ है। फरवरी में जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ तो उस समय सुरक्षित माने जाने वाले इस साधन में लोगों ने जमकर निवेश किया। इससे इसकी कीमतें एक बार तो 53,000 रुपये को पार कर गईं। लेकिन इसी हफ्ते अमेरिकी फेडरल बैंक फिर से ब्याज दरों में ज्यादा इजाफा करने के पक्ष में है।

अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और भारत में एक साथ दरें बढ़ने की आशंका
अमेरिका के साथ ही बैंक ऑफ जापान, भारत और बैंक ऑफ इंग्लैंड भी अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाले हैं, जिसमें दरों के बढ़ने की उम्मीद है। इससे सोने की कीमतों में भारी गिरावट आ रही है। सोने की कीमतें इस समय साल 2020 के स्तर पर चली गई हैं। पिछले हफ्ते इसकी कीमत 2.4 फीसदी गिरी थी। पांच हफ्तों में यह चौथा हफ्ता है, जब सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।

छोटी योजनाओं पर 7.40 फीसदी का ब्याज
छोटी योजनाओं में शामिल सुकन्या समृद्धि योजना, सावधि जमा, रिकरिंग जमा जैसे साधनों पर अधिकतम 7.40 फीसदी का ब्याज क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? मिल रहा है। जबकि न्यूनतम यह 4 फीसदी पर है। सबसे ज्यादा सुकन्या योजना पर है जो 7.40 फीसदी है। 10 साल के बॉन्ड की ब्याज दर अप्रैल, 2022 से 7 फीसदी के ऊपर है। जून से अगस्त के दौरान इसका औसत 7.31 फीसदी रहा है। ऐसे में सरकार इसे देखते हुए ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला ले सकती है।

ऐसे तय होती है छोटी योजनाओं की ब्याज क्या शेयर मार्केट घाटे का सौदा है? दरें
छोटी ब्याज दरों को तय करने का सरकार का एक अलग ही नियम है। 28 मार्च, 2016 को वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, पीपीएफ पर सरकारी प्रतिभूतियों की औसत 3 महीने की ब्याज दर से 0.25 फीसदी ब्याज ज्यादा दिया जाना चाहिए। इस आधार पर 7.31 के साथ इस 0.25 फीसदी को जोड़ दिया जाए तो पीपीएफ पर इस बार 7.56 फीसदी ब्याज मिलना चाहिए। फिलहाल 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है।

सुकन्या समृद्धि पर 8.3 फीसदी ब्याज मिलना चाहिए
सुकन्या समृद्धि पर अभी ब्याज 7.6 फीसदी है जो 8.3 फीसदी होना चाहिए। सरकार के नियम के मुताबिक, इस पर औसत तीन महीने के बाद 0.75 फीसदी ज्यादा ब्याज देना चाहिए। इस तरह से 7.6 और 0.75 के बाद ब्याज 8.3 फीसदी होना चाहिए। हालांकि, सरकार इस नियम को तुरंत लागू नहीं करती है।

शेयर बाजार पर करें भरोसा
शेयर बाजार लंबे समय में निवेशकों को अच्छा रिटर्न देता है और इसका यह इतिहास भी रहा है। ऐसे में निवेशकों को इस समय शेयर बाजार पर भरोसा करना चाहिए। थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव संभव है, फिर भी लंबे समय में इसमें दो अंकों से ज्यादा का फायदा मिल सकता है। - किशोर ओस्तवाल, सीएमडी, सीएनआई रिसर्च

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