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क्रिप्टोकरेंसी कानुन तौर पर वैध है या अवैध

क्रिप्टोकरेंसी कानुन तौर पर वैध है या अवैध
TV9 Hindi | Edited By: अंकित त्यागी

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क्रिप्टो मुद्रा पर कर से बाजार की ‘गहराई’ का पता चलेगा: CBDT प्रमुख

नई दिल्ली/एजेंसी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) चेयरमैन जे बी महापात्र ने कहा है कि बजट में क्रिप्टो करेंसी या ऑनलाइन डिजिटल संपत्तियों को कर के दायरे में लाने की घोषणा आयकर विभाग के लिये देश में इस मुद्रा के कारोबार की ‘गहराई’ का पता लगाने, निवेशकों तथा उनके निवेश की प्रकृति को जानने में मददगार होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम का मतलब यह नहीं है कि क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन वैध हो जाएगा। महापात्र ने कहा कि कर अधिकारियों के लिये इस क्षेत्र में प्रवेश का यह सही समय है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर रही है और क्रिप्टोकरेंसी कानुन तौर पर वैध है या अवैध उससे निकलने वाले निष्कर्ष के आधार पर राष्ट्रीय नीति और नियमन तैयार किये जाएंगे। वित्त मंत्री ने 2022-23 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टोकरेंसी कानुन तौर पर वैध है या अवैध अन्य डिजिटल संपत्तियों पर कराधान को स्पष्ट किया। उन्होंने ऐसी संपत्तियों में लेन-देन पर होने वाली आय को लेकर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया। साथ ही एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर क्रिप्टोकरेंसी कानुन तौर पर वैध है या अवैध एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने का भी प्रस्ताव किया।

क्या Bitcoin समेत अन्य क्रिप्टोकरेंसी आज भी देश में प्रतिबंधित है? सरकार ने दी पूरी जानकारी

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क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि बिटक्वॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया की सरकार करेंसी छापेगी तो इसकी वैल्यू में गिरावट आएगी. इसके कारण महंगाई दर बढ़ेगी. उन्होंने जिम्बावे जैसे देशों का उदाहरण दिया और कहा कि वहां महंगाई दर दस हजार पर्सेंट से भी ज्यादा है. वहां ब्रेड की कीमत आज 50 पाउंड है तो कल इसकी कीमत 500 पाउंड हो जाती है. ऐसे में अगर एक ब्रेड की कीमत 1 बिटक्वॉइन फिक्स की जाती है और रोजाना आधार पर यही रेट रहता है तो लोग ऐसी किसी क्रिप्टोकरेंसी को एक्सेप्ट करेंगे. मुझे लगता है कि ऐसे ही कारणों के कारण क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता बढ़ गई है. दूसरे पहलुओं को लेकर उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के कारण दुनिया भर की सरकारें और सेंट्रल बैंक इसका विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पावर में कमी महसूस हो रही है.

सबसे पहले जानते हैं क्रिप्टोकरेंसी के बारे में…

डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. बिटकॉइन के अलावा दुनिया में सैकड़ों अन्य क्रिप्टो करेंसी भी मौजूद हैं जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कॉइन, वॉइस कॉइन और मोनरो.

बिटकॉइन (Bitcoin) भी क्रिप्टोकरेंसी है. इसे सातोशी नकामोति ने 2008 में बनाया था. हालांकि आजतक यह नहीं पता चल पाया है कि सातोशी नकामोति कौन है.

इसे पहली बार 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था. इसको कोई बैंक या सरकार कंट्रोल नहीं करती है.

भारत में रिजर्व बैंक ने इसे मान्यता नहीं दी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की इजाज़त दे दी है. यानी भारत में भी बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त हो सकती है.

क्रिप्टोकरेंसी का मुनाफा काफ़ी अधिक होता है, ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.

आइए जानें सरकार का क्या कहना है?

वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद में बताया कि बिटकॉइन, सहित सभी क्रिप्टोकरेंसी के साथ जुड़े जोखिमों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अप्रैल , 2018 को एक परिपत्र के माध्यम से देश की सभी संस्थाओं को सलाह दी है कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कोई भी काम नहीं करें.

लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 04 मार्च , 2020 को अपने एक फैसले में 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 528 और 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 373 में दिनांक 06 अप्रैल , 2018 के उपर्युक्त परिपत्र को खारिज कर दिया है.

उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई कि सरकार क्रिप्टो करेंसियों को वैध मुद्रा या सिक्का नहीं मानती और इन क्रिप्टो के उपयोग को समाप्त करने के लिए सरकार सभी उपाय करेगी.

सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रवेश करने हेतु ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का सक्रिय रूप से उपयोग करके उसका पता लगाएगी.

अब क्या है सरकार की तैयारी

क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है. देश में अभी प्रचलित सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. सिर्फ सरकार के पास ही इसे चलाने का अधिकार होगा.

इसको लेकर विशिष्ट कार्रवाई करने के प्रस्ताव के लिए सचिव ( आर्थिक कार्य ) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय स्तरीय समिति का गठन किया गया है.

क्रिप्टो करेंसी से जुड़ा बिल लाएगा केंद्र, शीतकालीन सत्र में पेश होगा मसौदा

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सरकार की ओर से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. सरकार संसद के शीतकालीन सत्र ( winter session of Parliament ) में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' ( 'The Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021' ) पेश करेगी. विधेयक आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा ( fficial digital currency ) के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करना चाहता है और भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी ( cryptocurrencies in India ) पर प्रतिबंध लगाना चाहता है.

Govt to introduce 'The Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021' in winter session of Parliament

क्रिप्टोकरेंसी का निवेश रिटर्न में जरूर दिखाएं

बिजनेस स�?टैंडर�?ड क्रिप्टोकरेंसी का निवेश रिटर्न में जरूर दिखाएं

पिछले सप्ताह आयकर विभाग के छत्तीसगढ़ कार्यालय ने एक व्यक्ति को नोटिस भेजकर आय संबंधी जानकारी साझा करने के लिए कहा है। विभाग ने कुल 26 सवालों के जवाब मांगे हैं जिसमें पिछले तीन वर्षों के आयकर रिटर्न के ब्योरे और क्रेडिट कार्ड लेनदेन के साथ यह भी पूछा गया है कि क्या वह क्रिप्टोकरेंसी में भी निवेश करते हैं? इसमें कुल 21 सवालों में काफी विस्तृत तरीके से क्रिप्टोकरेंसी संबंधी निवेश, एक्सचेंजों पर लेनदेन का ब्योरा, नोटबंदी के समय किया गया निवेश, निवेश की गई राशि, क्रिप्टो वॉलेट की विशिष्ट पहचान संख्या आदि बहुत सी जानकारी मांगी गई है। इसी तरह के नोटिस दूसरे निवेशकों को भी जारी किए गए हैं।

हाइलाइट्स

  • केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालयी समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है.
  • अभी तक दुनिया भर में कुल 2,116 क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका कुल बाजार पूंजीकरण $119.46 अरब का है.
  • क्रिप्टोकरेंसी न तो लीगल टेंडर के समान हो सकती है क्रिप्टोकरेंसी कानुन तौर पर वैध है या अवैध और न ही इसे ऐसा समझा जाना चाहिए.

गौरतलब है कि इस समिति का गठन 2 नवंबर 2017 को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मामलों के अध्ययन के लिए किया गया था. इस समिति को इस बारे में रूपरेखा बनाने के लिए भी कहा गया था. इसने निजी क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपना फैसला दिया है. सरकार का तर्क है कि वह निवेशकों के पैसों को जोखिम में नहीं डाल सकती.

मगर आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाली एक अन्य सरकारी समिति ने एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी की जरूरत बताई है. उसका कहना है कि इसे लीगल टेंडर माना जा सकता है. इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नियंत्रण होगा. इस पैनल में इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्रालयों के सचिव, सेबी प्रमुख और RBI के डिप्टी गवर्नर भी शामिल थे.

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