ब्रोकर कैसे चुनें

दलाल प्रस्तुत

दलाल प्रस्तुत

दंगल: सियासत में कौन लाल. कौन दलाल?

कल कोलकाता में विपक्ष के 22 दलों ने एक ही मंच से अपनी ताकत दिखाई थी लेकिन मोदी ने इसकी काट में पूर्व की सरकारों पर आज हमला बोल दिया. मोदी ने कहा कि पहले की सरकार के सियासी कार्यकर्ता दलाल समझे जाते थे लेकिन हमारे कार्यकाल में अब वो देश के लाल कहलाते हैं. आज के दंगल में हम इसी पे चर्चा करेंगे- सियासत में कौन लाल कौन दलाल?

A day after the Maha rally, hosted by Mamata Banerjee in Kolkata to showcase the strength and unity in the opposition, PM Narendra Modi launched a scathing attack on the opposition parties. He said, that party workers of previous government were considered as Dalal (agents) and now, the party workers of the BJP are considered as Bharat Ke Laal (Son of India). Today in Dangal, we will be discussing over the topic- In Politics who is Dala (agent) and who is Bharat ke laal (Son of the country)?

दिहाड़ी मजदूर को भी बिना दलाली के काम नहीं मिल रहा : गांव पर विमर्श करती किताब

पलाश विश्वास के लिखे प्राक्कथन को पढ़ने से पता चलता है कि किताब में मास्साब की रचनाधर्मिता को समग्रता से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यहां पाठकों को यह भी मालूम पड़ेगा कि मास्साब यह किताब कैंसर होने के बावजूद लिख रहे थे और किताब का उद्देश्य उनके कृषि विमर्श को समग्रता में राष्ट्रव्यापी संवाद के लिए प्रस्तुत करना था।

भूमिका एक वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी ने लिखी है, जो यह जानकारी देती है कि मास्साब की यह किताब गांव बचाने के उद्देश्य पर केंद्रित है।

भूमिका दो में पुरुषोत्तम शर्मा ने मास्टर प्रताप सिंह के निजी जीवन पर प्रकाश डाला है, साथ ही किताब के तैयार होने की कहानी भी इस भूमिका में दी गई है।

‘यह किताब क्यों’ मास्टर प्रताप सिंह द्वारा ही लिखा गया है और जिज्ञासा जगाता है कि किताब में कुछ महत्त्वपूर्ण मिलेगा जो राष्ट्र के विकास में सहायक होगा।

छह खण्डों में बंटी इस किताब को मास्साब के आलेखों, कविताओं, डायरी के हिस्से और पत्रों को मिला कर पूर्ण रूप दिया गया है। किताब में आपको गद्य और पद्य दोनों पढ़ने के लिए मिल जाएंगे।

खण्ड एक ‘गांव और किसान भारत की मौलिक पहचान’ 2011 की जनगणना के आंकड़ों से शुरू होता है। विकास की परिभाषा के बारे में लिखा गया है कि इसकी वास्तविक परिभाषा से हम अनजान हैं।

लेखक द्वारा यजुर्वेद, अर्थववेद, विष्णुपुराण के शब्दों को आज के परिवेश से जोड़ देना और ‘माटी हिंदुस्तान की’ पाठ में विज्ञान की चर्चा करना, उनके लेखन की विविधता को दर्शाता है।

हर पाठ के बाद ‘मास्साब ने कहा’ बॉक्स गांव और कृषि के बारे में नए विचार रखता है।

भारत की जल सम्पदा और वन सम्पदा पर हो रहे अतिक्रमण के बारे में पाठकों का ज्ञान खोलती किताब आगे बढ़ती है। जल सम्पदा पर विचार करती जनकवि ‘गिर्दा’ की कविता भी पढ़नी आवश्यक है।

खण्ड का अगला विषय ग्रामीण भारत, शहरी औद्योगिक विकास, बजट उपयोग और स्वास्थ्य पर केंद्रित है।

खण्ड दो ‘दूर तलक फैली हरियाली मास्साब के नोट्स’ से पहले आप देश के खोखलेपन से वाकिफ हो चुके होंगे।

किसान कर्ज का इस्तेमाल बीज, खाद, सिंचाई आदि में करे तो तरक्की करेगा, अन्य कामों में करे तो तबाह हो जाएगा। पंक्ति नोट्स का महत्व समझाती हैं।

विकास की अवधारणा‘ जैसे महत्वपूर्ण शीर्षक सामने आते हैं, जिसकी पंक्ति ‘तकनीक अब उपाय नही रह गई, हमारी स्वामी बन गई’ किताब पढ़ते आपको गांधी विचारों की याद भी दिलाएगी।

खण्ड तीन ‘आंदोलनों की ज़मीन से’ पढ़ने के लिए आपका कलेजा मज़बूत होना चाहिए। संपादक ने मास्साब के लिखे को सही क्रमानुसार समेटने के लिए अपने पूरे लेखकीय अनुभव का सही इस्तेमाल किया है।

लेखक चाहते थे कि पुस्तक प्रसारित हो तो देश में रोज़गारविहीन जन विरोधी विकास नीति पर देशव्यापी बहस छिड़ सकती है और हमारे द्वारा प्रस्तुत वैकल्पिक विकास नीति के पक्ष में जनमत बन सकता है।

किताब पढ़ते और आज के युवाओं के हाल देख यह लगता है कि किताब को चर्चित करना आवश्यक है।

खण्ड में आगे मास्टर को गिरफ्तार करने की साजिश के साथ उनके परिवार को परेशान करने की कहानी है, यह वाक्या जनता के लिए लड़ने वालों के साथ होने वाली मुश्किलों से आपको परिचित करवाता है।

SRWC का परिचय मास्साब का दूसरा पक्ष दिखाता है, किताब पढ़ते कभी-कभी लगता है कि इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाए तो छात्रों को भूगोल, विज्ञान आसानी से समझ आ जाए।

‘नैनीसार’ का डीएनए जिस तरह से किया गया है उससे पूरा तंत्र कटघरे में खड़ा दिखता है।

खण्ड चार की शुरुआत में दिहाड़ी मजदूर को भी बिना दलाली के काम नहीं मिल रहा‘ पंक्ति सत्यता के करीब ही है। यह खण्ड पूंजीवाद की कलई खोलता ‘वाम लफ्फाज़ों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ पाठ पर आता है, जो समाजवाद और विकास की वास्तविक परिभाषा हमारे सामने रखता है।

अब आपको यह मालूम भी पड़ जाएगा कि कृषि कानून और श्रम कानूनों में बदलाव की आवश्यकता क्यों पड़ी थी।

उत्तराखंड के विकास के साथ ही देश भर के कृषकों की हालत में कैसे सुधार लाया जाए, इसके लिए विशेष सुझाव किताब में आपका इंतज़ार कर रहे हैं।

खण्ड पांच के परिचय पृष्ठ में पांच की जगह छह का पृष्ठ लग गया है , जो प्रकाशक की गलती जान पड़ता है। खण्ड पांच में आपको गद्य के साथ पद्य भी मिलेंगे।

प्रकृति, राष्ट्र के वर्तमान हालातों जैसे विषयों पर लिखी कविताएं प्रभावित करती हैं।

खण्ड छह ‘मास्साब की डायरी’ में राजनीति, पर्यावरण, आर्थिकी जैसे मुद्दे शामिल हैं। सम्पादक ने खण्ड छह का परिचय भी लिखा है, जो प्रभावित करता है।

डायरी राष्ट्रीय पटल में घटित हो रही घटनाओं के साथ उत्तराखंड के घटनाक्रमों पर भी केंद्रित है।

बरेली का इतिहास रोचक है तो ‘विद्यालय की नई शाखा’ में मास्साब का अपने परिवार के प्रति प्रेम झलकता है।

खण्ड सात मास्साब के करीबियों ने लिखा है और यह मास्साब पर बात करते उनको श्रद्धांजलि देने का सबसे बेहतर तरीका भी है।

मास्साब की अंतिम यात्रा पढ़ते लेखक सुनील कैंथोला द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक ‘मुखजात्रा’ आपको खुद ही दलाल प्रस्तुत याद आने लगेगी।

जाते जाते

अंत में पुस्तक के आवरण पर भी बात कर ली जाए जो के.रविन्द्र, भोपाल द्वारा तैयार किया गया है। आवरण चित्र पर किसानों की जो तस्वीर दिखाई गई है वह उनकी वर्तमान दशा को हूबहू हमारे दलाल प्रस्तुत सामने रख देती है, पिछले आवरण पर वरिष्ठ पत्रकारों पलाश विश्वास, चारु तिवारी और पुरषोत्तम शर्मा ने प्रताप सिंह ‘मास्साब’ पर अपनी टिप्पणी दी हैं।

कुल मिलाकर पुस्तक का आवरण और नाम उसके भीतर की सामग्री से न्याय करता जान पड़ता है।

सूरत : हीरा दलाल ने नकली हीरा और नकली प्रमाणपत्र देकर की एक युवक को ठगने की कोशिश, ऐसे खुला मामला

सच्चाई सामने आने पर भागने की कोशिश में था ठग, लोगों ने पकड़ के पुलिस के हवाले किया

सूरत के महिधरपुरा हीरा बाजार में हीरा दलाल को फर्जी जीआईए सर्टिफिकेट व फर्जी हीरो देकर 50 हजार की ठगी करके का मामला सामने आया। इस मामले में ठगी करने वाला व्यक्ति को पकड़ा गया है। हुआ ऐसा कि नकली हीरे को असली और बिनकट वाला बताकर पैसे ऐंठने की योजना बनाने वाले ठग के सामने ही दलाल हीरों को जांचने लगा। अपना भेद खुल जाने के भय से ठग वहां से भागने की फिराक में था लेकिन उस भागते हुए ठग को लोगों ने पकड़ लिया। उससे पूछताछ में पता चला कि तुषार सोनानी, जो पहले स्पेयर जीआईए सर्टिफिकेट घोटाले में पकड़ा गया था, ने उसे हीरो और सर्टिफिकेट दिया था।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोहित विपिनकुमार पाड़िया अपने दोस्त देवेनभाई के माध्यम से 29 वर्षीय भरत असललिया के संपर्क में आया। भरत सूरत के अड़ाजन में रहता है और महिधरपुरा हीरा बाजार में हीरा दलाल का काम करता है। उसने मोहित को जीआई प्रमाण पत्र के साथ अलग-अलग हीरे दिखाए। इनमें से मोहित ने एक कैरेट दलाल प्रस्तुत हीरा चुना जो प्राकृतिक और बिना किसी प्रक्रिया के था। इन दोनों के बीच 6.80 लाख में सौदा तय हुआ। मोहित ने भरत को अग्रिम राशि के रूप में 50 हजार दिए। इसके बाद मोहित हीरे के साथ सीवीडी चेक नामक एक दुकान पर गया। जहां जांच में पता चला कि ये कोई प्राकृतिक नहीं बल्कि संसाधित किया गया हीरा था और घटिया गुणवत्ते वाले इस हीरे की कीमतलगभग 30 हजार थी। भरत की हकीकत जैसे ही सामने आई तो वो भागने लगा। मोहित ने ये देख शोर मचाना शुरू कर दिया जिससे इसी बीच लोगों ने भरत को पकड़ लिया।

इसके बाद महिधरपुरा थाने ले जाकर पूछताछ करने पर ठग भरत ने बताया कि एक साल पहले काजल जीआईए सर्टिफिकेट घोटाले में पकड़े गए तुषार सोनाली ने उसे हीरा और जीआईए सर्टिफिकेट दिया था, जिसमें जीआईए सर्टिफिकेट नंबर खुदा था। फर्जी सर्टिफिकेट और फर्जी हीरो मोहित ने बाद में महिधरपुरा थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी।

जयपुर डिस्कॉम का तकनीकी सहायक और दलाल रिश्वत लेते गिरफ्तार

जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की धौलपुर टीम ने बुधवार को कार्रवाई करते हुए सब स्टेशन जेवीवीएनएल जाटौली जिला धौलपुर के तकनीकी सहायक सहित एक दलाल को परिवादी से छह हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो महानिदेशक भगवान लाल सोनी ने बताया कि एसीबी की धौलपुर टीम को परिवादी द्वारा शिकायत दी गई कि उसके दलाल प्रस्तुत द्वारा प्रस्तुत विद्युत कनेक्शन आवेदन पर पुराना बिजली बिल बकाया होने का भय दिखाकर एवं नया मीटर लगाने की एवज में जेवीवीएनएल जाटौली के तकनीकी सहायक कप्तान सिंह द्वारा अपने दलाल दिनेश कुमार के मार्फत 11 हजार रुपये की रिश्वत राशि मांग रहा है।

एसीबी की धौलपुर के उप अधीक्षक पुलिस सुरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में ट्रेप की कार्रवाई करते हुए तकनीकी सहायक कप्तान सिंह और उसके दलाल दिनेश कुमार को छह हजार रुपये की रिश्वत राशि लेते गिरफ्तार किया गया है। उल्लेखनीय है कि आरोपियों द्वारा पांच हजार रुपये की रिश्वत राशि सत्यापन के दौरान परिवादी से वसूली गई थी। फिलहाल आरोपियों से एसीबी की टीम पूछताछ करने में जुटी है।

कलाकारो ने सेठ तारा चंद किस्से के साथ अन्य धार्मिक रागनियां सुनाई, मंत्रमुग्ध हुए श्रोता।

दादरी-रोहतक मुख्यमार्ग पर लाम्बा के समीप गौवंश चिकित्सालय में चल रहे रागनी कार्यक्रम में अमित चौ० एण्ड पार्टी द्वारा सेठ तारा चंद किस्सा का मंचन किया गया व सांग की महता का भी बखान किया। किस्सा सुनाते हुए बताया कि दिल्ली में सेठ ताराचंद रहते हैं जिनके घर चंद्रगुप्त जन्म लेता है। सेठ ताराचंद एक साधु के कहने पर चंद्रगुप्त को मनसामल नामक सेठ के घर गिरवी रख देता है। मनसामल के दो पुत्र तथा दो पुत्रवधु चंद्रगुप्त से स्नेह करने लगती हैं। धीरे धीरे चंद्रगुप्त युवा हो जाता है और मनसामल अपने अन्य पुत्रों की अपेक्षा चंद्रगुप्त से ज्यादा प्रेम करता है तो मनसामल के पुत्र चंद्रगुप्त से घृणा करना शुरु कर देते हैं।

सांग के माध्यम से नारी के पुत्रमोह को दिखाने का प्रयास किया गया। वहीं रेणु श्योराण एवं प्रीति लठवाल ने लोक नृत्य प्रस्तुत किया व रेणू श्योराण ने हरिश्चन्द्र किस्से की रागनी चिस लाग रही चस-चस हो री गात बोचियों मेरा, अमित चौधरी ने कौन कह हिन्दू के दलाल प्रस्तुत घर, कद का देखू बांट खोले नहीं किवाड़, मेरे महलो मैं कौन घड़ी, सब सौदे तकदी के आदि रागनियां प्रस्तुत की। वहीं छम्मा तिवारी ने जहाज के मा बैठ गौरी, लक्की भाटिया ने लेके देदे करके खाले, ब्रिजेश व अजय ने धार्मिक रागनियां, दीपा चौधरी ने सोलो रागनी गऊ माता की सेवा करये भारत के नर नारी व भगत सिंह – किशन सिंह सरदार रहे था, इसा तमाम सुनाना होगा, आदि रागनियों से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए तथा सभा का भरपूर मनोरंजन किया।

आज के मुख्य अतिथि चरखी समस्त ग्रामवासियों ने 1 लाख 1 हजार रुपए, मदन सिंह परमार सरपंच सावड़ ने 51 हजार रुपए, पूर्व सरपंच भूपेंद्र सांगवान चरखी ने 51 हजार रुपए, संस्थापक मंजीत दलाल ने 51 हजार रुपए, खजांची सुरेंद्र फौगाट मोड़ी ने 31 हजार रुपए, मास्टर जसवीर सिंह महला सांतोर ने 31 हजार रुपए, उप-प्रधान खुदीराम दलाल ने 21 हजार रुपए, सचिव हरेन्द्र उर्फ पप्पू सांगवान ने 21 हजार रुपए, नसीब रावलधी ने 11 हजार रुपये, परविंद्र उर्फ सोन फौजी रावलधी ने 11 हजार रुपये, सेठ हरिकिशन सावडि़या ने 11 हजार रुपए, रोहतास यादव कमोद 11 हजार रुपये व ओम नम्बरदार चरखी ने 5100 रुपये गऊ सेवा हेतु सहयोग रूपी राशि दान की। इस दौरान बहुत से गौभक्तों ने गऊ सेवा हेतु सहयोग रूपी राशि दान की।

प्रधान रविन्द्र दलाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सांग कार्यक्रम सांगी बाबूदान सिंह चौहान राजस्थान कल से 28 तक अपनी प्रस्तुतियां प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधान रविन्द्र दलाल, दलाल, उप-प्रधान खुदीराम दलाल, खजांची सुरेंद्र फौगाट मोड़ी, सचिव हरेन्द्र उर्फ पप्पू सांगवान, सलाहकार मदन सिंह परमार, राजेश रावलधी, दिनेश डोहकी, भूपेन्द्र सरपंच दलाल प्रस्तुत चरखी, ईश्वर नम्बरदार चरखी, राजेश चरखी, रामेश्वर दयाल रंगा, दिनेश रावलधी, सोमबीर फतेहगढ़, डॉ सुखविंदर फौगाट अजय श्योराण का विशेष सहयोग रहा।

रेटिंग: 4.12
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 279
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *