शेयर बाजार में लाभ के टोटके

वैश्विक संकेत

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Business success with growing, rising charts and businessman in background

मिले – जुले संकेत : जीडीपी के ताजा आधिकारिक अनुमान

जीडीपी के ताजा आधिकारिक अनुमान जुलाई-सितंबर की अवधि में अर्थव्यवस्था के विस्तार में गिरावट, साल-दर-साल आधार पर इसके नीचे की ओर लुढ़कने, विनिर्माण एवं खनन के क्षेत्र में सिलसिलेवार संकुचन और निजी उपभोग व्यय एवं सरकारी खर्च में व्यापक मंदी को दर्शाते हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में साल-पूर्व की अवधि से 6.3 फीसदी की दर से बढ़ोतरी होने का अनुमान है, जोकि पहली तिमाही में दर्ज किए गए 13.5 फीसदी के विस्तार और जुलाई-सितंबर 2021 की 8.4 फीसदी की गति की तुलना में तेज गिरावट है। सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) पक्ष में, आठ क्षेत्रों में से केवल तीन - कृषि; सर्वव्यापी गहन संपर्क वाले व्यापार, होटल, परिवहन एवं संचार के सेवा क्षेत्र; और रियल्टी एवं पेशेवर सेवाओं वाले वित्तीय क्षेत्र — ने साल-दर-साल विकास में तेजी दर्ज की। और कृषि; बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य उपयोगिता सेवाएं; और निर्माण सहित पांच क्षेत्रों ने सिलसिलेवार संकुचन दर्ज किया जो वैश्विक मंदी, यूक्रेन में युद्ध और लगातार उच्च घरेलू मुद्रास्फीति की सम्मिलित वजह से पैदा हुई अनिश्चितता को दर्शाता है। व्यय के मोर्चे पर, थोक निजी उपभोग व्यय और सरकारी व्यय दोनों में बढ़ोतरी काफी धीमी हो गई है। थोक निजी उपभोग व्यय में जहां पहली तिमाही की 25.9 फीसदी की वृद्धि की तुलना में साल-दर-साल आधार पर 9.7 फीसदी की दर से विस्तार हुआ, वहीं सरकारी व्यय में अप्रैल- जून की अवधि में 1.3 फीसदी की दर से विस्तार के बाद उसमें 4.4 फीसदी की सिकुड़न आ गई। हालांकि, सिलसिलेवार तरीके से, निजी उपभोग ने त्योहार-आधारित थोड़े उभार का संकेत दिया क्योंकि इसने अस्थायी रूप से एक फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की और सकल निश्चित पूंजी निर्माण में 3.4 फीसदी की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि ने निजी व्यवसायों की ओर से निवेश करने की बढ़ती इच्छा की ओर इशारा किया।

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आए व्यवधान से अर्थव्यवस्था के उबरने की प्रक्रिया अच्छी तरह से चल रही है और विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद यह देश को पटरी पर रखते हुए इस वित्तीय वर्ष में 6.8 फीसदी से लेकर सात फीसदी की वृद्धि हासिल करने की राह पर है। फिर भी आंकड़ों की

परिवर्तनशीलता और संशोधन, जिसकी हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक शीर्ष नीति निर्माता ने आलोचना की है, से उत्पन्न चुनौती एक महत्वपूर्ण तत्व है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और यह ताजा जीडीपी अनुमानों में ‘विसंगतियों’ की प्रविष्टि के पिछली नौ-तिमाही में 2.9 फीसदी के सबसे ऊंचे स्तर पर रहने के तथ्य से सबसे अच्छी तरह रेखांकित होता है। इसके अलावा, अक्टूबर माह के बुनियादी क्षेत्र (कोर सेक्टर) के आधिकारिक आंकड़े सीमेंट, कोयला, उर्वरक, बिजली और रिफाइनरी उत्पाद सहित आठ प्रमुख उद्योगों के संयुक्त उत्पादन को बढ़ोतरी के लिए जद्दोजहद करते दिखा रहे हैं। हमारे नीति निर्माता इस मुकाम पर ढिलाई बरतने का जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि वे विकास को कुंद करने वाली मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए जूझ रहे हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वास्तविक अर्थव्यवस्था के लिए ऋण की स्थिति सहायक बनी रहे।

Share Market कमजोर वैश्विक संकेतों से सेंसेक्स 230 अंक टूटा, निफ्टी 66 अंक कमजोर

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मुंबई: कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी बृहस्पतिवार को गिरकर बंद हुए। इस दौरान 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 230.12 अंक या 0.37 प्रतिशत टूटकर 61,750.60 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में यह 337.45 अंक या 0.54 प्रतिशत तक टूट गया था। दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 65.75 अंक या 0.36 प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,343.90 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स की कंपनियों में टाइटन, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति, एचडीएफसी, डॉ रेड्डीज, बजाज फिनसर्व, इन्फोसिस और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में नुकसान रहा। लार्सन एंड टुब्रो, पावर ग्रिड, आईसीआईसीआई बैंक और भारती एयरटेल बढ़त के साथ बंद हुए। अन्य एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे।

यूरोपीय बाजार दोपहर के सत्र में कमजोर थे। वॉल स्ट्रीट भी बुधवार को गिरकर बंद हुआ था। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 92.43 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। शेयर बाजार के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध रूप से 386.06 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव और कमजोरी के बीच घरेलू शेयर बाजारों में लगातार दूसरे दिन गिरावट रही। बिकवाली दबाव के चलते निफ्टी कमजोर खुला और 66 अंक की गिरावट के साथ 18,344 पर बंद हुआ।”

व्यापक बाजारों में बीएसई मिडकैप 0.33 प्रतिशत और स्मॉलकैप सूचकांक 0.27 प्रतिशत वैश्विक संकेत टूटा। क्षेत्रवार सूचकांकों की बात करें तो टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में 1.65 प्रतिशत, उपयोगिकता क्षेत्र में 1.50 प्रतिशत, वाहन में 1.35 प्रतिशत और बिजली क्षेत्र में 1.34 प्रतिशत की गिरावट आई। दूसरी ओर उद्योग, दूरसंचार और पूंजीगत सामान खंड बढ़त के साथ बंद हुए। (एजेंसी)

वैश्विक रैंकिंग में सुधार बता रहा है विश्व मानचित्र पर कैसे लहरा रहा है भारत का परचम

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केंद्र सरकार की नीतियों और योजनाओं का शानदार परिणाम सामने आने लगा है। यही कारण है कि जलवायु सुरक्षा के मामले में भारत ने फिर से एक बार बेहतरीन प्रदर्शन किया है। कॉप 27 में भारत दो स्थानों की छलांग लगाकर 8वीं रैंक हासिल किया है। यह रैंक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक(CCPI -2023) में आई है। जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल भारत 10वें स्थान पर था। दूसरी बड़ी उपलब्धि भारत के नाम ये है कि विश्व के शीर्ष 5 देशों में हमारे देश को शामिल किया गया है। भारत का यह प्रदर्शन जलवायु परिवर्तन के आधार पर है। खास बात यह है कि G20 देशों में भारत टॉप पर है।

सबसे खास बात यह है कि CCPE की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक चीन और आमेरिका भी हमसे पीछे हैं। सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में ईरान, सऊदी अरब और कजाकिस्तान हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि 2014 में CCPI में भारत 31वें स्थान पर था। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) रिपोर्ट जारी करने की शुरुआत 2005 में हुई, जो हर साल जारी होती है। यह रिपोर्ट जर्मनी की जर्मन वॉच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क नामक इंटरनेशनल संस्था द्वारा किया जाता है। सीसीपीआई एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र है, जो 59 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु सरंक्षण प्रदर्शन को ट्रैक करती है।

चलिए जानते हैं वैश्विक संकेत केंद्र सरकार की नीतियों और योजनाओं के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत ने किन-किन मसलों पर अपनी रैंकिंग में सुधार किया है…

अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक में 43 वां स्थान

भारत ने अपने समग्र आईपी स्कोर में 38.4 प्रतिशत से 38.6 प्रतिशत तक सुधार किया। अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक में 55 देश हैं। इस सूची में भारत का स्थान 43वां है। ये आने वाले कल के लिए शुभ संकेत है।

दुनिया का दूसरा आकर्षक मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब बना भारत

रियल एस्टेट कंसल्‍टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड के मुताबिक, ग्‍लोबल मैन्‍युफैक्‍चरिंग रिस्‍क इंडेक्‍स- 2021 में भारत दूसरे स्थान पर पहुंच गया। चीन इस रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है। बड़ी बात है कि अमेरिका भी इस मामले में भारत से पीछे है।

CRII इंडेक्स में छह रैंक का सुधार

CRII इंडेक्स में भारत 123वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि इससे पहले वो 129वें स्थान पर था। इस तरह से भारत की स्थिति में 6 अंकों का सुधार हुआ है। कोविड-19 महामारी के दौरान असमानता कम करने के लिए सीआरआईआई-2022 में सरकारी नीतियों और कार्यों की समीक्षा की गई। इसमें 161 देश शामिल थे।

भारत ने प्रतिस्पर्धा सूचकांक में 43वें से 37वें स्थान पर पहुंचा

इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (IMD) के सालाना वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत ने 6 अंकों की छलांग लगाकर अब 37वें स्थान पर पहुंच गया वैश्विक संकेत है।संस्था के अनुसार, साल 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धा में बेहतरीन सुधार देखा गया। इस सूची में डेनमार्क पहले और स्विट्जरलैंड दूसरे स्थान पर हैं।

भ्रष्टाचार पर लगाम

भ्रष्टाचार को लेकर वर्तमान केंद्र सरकार सत्ता संभालने के साथ ही जीरो टॉलरेंस की नीति वैश्विक संकेत अपनाकर चली। यही कारण है कि अब तक घोटाले को लेकर एक भी मामले सुनने को नहीं मिले। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के नवीनतम भ्रष्टाचार संवेदन सूचकांक में भारत के अंक में सुधार हुआ है। इस सूचकांक में 180 देश हैं। वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात की जाए तो यह 16 पायदान और नीचे गिर गया है।

भारतीय पासपोर्ट 90 की जगह 83वें स्थान पर, 7 पायदान की लगाई छलांग

भारतीय पासपोर्ट पहले से और ज्यादा मजबूत हो गया है। अब यह सात पायदान ऊपर उठकर 83वें वैश्विक संकेत स्थान पर पहुंच गया है। यह सूची हेनले पासपोर्ट इंडेक्स द्वारा जारी की गई है। जापान और सिंगापुर सूची में टॉप पर हैं।

एशिया पावर इंडेक्स में भारत चौथा सबसे प्रभावशाली देश

एशिया पावर इंडेक्स में भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में चौथे स्थान पर है। यह इंडेक्स लॉवी इंस्टीट्यूट ने जारी किया है, जो ऑस्ट्रेलिया की सिडनी में स्थित है। 26 देशों की इस लिस्ट में अमेरिका टॉप पर है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 14 अंक ऊपर

विश्वबैंक की कारोबारी सुगमता की बात की जाए तो भारत ने 14 अंकों की छलांग लगाई है। इसके साथ ही भारत 63वें स्थान पर पहुंच गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस मामले में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है।

व्यापार सुविधा रैंकिंग में सुधार

वित्त मंत्रालय के मुताबिक डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा पर संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक सर्वेक्षण में भारत ने 90.32 प्रतिशत अंक हासिल किए। यह अंक 2021 के सर्वेक्षण में हासिल हुए हैं। दुनियाभर की 143 अर्थव्यवस्थाओं के मूल्यांकन के बाद भारत को यह उपलब्धि हासिल हुई है।

रिसॉल्विंग इन्सॉल्वेंसी इंडेक्स में 56 अंकों की छलांग

विश्व बैंक के रिसॉल्विंग इन्सॉल्वेंसी इंडेक्स 2019 में भारत 52वें वैश्विक संकेत स्थान पर पहुंच गया है। भारत ने कुल 56 अंकों की छलांग लगाई है। जबकि 7-8 साल पहले पिछली सरकार में भारत 137वें स्थान पर था।

डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में चार स्थान ऊपर

विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में चार पायदान की छलांग लगाकर भारत अब 44 वें स्थान पर पहुंच गया है।अमेरिका इस लिस्ट में टॉप पर है।

वैश्विक मंदी के संकेत नहीं: फिच, मूडीज

वैश्विक मंदी के संकेत नहीं: फिच, मूडीज

मूडिज की निवेशक सेवा रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक ग्रोथ के लिए जोखिम बढ़ा है, लेकिन हाल के बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद हमें नहीं लगता कि विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी की तरफ बढ़ रही हैं। मूडीज के मुताबिक पिछले 30 सालों में हमने 16 तिमाही में शेयर बाजार में इस तरह की गिरावट देखी है।

वहीं 25 तिमाही में 10 साल के कॉरपोरेट बांड के समान उतार-चढ़ाव रहे हैं। अधिकतर केस में इस उतार-चढ़ाव से मंदी के संकेत नहीं मिले।फिच का अनुमानरेटिंग एजेंसी फिच ने चीन वैश्विक संकेत और कमोडिटी एक्सपोर्टरों के चलते विश्व की ग्रोथ का अनुमान घटा दिया है। एजेंसी का कहना है कि अभी मंदी नहीं आई है।

फिच ने विश्व की ग्रोथ का 2016 में लक्ष्य 2.9 से घटाकर 2.5 कर दिया है। फिच के मुताबिक भले ही विश्व की ग्रोथ का अनुमान घटा दिया गया है, लेकिन ये मंदी की सीमा में नहीं है। लेबर मार्केट की हालत कई देशों में सुधर रही है। क्रूड के कम दामों के कारण लोगों की आय बढ़ रही है। इससे ग्राहक खर्च बढ़ाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा।

ऐसे बिगड़े थे हालात

रेटिंग एजेंसी के मुताबिक क्रूड की लगातार गिरती कीमतों और चीन में धीमी ग्रोथ से जोखिम बढ़ा था, जिसका असर पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा। उर्जा और कमोडिटी के अलावा भी बाजार में उतार-चढ़ाव आया। इसके चलते वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई। जिससे वित्तीय बाजारों की हालत बिगड़ गई।

कमोडिटी के दामों से सहारा

मौजूदा माहौल से कुछ देशों में ग्रोथ पर असर असर पड़ेगा लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हम वैश्विक मंदी की तरफ बढ़ रहे हैं। मूडीज ने फरवरी में कई कॉरपोरेट्स, बैंक और देशों के खिलाफ निगेटिव रेटिंग वैश्विक संकेत दी थी। इनकी आय, लोन पोर्टफोलियो और टैक्स तेल और दूसरी कमोडिटी पर निर्भर थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें लगता है कि कमोडिटी के कम दामों के चलते वित्तीय बाजार का बुरा असर खत्म हुआ। इससे कई देशों पर अच्छा असर हुआ।

अमेरिका से अच्छे संकेत

विकसित देशों से अब मजबूत संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका में रोजगार के आंकड़े ज्यादा स्थिर ग्रोथ की तरफ इशारा कर रहे हैं। इससे बांड और शेयर बाजार पर असर पड़ेगा। मूडीज के मुताबिक जी 20 के देशों की अर्थव्यवस्थाएं 2016 में 1.8 फीसदी और 2017 में 2 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी।

कमोडिटी की कम कीमतों का सकारात्मक असर कंज्यूमर और बिजनेस के विश्वास पर पड़ेगा। मूडीज को लगता है कि मौजूदा कर्ज का वातावरण कुछ कुछ 1987 या 1998 जैसा ही है जब कुछ सेक्टर में कर्ज की दिक्कत आई थी। हालांकि दूसरे सेक्टर्स पर इसका मामूली असर पड़ा।

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