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कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले

कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले
What is trading account in hindi

Swing trading क्या है? स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक सिलेक्शन कैसे करें?

आप चाहें तो mutual funds मे भी निवेश कर सकते हैं परंतु यह सिर्फ एक पुराना तरीका है जिसमें सिर्फ लॉन्ग टर्म में ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है। परंतु स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसा कारगर विकल्प है जिससे मदद से आप अपने पैसे पर कम समय में अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं ।

स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग तथा scalping समान ही है परंतु जो इसे अन्य प्रकारों से भिन्न बनाती है वह यह है कि इसमें आपके पास अपने निवेश संबंधी निर्णय को लेने के लिए पर्याप्त समय होता है जिसमें आप अपने तार्किक विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेते हैं

आज के इस आर्टिकल में हम स्विंग ट्रेडिंग क्या है तथा उससे संबंधित विषयों के बारे में अध्ययन करेंगे ।

Table of Contents

Swing trading क्या है?

Swing trading, trading एक ऐसा प्रकार है जिसमें किसी कंपनी के शेयर को 1 दिन से अधिक समय के लिए खरीदा जाता है शेयर को खरीदने से लेकर बेचने की अवधि 1 दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक के लिए हो सकती है।

यह ट्रेडिंग मार्केट में short term gain तथा medium term gains के लिए की जाती है यह ट्रेडिंग का एक ऐसा रूप होता है जिसमें ट्रेडिंग एक तय समय के लिए की जाती है स्विंग ट्रेडिंग मे इस तय समय में हुए मार्केट में शेयर के प्राइस मूवमेंट से लाभ प्राप्त किया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग कम समय में ज्यादा प्रभावी होती है क्योंकि जहां एक तरफ निवेशकों को अपने निवेश पर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न अर्जित करने के लिए 1 साल या उससे अधिक का समय देना होता है वही एक स्विंग ट्रेडर का उद्देश्य कम समय में अच्छे लाभ कमा कर अपने लक्ष्यों की पूर्ति करना होता है क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग की मदद से आप हफ्ते मैं अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।

इस ट्रेडिंग का उपयोग कोई भी आम व्यक्ति लॉयर डॉक्टर, बिजनेसमैन ,आर्किटेक्ट या कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की जॉब करता है वह कर सकता है।

इस ट्रेडिंग की मदद से आप शॉर्ट टर्म में शेयर के प्राइस मूवमेंट से पैसे कमा सकते हैं जिसमें टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करके आप शेयर के प्राइस मूवमेंट का पता लगाकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आने वाले समय में किसी शेयर में कितनी वृद्धि हो सकती है।

Swing trading में stock selection कैसे करें?

स्विंग ट्रेडिंग अन्य ट्रेडिंग के सिद्धांतों पर ही कार्य करती है ।परंतु इसमें व्यक्ति के पास अपने निर्णय लेने हेतु समय होता है। जिससे वह अपने नुकसान को सीमित कर सकता है। जिस प्रकार अन्य ट्रेडिंग प्रकारों में लाभ तथा हानि दोनों हो सकती हैं उसी प्रकार इसमें भी जोखिम रहता है। इसलिए यदि आप अच्छी तरह से स्टॉक का चयन करें तो आप अपने नुकसान को कम तो कर ही सकते हैं ।साथ ही साथ अपने लाभ की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

स्टॉक चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

मौलिक विश्लेषण

सर्वप्रथम किसी कंपनी के स्टॉक के चयन हेतु आपके पास उस कंपनी के विषय में कुछ मौलिक विश्लेषण होने चाहिए जैसे कि उस कंपनी का वैल्यूएशन कितना है वह कंपनी किस क्षेत्र में कार्यरत है तथा इससे पहले उसने कैसा कार्य किया है।

लिक्विडिटी

स्विंगट्रेडिंग करने से पहले आपको उसकी तरलता यह लिक्विडिटी के बारे में जान लेना चाहिए यदि उस शेयर की लिक्विडिटी अच्छी है तो आप कम समय में उससे अच्छा रिटर्न कमा पाएंगे।

ट्रेंड व मार्केट चाल

स्विंग ट्रेड करते समय आपको टेक्निकल एनालिसिस की आवश्यकता होती है जिसकी मदद से आप उस कंपनी के पुराने डाटा के आधार पर आने वाले समय में उस शेयर में होने वाले बदलाव का अनुमान लगा सकते हैं इसके आधार पर आपको उसके ट्रेंड शेयर की औसत चाल तथा उसके प्राइस मूवमेंट की जानकारी मिल जाएगी।

अन्य स्टॉक के साथ तुलना

किसी कंपनी को चयन करने से पहले आपको उस कंपनी के सेक्टर की अन्य कंपनियों के साथ उसकी तुलना करनी चाहिए जिससे आपको शेयर की जानकारी अच्छी तरीके से हो सके।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?

मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग करने से पहले आपको यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि इसका समय काल 1 दिन से कुछ हफ्ते तक का होता है अतः आपको इसके विश्लेषण हेतु टाइम फ्रेम की आवश्यकता होती है। जिससे आप उसका सटीक आंकलन करके लाभ प्राप्त कर सकें।

चार्ट का अध्य्यन मे आपको मार्केट का विस्तृत आंकलन करने की आवश्यकता होती है इसके लिए आप चार्ट के weekly टाइम फ्रेम या day time frame का उपयोग कर सकते हैं साथ ही ट्रेडिंग की प्लानिंग हेतु 1घंटे या 4घंटे के टाइम फ्रेम का उपयोग कर सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें?

यदि आपको स्विंग ट्रेडिंग से लाभ प्राप्त करना है तो आपको सही समय पर शेयर में एंट्री करने की आवश्यकता होती है।यह तय करने हेतु आपको मार्केट में विभिन्न रणनीतियां का उपयोग करना है। तथा किसी की सहायता से आप अपना लाभ भी तय कर सकते हैं।

Support and resistance

शेयर बाजार में सपोर्ट और रेजिस्टेंस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि सपोर्ट मार्केट में खरीदारी को प्रदर्शित करता है ।अर्थात यहां खरीदारी का ज्यादा दबाव होता है ।तथा रेजिस्टेंस सप्लाई को अर्थात् बिकवाली को प्रदर्शित करता है तो यदि आप किसी शेयर मे एंट्री लेते हैं तो आप यह सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस की सहायता से कर सकते हैं।यदि मार्केट कहीं स्ट्रांग सपोर्ट बना रहा है तो आप वहां छोटे स्टॉपलॉस के साथ एंट्री लेने की योजना बना सकते हैं तथा रेजिस्टेंस पर उसको बेच सकते हैं।

मूविंग एवरेज

मूविंग एवरेज मार्केट की औसत चाल को बताने का कार्य करता है चार्ट के तकनीकी विश्लेषण में 21,33,50 ,100,एवं 200 मूविंग एवरेज का उपयोग किया जाता है। यह मार्केट के पिछले कुछ दिनों की औसत चाल के अनुसार आपको भविष्य में आने वाले उतार चढ़ाव का डाटा बताता है।इसकी सहायता से आप अपनी एंट्री की योजना बना सकते हैं।

इंडिकेटर का उपयोग

मार्केट में कई तरह के इंडिकेटर उपलब्ध हैं जो आपको मार्केट की भिन्न-भिन्न दशाओं से अवगत कराते हैं आप इन इंडिकेटर्स का उपयोग करके प्रवेश करने तथा बाहर निकलने की रणनीति को बना सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग मार्केट में कम समय में निवेश करके मुनाफा कमाने हेतु कारगर है। परंतु यदि आपस में सफल होना चाहते हैं तो आपको इसे सावधानी के साथ रिस्क मैनेजमेंट की सहायता से करना चाहिए। क्योंकि यदि आपको अपने लाभ के साथ-साथ अपने नुकसान के बारे में भी पता रहेगा तो आप मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले से अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकेंगे।

Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें

मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं

Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.

ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो ब्रोकर चुनने से पहले इन बातों का ध्यान रखें.

1. अपने मार्जिन पर ट्रेड करें

सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.

वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.

Zerodha के COO वेणु माधव कहते हैं, "इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा."

2. फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा

अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.

3. भुगतान में देरी से सावधान रहें

ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.

4. ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें

अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.

5. अन्य सेवाओं की जानकारी

कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.

कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले

यह पुस्तक प्रसिद्ध रिसर्च एनालिस्ट महेश चंद्र कौशिक की नवीनतम पुस्तक है। वर्तमान में शेयर बाजार में पुरानी तकनीकें लगभग निष्प्रभावी हो चुकी है, क्योंकि डिस्काउंट ब्रोकर हाउसेज के आ जाने से व बाजार में ऑप्शन व डिलीवरी में रिटेल निवेशकों की भागीदारी के बढ़ जाने से अब वह समय चला गया, जब निवेशक किसी शेयर की बड़ी मात्रा को खरीदकर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न के लिए होल्ड करते थे। वर्तमान समय में ज्यादातर रिटेल निवेशक या तो इंट्रा-डे में ट्रेड करके एक ही दिन में मुनाफा समेट रहे हैं या ऑप्शन में सात दिवस की छोटी एक्सपायरी की कॉल पुट में पैसा बना रहे हैं या स्विंग ट्रेड में छोटे प्रॉफिट ले रहे हैं, जिससे मार्केट में छोटे दायरे में उतार-चढ़ाव ज्यादा होते हैं।
वर्तमान पुस्तक इसी संदर्भ में लिखी गई है। यह अपने प्रकार की अकेली ऐसी पुस्तक है, जिसमें इंट्रा-डे, ऑप्शन ट्रेड व स्विंग ट्रेड को शामिल करके लेखक ने गागर में सागर समेटने का सार्थक प्रयास किया है। इस पुस्तक में लेखक ने अपने 15 वर्ष के ट्रेडिंग अनुभव को 41 टिप्स के माध्यम से साझा किया है, जो शेयर बाजार में प्रॉफिट कमाने के इच्छुक छोटे व बड़े सभी निवेशकों के लिए आवश्यक है।
पुस्तक की प्रत्येक टिप विचारोत्तेजक है, जो निवेशक के दिमाग में आशा व विश्वास की नई रोशनी जगाकर उसकी शेयर बाजार पर नई-नई तकनीकों की तलाश को पूर्ण विराम देती है, क्योंकि पुस्तक में पूर्णतः अनुशासित तरीके से निवेश करने की सभी आधुनिक तकनीकों पर प्रकाश डाला गया है।

अनुक्रम

1. ट्रेड करने से पहले रणनीति जरूर बनाइए —Pgs. 13

2. छोटे पौधे से बरगद का बड़ा पेड़ उगाएँ —Pgs. 14

3. सिर्फ छोटी ट्रेड ही लें —Pgs. 17

4. मुनाफे का टारगेट हमेशा छोटा रखें और स्टॉप लॉस उससे भी छोटा रखें —Pgs. 20

5. लाभ व स्टॉप लॉस का अनुपात 2:1 हो, यह अनिवार्य है —Pgs. 23

6. ज्यादा वॉल्यूम वाले शेयरों में ही ट्रेड करें —Pgs. 26

7. शेयर कभी अच्छे या बुरे नहीं होते—या तो गिरनेवाले शेयर होते हैं या बढ़नेवाले —Pgs. 28

8. ट्रेडिंग के अलग-अलग सेगमेंट्स को मिक्स न करें —Pgs. 30

9. अपने लालच एवं डर पर नियंत्रण रखें —Pgs. 34

10. इंट्रा-डे में गिरती हुई पोजीशन को एवरेज आउट नहीं करें —Pgs. 36

11. ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा इंडीकेटर कौन सा है —Pgs. 39

12. ध्यान रखें, आपके ट्रेड को कोई देख रहा है —Pgs. 41

13. इंट्रा-डे की जगह बी.टी.एस.टी. या स्विंग ट्रेड ही करें —Pgs. 45

14. विनिंग स्विंग ट्रेड का शेयर जीनियेस मैथड —Pgs. 46

15. VWAP से ब्रेकआउट मैथड —Pgs. 49

16. स्टॉप लॉस का स्मॉल ट्रेड मैथड —Pgs. 51

17. लिवरेज ट्रेडिंग की मानसिकता पर नियंत्रण —Pgs. 53

18. मार्केट से लड़िए मत —Pgs. 56

19. इंट्रा-डे ट्रेडिंग व लॉन्ग टर्म निवेश मिक्स न करें —Pgs. 59

20. मार्केट का ट्रेंड देखकर ट्रेड करें —Pgs. 61

21. शेयर का ट्रेंड देखकर निवेश करें —Pgs. 63

22. स्विंग ट्रेड का VWAP मैथड अपनाएँ —Pgs. 64

23. स्विंग ट्रेड में एक शेयर में कितनी राशि लगाएँ —Pgs. 67

24. प्रॉफिट टारगेट का निर्धारण —Pgs. 70

25. सिर्फ इंडेक्स स्टॉक्स में ही स्विंग ट्रेड करें —Pgs. 74

26. इंट्रा-डे को बी.टी.एस.टी. या स्विंग ट्रेड में नहीं बदलें —Pgs. 76

27. शेयर बाजार में लालच बुरी बला है —Pgs. 77

28. अपने बुरे निवेश से कैसे बाहर निकलें —Pgs. 79

29. बोनस के चक्कर में मत पड़िए —Pgs. 82

30. एवरेज आउट करना हर बार बुरा नहीं होता —Pgs. 84

31. या तो सच्‍चे लंबी अवधि के निवेशक बनें या स्विंग ट्रेड करें —Pgs. 85

32. इंडेक्स शेयरों में निवेश क्यों करना चाहिए —Pgs. 87

33. ट्रेडिंग व स्विंग ट्रेडिंग के लिए भी निफ्टी के शेयरों का चयन करें —Pgs. 88

34. इंडेक्स की तरह स्विंग ट्रेड के पोर्टफोलियो की समीक्षा करें —Pgs. 89

35. ट्रेडिंग के लिए शेयरों का चयन कैसे करें —Pgs. 90

36. शेयर कभी लगातार नहीं गिरते —Pgs. 92

37. डिविडेंड देनेवाले शेयरों में ट्रेडिंग करने का फायदा —Pgs. 95

38. इन्‍कम टैक्स हार्वेस्टिंग से कैपिटल गेन्स की बचत —Pgs. 98

39. ऑप्शन ट्रेडिंग में 4 स्ट्रोक मैथड का प्रयोग करें —Pgs. 101

40. इंट्रा-डे से बेहतर ऑप्शन ट्रेडिंग है —Pgs. 105

41. मार्केट में खबरों एवं कथित विशेषज्ञों की राय पर ट्रेड नहीं करें —Pgs. 107

The Author

भारतीय संस्कृति के अध्येता और संस्कृत भाषा के विद्वान् श्री सूर्यकान्त बाली ने भारत के प्रसिद्ध हिंदी दैनिक अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के सहायक संपादक (1987) बनने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। नवभारत के स्थानीय संपादक (1994-97) रहने के बाद वे जी न्यूज के कार्यकारी संपादक रहे। विपुल राजनीतिक लेखन के अलावा भारतीय संस्कृति पर इनका लेखन खासतौर से सराहा गया। काफी समय तक भारत के मील पत्थर (रविवार्ता, नवभारत टाइम्स) पाठकों का सर्वाधिक पसंदीदा कॉलम रहा, जो पर्याप्त परिवर्धनों और परिवर्तनों के साथ ‘भारतगाथा’ कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले नामक पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुँचा। 9 नवंबर, 1943 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में जनमे श्री बाली को हमेशा इस बात पर गर्व की अनुभूति होती है कि उनके संस्कारों का निर्माण करने में उनके अपने संस्कारशील परिवार के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज और उसके प्राचार्य प्रोफेसर शांतिनारायण का निर्णायक योगदान रहा। इसी हंसराज कॉलेज से उन्होंने बी.ए. ऑनर्स (अंग्रेजी), एम.ए. (संस्कृत) और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही संस्कृत भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. के बाद अध्ययन-अध्यापन और लेखन से खुद को जोड़ लिया। राजनीतिक लेखन पर केंद्रित दो पुस्तकों—‘भारत की राजनीति के महाप्रश्न’ तथा ‘भारत के व्यक्तित्व की पहचान’ के अलावा श्री बाली की भारतीय पुराविद्या पर तीन पुस्तकें—‘Contribution of Bhattoji Dikshit to Sanskrit Grammar (Ph.D. Thisis)’, ‘Historical and Critical Studies in the Atharvaved (Ed)’ और महाभारत केंद्रित पुस्तक ‘महाभारतः पुनर्पाठ’ प्रकाशित हैं। श्री बाली ने वैदिक कथारूपों को हिंदी में पहली बार दो उपन्यासों के रूप में प्रस्तुत किया—‘तुम कब आओगे श्यावा’ तथा ‘दीर्घतमा’। विचारप्रधान पुस्तकों ‘भारत को समझने की शर्तें’ और ‘महाभारत का धर्मसंकट’ ने विमर्श का नया अध्याय प्रारंभ किया।

आइये जानते है ट्रेडिंग अकाउंट क्या है? कैसे करें ऑनलाइन ट्रेडिंग

What is trading account in hindi

What is trading account in hindi

  • ऐसे खोले ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग अकाउंट
  • Trading Account ऐसे करता है काम
  • ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे करे?

ट्रेडिंग अकाउंट क्या है: शेयर बाजार में निवेश करने या फिर ट्रेडिंग करने के लिए ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होती है।

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से यही शेयर को खरीदा और बेचा जाता है। इसमें ट्रेडर अपने Buy या Sell करने के आर्डर को ब्रोकर को कॉल करके बता देता है। या फिर ऑनलाइन ट्रेडिंग के माध्यम से खुद ही अपना आर्डर करता है।

ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग में ट्रेडर्स ब्रोकर के माध्यम से ही शेयर को खरीदता और बेचता है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में ट्रेडर ब्रोकर की वेबसाइट की सुविधा के द्वारा इस प्रक्रिया को करता है। इसके लिए ट्रेडर को KYC और ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन का फॉर्म भरना होता है। इसके बाद ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग का अकाउंट खुल जाता है। इसके बाद ब्रोकर अपने ग्राहक को एक यूजर आईडी और पासवर्ड देता है। इसको डाल कर ट्रेडर लॉगिन करके शेयर को खरीद या बेच सकता है। ट्रेडिंग एकाउंट को डीमैट अकाउंट से जोड़ दिया जाता है जिससे शेयर खरीदे जाने पर वह डीमैट अकाउंट में चला जाता है।

ऐसे खोले ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग अकाउंट

ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग अकाउंट खोलना बेहद आसान प्रक्रिया है। इसके लिए ब्रोकर की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए निम्नलिखित डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ती है। –

what is SEBI in Hindi

What is Algo Trading in Hindi

  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • नॉमिनी की फोटो
  • एड्रेस प्रूफ जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी,
  • कैंसिल चेक और लेटेस्ट बैंक स्टेटमेंट
  • डीमैट कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले अकाउंट की डिटेल

Trading Account ऐसे करता है काम –

ट्रेडिंग अकाउंट में सबसे पहले निवेशक इसी ट्रेडिंग एकाउंट में पैसा जमा करता है उसके बाद जिस शेयर को खरीदना या बेचना है उसके दाम को चेक करता है और आर्डर करता है। यह आर्डर स्टॉक एक्सचेंज के पास जाता है। इस ऑर्डर को काउंटर ऑर्डर मिल जाने के बाद यह एग्जीक्यूट (Execute) हो जाता है। इस दौरान पैसे पर लगने वाले टैक्स या फिर चार्ज ट्रेडिंग अकाउंट से ही काटे जाते हैं। इसके बाद शेयर 2 दिन में डीमैट अकाउंट में जमा हो जाते हैं। लेकिन यदि शेयर को बेचने का ऑर्डर किया गया रहता है तो शेयर का पैसा टैक्स और ब्रोकरेज कट होने के बाद ट्रेडिंग अकाउंट में जमा हो जाता है।

ट्रेडिंग अकाउंट होने से ऑनलाइन चैटिंग की सुविधा आसान हो जाती है शेयर को खरीद कर पैसे कटाना और बेचने पर पैसे जमा होना, यह सारी प्रक्रिया अपने आप ऑटोमेटिक होती है। इसके लिए किसी लिखित पेपर या कॉल की जरूरत नहीं पड़ती है। ऑर्डर बहुत जल्दी ही पूरा हो जाता है। मोबाइल के द्वारा भी किसी भी जगह से शेयर को खरीदा और बेचा जा सकता है।

ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे करे?

ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले एक ट्रेडिंग का चयन करना होगा। जिसके साथ अपना ट्रेडिंग डिमैट अकाउंट ओपन करना होता है। शेयर मार्केट में कई प्रकार की ट्रेडिंग होती है। इसके इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विप ट्रेडिंग, पोजीशनल ट्रेडिंग आदि है। इनमें से किसी भी ट्रेडिंग का चुनाव करके ट्रेडिंग की जा सकती है।

ट्रेडिंग स्टाइल के चयन के बाद ट्रेडिंग प्लस और मनी मैनेजमेंट की बारी आती है। इसमें ट्रेडिंग प्लस में कौन सा शेयर खरीदना है और कब खरीदना है जैसी बातें शामिल होती है।

वही मनी मैनेजमेंट में कितने रुपए का निवेश करना है टारगेट क्या होगा?, ऐसी बातों का ध्यान दिया जाता है।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग को दो भागों में बांटते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग और डिलीवरी बेस्ड ट्रेडिंग

इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर को एक ही दिन में खरीद कर उसे बेचना होता है। इसमें शेयर को वास्तविकता में नहीं खरीदा जाता बल्कि ब्रोकर को कुछ मार्जिन देखा शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव जब आता है तो उसका फायदा उठाया जाता है। डिलीवरी बेस्ड ट्रेडिंग में शेयर को वास्तव में खरीदा जाता है और जितने भी शेयर लिए जाते है, उनका पूरा पैसा चुकाना होता है। डिलीवरी बेस्ट ट्रेडिंग में आप शेयर को जब तक चाहे अपने पास रख सकते हैं।

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

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क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया

हेल्लो दोस्तों आज हम स्टॉक मार्केट में होनेवाले क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया के बारेंमे बात करनेवाले हैं इसमें हम जानेंगे की क्लियरिंग और सेटलमेंट के बिच क्या अंतर है साथ ही क्लियरिंग और सेटलमेंट किसे कहा जाता हैं और यह प्रक्रिया हमारें फंड्स और स्टॉक्स पर कैसे काम करती हैं यानि शोर्ट में इन दोनों प्रोसेस को हम विस्तार से समजने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं (क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया)

क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया से पूर्व की जानकारी :-

शेयर का क्लियरिंग और सेटलमेंट कैसे होता है यह समजने के पूर्व हमें और भी काफी सारी बातो का चयन करना अनिवार्य हो जाता हैं

तो आमतौर पर हम सबसे पहले शेयर को खरीदते हैं, इनसे पहले भी एक कार्य और है और वो ये की हमें जो शेयर खरीदने है उसका उचित Margin हमारे Trading Account में एडवांस जमा होना चाहिए उसके प्रश्चात ही हम उस शेयर को खरीद सकते है अन्यथा हमारी खरीदी की लिमिट ही निषेध हो जाएँगी

यदि आपको शेयर कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले खरीदी की बात से यहाँ तक की कुछ बाते समजमे ना आई हो तो मे आपको बता दू की SEBI के New Margin Rules के मुताबिक (वैसे अब तो यह पुराना नियम हो गया है) शेयर्स पर ट्रेडिंग करने के पूर्व फिर चाहे वो खरीदी का ट्रेड हो या बिकवाली का ट्रेड हो, उसका इनिशियल मार्जिन देना अनिवार्य होता है फिर चाहे हम उसे हमारे Trading Account में जमा दे या Demat Account में पड़े पुराने शेयरों को Pledge करवाके मार्जिन जामा दे “it doesn’t matter”.

शेयर ट्रेडिंग कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले पर मार्जिन रूल्स

SEBI के द्वारा 1 सितंबर, 2020 को शेयर बाजार का अब तक का अहम माने जाने वाला नियम जिसे मार्जिन नियम से जाना जाता है उसको लागु किया गया था और यदि आपको SEBI के इस New Margin Rules को समजना है तो हमारे इस आर्टिकल की मदद से उसे विस्तार से समज सकते हैं

सेबी के इस नियमों के मुताबिक किसी भी कंपनी के शेयर्स को खरीदने के लिए हमें उस पर्टिक्युलर शेयर पर सेबी ने जो मार्जिन नक्की किया है वो हमें एडवांस देना पड़ता है तभी हमारे ब्रोकर्स हमें उस शेयर पर ट्रेडिंग की लिमिट प्रोवाइड करते हैं

सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा शेयर बाजार में लिस्टेड सभी कंपनीयों के शेयरों पर अलग – अलग मार्जिन नक्की किया हुआ है यह उसकी इक्विटी, ट्रेडिंग कारोबार और मांग पर बदलता रहता है शेयर की खरीदी के दिन को सौदे का दिन या T – Day भी कहा जाता है

तो अब जबकि हमने शेयर्स को खरीदने तक की प्रक्रिया को समज लिया है, तो अब शेयर की खरीद – बिक्री को उसके उदाहरण से समजते है, जिनके बाद ही हमें T- Day, T + 1 Day और T + 2 Day क्या है और यह शेयर के क्लियरिंग और सेटलमेंट से किस प्रकार सबंधित है यह समज सकेंगे, तो चलिए इस टोपिक पर आगे बढते हैं

Clearing क्या होता हैं :-

शेयर की खरीदी को उदाहरण के माध्यम से समजते हैं, मानलीजिये हमने 4 दिसंबर, 2019 को SBI के 50 शेयर्स Rs.340 पर ख़रीदे है जिसका नेट अमाउंट Rs.17,000 होता है इस दिन को सौदे का दिन या T- Day कहा जाता है

शेयर का क्लियरिंग शेयर के खरीदी के दिन T- Day से तीसरे दिन T + 2 Day पर होता है या इसे यु भी कह सकते है की T + Day पर किया गया ट्रेडिंग फिर चाहे शेयर को ख़रीदा हो या बेचा हो उसका क्लियरिंग T + 2 Day पर होता है इन्ही प्रक्रिया को शेयर का क्लियरिंग कहा जाता है

एक खास बात और T- Day पर ख़रीदे गए शेयर को T + 1 Day पर नहीं बेच सकते है और यदि वह शेयर का ग्रुप Trade For Trade (T) है तो उसे T + 3 Day पर ही बेचना चाहिए क्यूंकि T ग्रुप के शेयरों में Intraday नहीं किया जा सकता है

इसे दीप में फिर किसी आर्टिकल में जानेंगे फिलहाल, T ग्रुप के अलावा के सभी शेयरों के ग्रुप्स को T + 2 Day से किसी भी दिन बेच सकते है क्योंकि T- Day पर ख़रीदे गए शेयरों की डिलीवरी T + 2 Day में आती है यानि उस दिन आपके ख़रीदे हुए शेयर्स को सेबी आपके Demat Account में क्रेडिट (जमा) देता हैं

यदि आपने T- Day पर सिर्फ मार्जिन दे कर शेयर्स ख़रीदे है यानि यदि उस शेयर का मार्जिन 40% है तो उसके हिसाबसे आपके Trading Account में अभी भी Rs.10,200 (Rs.17,000 को फुल्ली बिल अमाउंट लेते हुए) डेबिट रहेंगे जिसे आपको T + 2 Day पर क्लियर (पेमेंट) करना होंगा अन्यथा सेबी के रूल्स के मुताबिक आपको और आपके ब्रोकर दोनों को पेनल्टी चार्ज चुकाना पड़ेंगा

Settlement क्या होता हैं :-

अब जबकि हमने शेयर ख़रीदे है तो उसे बेचने भी पड़ेंगे तो अब शेयर कैसे इंट्रा डे के लिए शेयर का चयन करने के एक दिन पहले की बिकवाली को एक उदाहरण के माध्यम से समजते हैं

पहले तो शेयर को बेचने के दो प्रकार (तरीके) है, एक तो हमारे Demat Account से बिक्री के निकालने वाले शेयर को डिलीवरी सेल्लिंग कहा जाता है और दूसरा तरीका जो की इंट्राडे का है वो दो भागों में डिवाइड है पहला इंट्राडे में की गयी खरीदी को बेचना और दूसरा बिना शेयर के बिकवाली करना इसे गुजराती भाषा में शेयर को ‘माथे मारना’ कहते है इसे मार्केट की भाषा में Short Selling कहा जाता हैं

शेयर की बिकवाली करना भी महत्वपूर्ण कार्यो मेसे एक है, मेने पहले भी कहा है की जिस दिन शेयर की खरीदी (T- Day) करते है उसके तीसरे दिन (T + 2 Day) से लेकर कभी भी उस शेयर को बेच सकते है, शेयर को बेचने के बाद T + 2 Day पर उस शेयर का सेटलमेंट होता है, उस शेयर के बिकवाली के Contract Note (Bill) पर ही Settlement Date लिखी हुई होती है इन ही प्रक्रिया को सेटलमेंट कहा जाता हैं

बजाय इसके की हम BTST सौदे का इस्तेमाल कर रहे हो BTST यानि Buy Today, Sell Tomorrow इसे ATST यानि Acquire Today, Sell Tomorrow भी कहा जाता हैं

Clearing Corporation और Clearing Members क्या हैं :-

शेयर क्लियरिंग और सेटलमेंट को और भी विस्तार से समजने के लिए हमें उनकी संस्था और उनके कार्यकर्ता के बारेंमे जानना चाहिए जिसके लिए हमें Clearing Corporation और Clearing Members क्या है यह समजना अनिवार्य है

तो चलिए इसे विस्तार से समजते है, SEBI सभी एक्सचेंजों को यह परवानगी देती है की वो क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के जरिये शेयरों की Clearing और Settlement की प्रोसेस को मैनेजमेंट करें

Clearing Corporation एक प्रकार की सेपरेट एंटिटी होती है जो किसी भी सामान्य Buyer या Seller से सीधे कम्यूनिकेट नहीं करते बल्कि वो Clearing Member से कम्यूनिकेट करते है

सभी स्टॉक ब्रोकर्स स्टॉक एक्सचेंजीस के मेंबर्स होते है जिन्हें ट्रेडिंग मेंबर्स भी कहा जाता है यानि सभी ट्रेडिंग मेंबर्स को अनिवार्य रूप से Clearing Corporation का मेंबर बनना पड़ता है जिन्हें हम Clearing Members के नाम से जानते हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल में क्या – क्या सिखा, क्लियरिंग और सेटलमेंट की सभी सामान्य बातोँ में उनकीं प्रक्रिया की शुरुआत से पहले हमें किन – किन बातोँ पर ध्यान रखना है वह जाना साथ ही क्लियरिंग और सेटलमेंट की प्रक्रिया में Clearing Corporation और Clearing Members की क्या अहमियत है वह जाना, तो यह हमारा टोपिक यही पर समाप्त होता हैं, धन्यवाद

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