ADRs का वास्तविक

LAC के पास भारत-US के संयुक्त युद्धाभ्यास पर चीन ने जताई आपत्ति, कहा- समझौते की भावना का उल्लंघन
उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चल रहे भारत-अमेरिका के सैन्य युद्धाभ्यास पर चीन ने आपत्ति जताई है और कहा है कि यह सीमा शांति के लिए द्विपक्षीय समझौतों की भावना का उल्लंघन है। भारत-चीन सीमा LAC से करीब 100 किलोमीटर के अंदर भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास का 18वां संस्करण उत्तराखंड में चल रहा है। यह युद्धाभ्यास एक द्विपक्षीय ट्रेनिंग एक्सरसाइज है, जो 2004 से हर साल आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य "भारत-प्रशांत क्षेत्र में पारंपरिक, जटिल और भविष्य की आकस्मिक दशा" ADRs का वास्तविक के लिए भागीदारी क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय और अमेरिकी सेनाओं की अंतर-क्षमता में सुधार करना है।
बीजिंग में पाकिस्तानी समाचार एजेंसी के एक प्रश्न का जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने ADRs का वास्तविक कहा, “वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भारत और अमेरिका द्वारा आयोजित संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास ने 1993 और 1996 में चीन और भारत द्वारा हस्ताक्षरित प्रासंगिक समझौतों की भावना का उल्लंघन किया है और द्विपक्षीय विश्वास बनाने में असहयोग किया है। चीन ने सैन्य अभ्यास पर भारतीय पक्ष से चिंता व्यक्त की है।”
इससे पहले चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि ADRs का वास्तविक बीजिंग इस अभ्यास को भारत-चीन सीमा मामलों में "तीसरे पक्ष" द्वारा दखल देने के प्रयास के रूप में देखता है, जो पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य गतिरोध ADRs का वास्तविक की पृष्ठभूमि के खिलाफ हुआ है। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह कहकर प्रतिक्रिया दी है कि वह इस मामले में "तीसरे पक्ष" के संदर्भ को नहीं समझता है। MEA ने कहा कि चीन को पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के संदर्भ में हुए द्विपक्षीय समझौतों पर टिके रहने की जरूरत है।
MEA प्रवक्ता ने कहा, "भारत-अमेरिका ADRs का वास्तविक सैन्य अभ्यास पूरी तरह से अलग हैं, और मुझे नहीं पता कि वहां कौन सा रंग दिया गया है जो दोनों देशों को निशाना बना रहा है या मौजूदा समझौतों का उल्लंघन कर रहा है। मेरे पास ऐसी कोई सूचना नहीं है जिससे मैं इन तर्कों से सहमत हो सकूं।"
वास्तविक सफलता
आज सभी सफलता के पीछे ADRs का वास्तविक भाग रहे हैं ।परंतु सफलता है क्या ? आधुनिक युग में लोग अधिकाधिक धन प्राप्ति को या उच्च पद प्राप्ति को ही सफलता मानते हैं परंतु क्या यही वास्तविक सफलता है?
ऐसा मानने के पीछे बहुत से कारण हैं और इनमें सबसे बड़ा कारण है कि बचपन से ही घर, ADRs का वास्तविक परिवार व समाज ने यही सिखाया है कि बड़े होकर डॉक्टर बनना, कलेक्टर बनना ,उद्योगपति बनना…. आदि। कभी किसी बच्चे से नहीं पूछा जाता कि वह कहाँ और किस क्षेत्र मे सफलता प्राप्त करना चाहता है और एक समय ऐसा आता है जब ADRs का वास्तविक वह बाकी समाज की तरह इसी सफलता को अपनी वास्तविक सफलता मान लेता है।
परंतु सफलता की इस मान्यता में बिल्कुल भी सत्यता नहीं है ।वास्तविक सफलता है -‘आत्म संतुष्टि’। जिस कार्य को करके संतुष्टि व प्रसन्नता मिले वही तो सच्ची सफलता है। धन कभी भी सफलता का पैमाना नहीं हो सकता है ।धन के पीछे भागने वाले लोग मानसिक रोगों से ग्रस्त एवं भयभीत रहते हैं। वे धन से प्रसन्नता नहीं खरीद सकते ।हमें जो अमूल्य जीवन मिला है, उसे अगर जिया ही नहीं तो आप अपने आप को कैसे सफल मान सकते हो ?
सफल एक किसान भी हो सकता है तो श्रमिक या कलाकार भी हो सकता है। इसके लिए आवश्यक है आत्म संतुष्टि और प्रसन्नता।
सफलता के प्रमुख रूप से तीन रहस्य है-
सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनना ।इसके लिए जरूरी है उसमें सत्य, अहिंसा,प्रेम, सद्भाव आदि मानवीय गुणो का होना ।
दूसरा सबसे जरूरी है कि आप अपने परिवार एवं कार्य के बीच सामंजस्य स्थापित कर पाएँ अर्थात आप सिर्फ धन के पीछे भाग रहे हैं और परिवार के लिए तो समय ही नहीं ADRs का वास्तविक है ,ऐसा नहीं होना चाहिए ।अपने परिवार व बच्चों को समय देना उतना ही जरूरी है जितना आजीविका चलाना ।
तीसरा रहस्य है सदैव प्रसन्न रहना और यह तब संभव है जब हम छोटी से छोटी बात में खुशियाँ ढूंढें बाँटें।
हमारी सफलता खुशियों ADRs का वास्तविक की चाबी नहीं
परंतु खुशियां सफलता की चाबी जरूर है।
सुख एवं दुख मन के संकल्प ADRs का वास्तविक एवं विकल्प है । यह तो हमारे मन के विचारों की स्थिति है। सफलता किसी वस्तु को प्राप्त कर लेने में नहीं है बल्कि मानसिक संतुष्टि में है और मानसिक संतुष्टि की प्राप्ति ही सच्ची सफलता है।