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शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है

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सेबी (SEBI) क्या है? SEBI से सब इतना क्यूँ डरते हैं?

सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया जिसे शोर्ट में हम सेबी (SEBI) के नाम से जानते हैं. 12 अप्रैल 1988 को इसका गठन किया गया था पर उस वक़्त SEBI के पास कोई कण्ट्रोल नहीं था. लेकिन 3 साल 9 महीने 18 दिन बाद 30 जनवरी 1992 को इसे वैधानिक रूप से भारत में लागू कर दिया गया.

आज SEBI भारत के सिक्योरिटीज मार्केट को रेगुलेट करने में एक बहुत ही एहम भूमिका निभाता है इसलिए भारतीय बाज़ार से जुड़े हुए सभी लोगों के लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि सेबी (SEBI) क्या है? यह कैसे काम करता है और सेबी (SEBI) के पास ऐसे कौन से अधिकार हैं जिनकी वजह से यह पूरे सिक्योरिटीज मार्केट को कण्ट्रोल करता है.

सेबी (SEBI) को क्यूँ बनाया गया?

सेबी (SEBI) के गठन से पहले जब भारत में कैपिटल मार्केट तेजी से उभर रहा था तब कई तरह के अनऑफिसियल मर्चेंट बैंकर, पावरफुल प्राइवेट प्लेयर्स आ गए थे जो कंपनीज़ एक्ट के नियमों को अनदेखी करने लगे थे. शेयर प्राइस की कीमतों में हेर-फेर और उनकी डिलीवरी में देरी करने लगे थे.

ऐसे में जो भी रिटेल इन्वेस्टर्स थे उनका भरोसा कंपनियों से उठने लगा और वो कैपिटल मार्केट से दूर होने लगे. गवर्नमेंट ने इस बात जो नोटिस किया और उसे लगा कि एक अथॉरिटी ऐसी होनी चाहिए जो कैपिटल मार्केट को रेगुलेट कर सके.

सेबी (SEBI) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को प्रोटेक्ट करना: सेबी (SEBI) को बनाने के पीछे सबसे पहला और सबसे एहम मकसद था कि कैपिटल मार्केट में ट्रेड और इन्वेस्ट कर रहे लोगों को एक ऐसा माहौल देना जो फ्रॉड या धोखा-धडी रहित हो तथा हर किसी को उनके सही अधिकार मिल सके ताकि ट्रेडर्स/इन्वेस्टर्स और स्टॉक मार्केट से जुड़े अन्य अभी लोगों का भरोसा बना रहे कि मार्केट में लगा हुआ उनका पैसा सुरक्षित है.

एक्टिविटीज को मॉनिटर करना: चूकि अब सब कुछ सेबी (SEBI) की ही देख रेख में होता है इसलिए सेबी (SEBI) अब सभी ब्रोकर्स, सब-ब्रोकर्स और फाइनेंसियल संस्थाओं की एक्टिविटीज पर पैनी नज़र रखती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सब कुछ सेबी (SEBI) के गाइडलाइन्स के अनुसार ही हो रहा है.

सेबी (SEBI) के फंक्शन (Functions) क्या हैं?

सेबी (SEBI) के मुख्य तीन फंक्शन हैं –

  1. प्रोटेक्टिव फंक्शन: प्रोटेक्टिव फंक्शन यानि इन्वेस्टर्स को जागरूक बनाना, फ्रॉड से बचाना, इनसाइडर ट्रेडिंग रोकना, फेयर ट्रेडिंग को बढ़ावा देना इत्यादि सम्मिलित हैं.
  2. रेगुलेटरी फंक्शन: रेगुलेटरी फंक्शन यानि ब्रोकर, सब-ब्रोकर, फाइनेंसियल संस्थाओं और कॉर्पोरेट को रेगुलेट करना. ये सभी संस्थाएं ठीक प्रकार से काम करें इसके लिए सेबी (SEBI) इनके लिए गाइडलाइन्स और कोड ऑफ़ कंडक्ट बनाता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि ये सभी सेबी (SEBI) कि निगरानी में बने रहे तथा सेबी (SEBI) की गाइडलाइन्स को फॉलो करें.
  3. डेवलपमेंट फंक्शन: डेवलपमेंट फंक्शन का मकसद है ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को सही नॉलेज प्रोवाइड करना और इन्वेस्टर्स को प्रोत्साहित करना कि वो शेयर्स या म्यूच्यूअल फंड्स को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के माध्यम से ही खरीदें.

सेबी (SEBI) के पास कितनी पॉवर है?

वैसे शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है तो सेबी (SEBI) के पास इतनी पॉवर है कि वो किसी भी स्टॉक एक्सचेंज चाहे वो BSE हो या NSE दोनों को ही रेगुलेट कर सकता है तथा जब चाहे नियमों में फेर बदल कर सकता है.

सेबी (SEBI) को यह पॉवर मिली है कि वह किसी भी स्टॉक एक्सचेंज के बुक्स, एकाउंट्स या रिकार्ड्स को कभी भी चेक कर सकता है.

सेबी (SEBI) के मर्ज़ी के बिना कोई भी स्टॉक किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट नहीं हो सकता. यदि कोई लिस्टेड स्टॉक सेबी (SEBI) की गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं करता या किसी भी प्रकार कि संदिग्ध एक्टिविटीज करता हुआ पाया जाता है तो सेबी (SEBI) उनसे जवाब मांग सकता है, सुनवाई कर सकता है और दोषी पाए जाने पर उसे स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट भी कर सकता है.

यदि कोई कंपनी इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे अनएथिकल काम करती है तो शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है सेबी (SEBI) उस कंपनी पर भारी जुर्माना भी लगा सकता है.

सेबी (SEBI) सभी एडवाइजरी फर्म (जो SEBI द्वारा रजिस्टर्ड हैं और जो इन्वेस्टर्स से डायरेक्ट डील करते हैं) ब्रोकर, सब-ब्रोकर और बिचौलियों को रेगुलेट करता है. सेबी (SEBI) पॉवर को डिटेल में समझने के लिए यहाँ क्लिक करें.

फाइनल वर्ड्स

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सेबी (SEBI) कैपिटल मार्केट में संतुलन बनाये रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वैसे तो सेबी (SEBI) हमेशा पब्लिक या इन्वेस्टर्स के इंटरेस्ट में ही काम करता है लेकिन कभी-कभी सेबी (SEBI) ऐसे भी नियम लेकर आ जाता है जिससे इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हालही में आया सेबी (SEBI) का नया मार्जिन रूल इसका एक अच्छा उदाहरण है जिसको लेकर लोगों के काफी मिक्स्ड रिएक्शन थे. सेबी (SEBI) के बोर्ड ऑफ़ मेम्बेर्स के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स बेचें, बिड़लासॉफ्ट और मारिको खरीदें : रिलायंस सिक्योरिटीज

रिलायंस सिक्योरिटीज (Reliance Securities) ने गुरुवार (24 नवंबर) के एकदिनी कारोबार (intraday trade) के लिए अपनी रिपोर्ट मार्केट लेंस में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (Bharat Electronics) के शेयर बेचने की, जबकि बिड़लासॉफ्ट (Birlasoft) और मारिको (Marico) के शेयरों में खरीदारी करने की सलाह दी है।

ब्रोकिंग कंपनी ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के शेयरों के लिये 106 रुपये का लक्ष्य रखते हुए 109-110 रुपये के दायरे में बेचने की सिफारिक की है। इन शेयरों के लिये 111 रुपये के स्तर पर सख्त स्टॉप लॉस लगाने की सिफारिश की है। इन शेयरों का पिछला बंद भाव 107 रुपये था।

इसके अलावा ब्रोकिंग कंपनी ने बिड़लासॉफ्ट के शेयर 273-276 रुपये के दायरे में खरीदने का सुझाव दिया है। इनके लिए 284 रुपये का लक्ष्य तय करते हुए 271 रुपये पर सख्त शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है स्टॉप लॉस लगाया जाना चाहिए। इन शेयरों का पिछला बंद भाव 278 रुपये रहा था।

ब्रोकिंग कंपनी ने मारिको के शेयरों में भी खरीदारी करने की सलाह दी है। इन्हें 486-489 रुपये के दायरे में खरीदा जा सकता है। इनके लिए 503 रुपये का लक्ष्य तय करते हुए 482 रुपये पर सख्त स्टॉप लॉस लगाने की सिफारिश की है। इसका पिछला बंद भाव 491 रुपये दर्ज किया गया था।

ध्यान रखें कि यह सलाह एकदिनी कारोबार के लिए है।

स्पष्टीकरण : इन शेयरों में ब्रोकिंग फर्म या उनके ग्राहकों के हित जुड़े हो सकते हैं।

शेयर मार्केट में Broker भाग जाए तो, शेयर का क्या होगा

अक्सर बहुत सारे शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता है। अगर (Broker भाग जाए तो) Upstox, Zerodha, Groww, Paytm Money भाग जाए या बंद हो जाए तो Demat Account में पड़े आपका शेयर का क्या होगा।

लोग अपना पैसा शेयर मार्केट इस कारण लगाते है कि आने वाले समय में उसको अच्छा मुनाफा कमाई। लेकिन जब आपका Stock Broker जहा पर आप Trading & Demat Account खोला है, भाग जाता है या बंद हो जाता हैं तो ऐसे में आपका शेयर का क्या होगा। आज हम इस पोस्ट की माध्यम से जानेंगे शेयर मार्केट में Broker भाग जाए तो, शेयर का क्या होगा।

आपको सबसे पहले जानना बहुत जरूरी है Demat और Trading Account होता क्या है

Demat और Trading Account दोनों अलग अलग अकाउंट होता हैं। जब आप शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है किसी Stock Broker के पास Demat & Trading Account खोलते है तो आपको एक ही डॉक्यूमेंट से दोनों अकाउंट खोल देते हैं।

Trading Account का काम होता है शेयर खरीदना और बेचना। लेकिन Demat Account का काम होता है जो होल्डिंग में खरीदा गया शेयर उसको स्टोर करना।

आपका शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है स्टॉक ब्रोकर आपके जो Demat Account है उसको Stock Depository के पास ले जाकर खोल देता हैं। भारत के अंदर दो Stock Depository है एक CDSL और दूसरा NSDL। आपका Stock Broker जिस भी Stock Depository से जुड़ा होगा उसमे Demat Account खोलेगा। आप जब शेयर खरीदेंगे और बेचेंगे उसके 2 दिन बाद देखेंगे आपको CDSL या NSDL से Mail आएगा। जिससे आपको Mail आ रहा है आप समझ जाए उसमे आपका Demate Account खुला हैं।

Broker भाग जाए तो, शेयर का क्या होगा:-

आपको पता चल ही गया होगा आपने जो भी शेयर खरीदा वो स्टॉक ब्रोकर के पास नहीं होता Stock Depository (NSDL, CDSL) के पास जाता हैं। अगर आपका Stock Broker भाग जाए तो आपको बिल्कुल चिंता करने की जरुरत नहीं हैं। आपका शेयर सही सलामत Stock Depository के पास हैं।

शेयर कैसे अपने पास लाए:-

जब आपका स्टॉक ब्रोकर भाग जाता है तब आपको एक नया Demat Account खोलना है उसके बाद आप Stock Depository के पास एक एप्लीकेशन भेजेंगे। आपके पास Pard Card और DP id होना चाहिए. आप Pan card और DP id के आधार पर DIS Slip भरने के बाद आप Stock Depository भेजेंगे पुराने अकाउंट से नए Demat Account में शेयर को ट्रांसफर करने के लिए। इस एप्लीकेशन देने के बाद आपका शेयर नए शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है Demat Account में आ जायेगा. उसके बाद आप जब साहे शेयर बेच सकते हैं

Trading बैलेंस का क्या होगा:-

मान लीजिये आपने शेयर खरीदने के लिए Trading Account में पैसा भरा लेकिन शेयर खरीदने से पहले ही Broker भाग गया या बंद हो गया। इसके लिए शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है SEBI ने बनाया है Investor Protection Fund अगर आप ज्यादा समय खर्च करे बिना तुरंत Claim कर दोगे तो आपको Maximum 15 लाख तक मिल सकता हैं। आपने यदि Claim थोड़ा देर से किया लेकिन 3 साल के पहले तो आपको claim देना चाहिए या नहीं फैसले लेने के बाद ही होगा। 3 साल बाद आप यदि Claim करोगे तो आपको कोई भी पैसा नहीं मिलेगा।

ज्यादातर ट्रेडर का पैसा हर समय Trading Account में रहता हैं। इन्वेस्टर को इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।

शेयर मार्केट में Broker भाग जाए तो, शेयर का क्या होगा

Demat और Trading Account खोलने से पहले ध्यान रखे:-

बड़े ब्रोकर को ही सुने:-

आपको ऐसे ब्रोकर के साथ Demat Account बिल्कुल नहीं खुलाना चाहिए जिसका ग्राहक कम हो ऐसे ब्रोकर कभी भी बंद हो सकता हैं। जिसका नाम और काम अच्छा है आपको एसी ब्रोकर के साथ अपना Demat और Trading Account खोल सकते हैं।

Demat Account खोलने के लिए भरोसेमंद Broker Upstox पर अकाउंट खोल सकते हैं। Open Account here

रजिस्टर ब्रोकर है या नहीं:-

Demate Account खोलने के लिए आपको जरूर ध्यान रखना चाहिए SEBI के साथ ब्रोकर का रजिस्टर हुआ है या नहीं। आपको Broker का रजिस्टर नंबर जरुर देखना चाहिए।

किसी भी Broker के साथ जुड़ने से पहले आपको जागृत होना बहुत जरुरी है। आपको पता होना चाहिए शेयर मार्केट में Broker भाग जाए तो, शेयर का क्या होगा। कैसे अपना पैसा निकाल सकते हैं।

आशा करता हु आप पोस्ट की जरिये अच्छी तरह से समझ गयी हैं। शेयर मार्केट से जुडी और भी बातें सीखने के लिए आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।

शेयरों में भी SIP के जरिये कर सकते हैं आप निवेश, जानें तरीका

आमतौर पर छोटे निवेश सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि आप एसआईपी के जरिये सीधे शेयरों में भी निवेश कर सकते हैं। यह सुविधा आपको.

शेयरों में भी SIP के जरिये कर सकते हैं आप निवेश, जानें तरीका

आमतौर पर छोटे निवेश सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि आप एसआईपी के जरिये सीधे शेयरों में भी निवेश कर सकते हैं। यह सुविधा आपको शेयर ब्रोकर उपलब्ध करते हैं।

हालांकि, शेयरों में एसआईपी के जरिये निवेश करने के शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है लिए आपके पास सबसे पहले डीमैट खता होना जरूरी है। डीमैट खाता खोलने की सुविधा ब्रोकर उपलब्‍ध कराते हैं। डीमैट खाता खुलने के बाद आप अपने मोबाइल एप के जरिये ब्रोकर के प्‍लेटफॉर्म का इस्‍तेमाल करते हुए शेयर बाजार से शेयरों की खरीद सकते हैं। इसके लिए आपका बैंक खाता डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट से जुड़ा होना चाहिए। इसके बाद आप महीने में एक तय राशि एसआईपी के जरिये सीधे शेयर खरीदने में लगा सकते हैं।

शेयरों में एसआईपी कैसे शुरू करें

शेयरों में एसआईपी शुरू करने के लिए आपको निवेश की रकम, शुरुआत करने की तारीख, अंतिम तारीख, ट्रिगर डेट इत्‍यादि के बारे में बताना पड़ता है। ट्रिगर डेट वह तारीख है जिस दिन हर एक किस्‍त के लिए बकेट में निवेश किया जाएगा। इसी दिन उन शेयरों के लिए एक अलग ऑर्डर जेनरेट होगा जिन्‍हें आपने चुना है। ये ऑर्डर शेयर ब्रोकर के ऑर्डर मैचिंग सिस्‍टम के अनुसार एग्‍जीक्‍यूट होते हैं। आप एसआईपी के जरिये निवेश की अवधि दैनिक, साप्‍ताहिक, पाक्षिक या मासिक चुन सकते हैं। शेयर में एसआईपी शुरू करने पर आपके पास विकल्‍प होता है कि आप किसी खास शेयर को नहीं चुनें। आप बता सकते हैं कि हर एक शेयर में
मजबूत कंपनियों के शेयरों में करें निवेश

म्यूचुअल फंड में जब आप एसआईपी के जरिये निवेश करते हैं तो उसका प्रबंधन म्यूचुअल फंड मैनेजर करता है। लेकिन स्टॉक एसआईपी जिसे 'ई-सिप' कहा जता है उसमें निवेश का प्रबंधन खुद करना होता है या फिर आपका ब्रोकर इसे संभालता है। पको ब्रोकर को यह बताना पड़ता है कि आप कितने समय में कितना शेयर खरीदना शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है चाहते हैं। ई-सिप खरीदते समय हमेशा उन शेयरों में निवेश करना चाहिए जिनके कारोबार और वित्तीय स्थिति मजबूत हों। ई-सिप का फायदा यह है शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है कि आपके निवेश को डाइवर्सिफिकेशन का लाभ मिलता है। यानी आप अपना इनवेस्टमेंट अलग-अलग शेयरों में करते हैं। यह ध्यान रखना चाहिए कि ई-सिप के जरिये जब निवेश करें तो अलग-अलग शेयरों में करें।

बड़े वित्तीय लक्ष्य हासिल करना आसान

ई-सिप में फायदा यह है कि आप एक छोटी निवेश राशि से निवेश कर लंबी अवधि में बड़ा निवेश करते हैं। आप इसके जरिये बड़ा वित्तीय लक्ष्य आसानी से हासिल कर शेयर मार्केट का सबसे अच्छा ब्रोकर कौन है लेते हैं। निवेश की राशि कम होती है इसलिए जोखिम भी कम होता है। इसमें लिक्वडिटी काफी होती है और अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर आप अपनी रकम निकाल सकते हैं। दरअसल ई-सिप के जरिये में निवेश पर आपको हाई रिटर्न का फायदा मिलता है। म्यूचुअल फंड निवेश में कई तरह के चार्ज, फंड मैनेजर का खर्च आदि कट कर रिटर्न मिलता है। लेकिन इसमें इस तरह का खर्च नहीं है। इस वजह से इनमें रिटर्न का ज्यादा हिस्सा आपके हाथ आता है। जो निवेशक कम पैसे से धीरे-धीरे शेयर में निवेश करना चाहते हैं उनके लिए यह ई-सिप के जरिये शेयरों में निवेश काफी अच्छा विकल्प है

इन बातों का रखें ध्‍यान

शेयरों में एसआईपी शुरू करने से पहले यह जरूरत पता कर लें कि स्‍टॉक एसआईपी रीक्‍वेस्‍ट क्रिएट करने के लिए ब्रोकर ब्रोकरेज जैसे अन्‍य रेगुलर शुल्क के अलावा कितना चार्ज करते हैं। आप किसी भी समय स्‍टॉक एसआईपी इंस्‍ट्रक्‍शन को कैंसिल या बदल सकते हैं। यह अगली ट्रिगर डेट से प्रभावी हो जाएगी।

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